लखनऊ : यूपी एसटीएफ की लखनऊ इकाई को सोमवार को बड़ी सफलता हाथ लगी. एसटीएफ ने कछुआ तस्कर गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इनकी गिरफ्तारी सुल्तानपुर बस अड्डे के पास से हुई है. गिरोह के पास से 80 किलो के कछुओं की कैलिपि बरामद हुई है.
दरअसल, डिप्टी एसपी एसटीएफ लखनऊ दीपक कुमार सिंह के अनुसार, लगातार सूचनाएं आ रही थीं कि इटावा, मैनपुरी व आस-पास के जिलों से अवैध रूप से कछुओं की कैलिपि काटकर उसकी तस्करी की जा रही है. ऐसे व्यापारी खासकर कछुओं की कैलिपि की तस्करी के लिए पश्चिम बंगाल के व्यापारियों के संपर्क में रहते हैं.
2 कछुआ तस्कर चढ़े यूपी एसटीएफ के हत्थे
कछुओं और उनकी कैलिपि की अवैध तस्करी को लेकर एसटीएफ लखनऊ की ओर से लगातार अभिसूचनाएं संकलित की जा रही थीं. इसके लिए गूढ़ नेटवर्क के साथ मुखबिर तंत्र को भी लगाया गया था. सोमवार को यूपी एसटीएफ को जानकारी मिली कि सुल्तानपुर में तस्कर कछुओं की कैलिपि की तस्करी की जा रही है. इस सूचना पर डीएसपी दीपक कुमार सिंह ने एसटीएफ एसआई तेज बहादुर के नेतृत्व में टीम गठित कर सुल्तानपुर निवासी विनोद और जैन कुमार को गिरफ्तार कर लिया. इनके पास से 80 किलो के 7 बैग में कछुओं की कैलिपि बरामद की गई.
पूछताछ में तस्कर ने किया बड़ा खुलासा
एसटीएफ टीम की ओर से की गई पूछताछ में आरोपी विनोद ने बताया कि वह बीते कई वर्षों से वह कछुओं और उसके कैलिपि की अवैध रूप से तस्करी करता है. विभिन्न जिलों में मछुआरों से संपर्क कर उनसे कछुए खरीदकर उनके कैलिपि को काट कर उन्हें सूखता था और उसके बाद चेन्नई, पश्चिम बंगाल जैसी बड़ी जगहों पर बेचता था. एसटीएफ उपाधीक्षक दीपक कुमार सिंह ने बताया कि न केवल भारत में बल्कि पश्चिम बंगाल के रास्ते होकर ये बांग्लादेश व म्यांमार तक भेजे जाते थे.
इसे भी पढ़ें- इत्र व्यापारी पीयूष जैन के घर से बरामद करोड़ों रुपये सपा का पाप : नंद गोपाल नंदी
महंगे दामों में बिकती है कछुओं की यह प्रजाति
एसटीएफ से मिली जानकारी के मुताबिक पूरे भारत में कछुओं की 29 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश में पाई जाती हैं. इन 15 प्रजातियों में से 11 प्रजातियों की उत्तर प्रदेश में तस्करी की जाती है. ये कछुए अवैध रूप से मांस के लिए, जिंदा पालने के लिए अथवा इनकी चर्बी के लिए अलग अलग जिलों में तस्करी किए जाते हैं. इनकी तस्करी भी महंगे दामों में होती है. इन प्रजाति के कछुओं में हार्ड शेल व सॉफ्ट सेल दोनों ही मौजूद होते हैं. साथ ही इस प्रजाति के कछुए औषधि बनाने के लिए बहुत काम आते हैं. इनकी चर्बी का प्रयोग किया जाता है. भारत सरकार की डब्ल्यूसीसीबी पहल के तहत एसटीएफ लखनऊ को यह कामयाबी हासिल हुई है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप