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अंसल एपीआई पर कार्रवाई, जुर्माना सहित दो परियोजना के लाइसेंस निरस्त

यूपी रेरा ने अंसल बिल्डर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. सुल्तानपुर रोड पर अंसल बिल्डर के दो प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. यूपी रेरा के चेयरमैन का कहना है कि इस कार्रवाई से दूसरे लोगों को कड़ा संदेश जाएगा.

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण
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Published : Feb 12, 2021, 12:08 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने अंसल बिल्डर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. सुल्तानपुर रोड पर अंसल बिल्डर के दो प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. इन परियोजनाओं असंल एपीआई रेरा पॉकेट टू, सेक्टर पी व यूपीआरथ्रीएपीआरजे 7122 और असंल एपीआई, पॉकेट टू, सेक्टर जे, सुशांत गोल्फ सिटी, लखनऊ यूपीआरईआरएपीआरजे 9594 हैं. यूपी रेरा ने नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर परियोजनाओं को निरस्त करने का फैसला लिया है. इसके अलावा एक अन्य प्रोजेक्ट के बचे विकास कार्य को पूरा करते हुए पूर्णत: प्रमाण पत्र रेरा की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया है.

यूपी रेरा चेयरमैन ने दी जानकारी
यूपी रेरा के अध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि पंजीयन के निरस्तीकरण की कार्रवाई एकत्रित की गई जानकारी, साइट निरीक्षण, रेरा में दर्ज शिकायत और रेरा अधिनियम का पालन नहीं करने पर की गई है. प्राधिकरण ने पहले भी सख्त चेतावनी दी थी. रेरा ने अंसल एपीआई, पॉकेट-2, सेक्टर पी व जे, सुशांत गोल्फ सिटी प्रोजेक्ट को निरस्त करने से पहले प्रोजेक्ट निरीक्षण किया. रेरा में दर्ज शिकायतों और रेरा अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने के आधार पर यह फैसला लिया. बार-बार जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया. यूपी रेरा के चेयरमैन का कहना है कि इस कार्रवाई से दूसरे लोगों को कड़ा संदेश जाएगा.

अंसल ने की हैं गंभीर अनियमितता
यूपी रेरा के चेयरमैन ने बताया कि निरस्तीकरण के पश्चात होने वाली प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार से परामर्श लिया जाएगा. प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं बरती गई हैं. करीब 606 करोड रुपये का घपला किया गया है. यह पैसा प्रोजेक्ट के खातों से निकाल कर दूसरे उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया गया है. ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि निवेशकों से पैसा ले लिया गया और आवंटन नहीं किया गया है, जिन लोगों को घरों के आवंटन किए गए, उनके साथ किए गए एग्रीमेंट का उल्लंघन किया गया है.

संसाधनों और धन का जमकर हुआ कुप्रबंधन
रेरा चेयरमैन राजीव कुमार ने बताया कि जब परियोजनाओं का फॉरेंसिक ऑडिट करी एंड ब्राउन से करवाया गया तो पता चला कि एसक्रो अकाउंट में भी गड़बड़ी की गई है. अर्धवार्षिक प्रोजेक्ट अकाउंट के प्रबंधन में डेवलपर ने रेरा अधिनियम के नियमों का पालन नहीं किया है. प्रमोटर ने परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से विकसित नहीं किया है. परियोजना का अनियमित रूप से और गलत ढंग से विस्तार किया गया, जिसकी वजह से संसाधनों और धन का कुप्रबंधन हुआ. यही वजह है कि परियोजना को पूरा करना चुनौती बन गया है. कुछ ऋण समझौतों में प्रमोटर ने न केवल परियोजना की जमीन को गिरवी रख दिया, बल्कि परियोजना से प्राप्त आय को भी सीमित कर दिया है. फॉरेंसिक ऑडिटर को यह भी पता चला कि परियोजना में काफी पैसा था, जिसे परियोजना के पूरा होने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए था.

1.61 करोड़ का जुर्माना भी लगाया


अंसल एपीआई पॉकेट-3 सेक्टर ए के मामले में बिल्डर को एक अलग खाते में तीन महीने के भीतर 9.4 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है. इस रकम से दूसरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. बिल्डर पर रेरा अधिनियम की धारा 4, 11 और 14 सपठित धारा 38 व 61 के उल्लघंन करने पर 161.65 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो कि परियोजना की कुल लागत का पांच फीसदी है.

बिल्डर ने खरीदारों को पैसा दिया न ही कब्जा


बिल्डर ने परियोजना को पूरा करने के लिए समय का पालन नहीं किया है. प्रोजेक्ट पूरा करने और आवंटियों को इकाई का कब्जा सौंपने का समय पहले ही खत्म हो चुका है. निर्माण कार्य पूरा करने की अनुचित तारीख दी है. कुछ मामलों में तारीख 4 से 5 साल दूर हैं. परियोजना में कोई काम नहीं चल रहा है, इसलिए खरीदारों को संशोधित समय सीमा पर भी भरोसा नहीं है. परियोजना की स्थिति के बारे में प्रबंधन उनके प्रश्नों का जवाब नहीं देता है और न ही नई परियोजना को पूरा करने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाता है.

खरीदारों ने की शिकायत

खरीदारों ने शिकायत की है कि कब्जा देने में देरी के लिए आवंटी को दंड राशि का भुगतान करने का नियम है. बिल्डर नहीं कर रहा है. जमा किए गए धन को वापस करने के लिए भी वह तैयार नहीं है. कुछ मामलों में प्रमोटर के पास परियोजना की जमीन तक नहीं है. उन्होंने आवश्यक भूमि न होने पर भी आवंटन किया. यह पूरी तरह जालसाजी और घोर लापरवाही है. प्रमोटर ने परियोजना में निर्माण शुरू नहीं किया. इसके अलावा यूनिट के लागत मूल्य के मुकाबले एक बड़ी राशि ली है. प्रमोटर ने केवल बिक्री करने के उद्देश्य से समझौते में कहा था कि उसके पास सक्षम प्राधिकारी से अधिग्रहित भूमि और आवश्यक अनुमोदन है. प्रमोटर ने उनसे प्राप्त धन को अन्य गतिविधियों में लगा दिया है. कई खरीददारों का आरोप है कि प्रमोटर ने परियोजना का पैसा कुछ अन्य काम के लिए डायवर्ट किया है.

लोन लेकर निवेश किया, अब किस्त व किराया का बोझ

कई शिकायतकतार्ओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने छत की उम्मीद से अपनी मेहनत की कमाई को निवेश किया है. अब वह लोन की ईएमआई और मकान का किराया साथ-साथ चुका रहे हैं. अब उनके पास न तो पैसा है और न ही घर है. वह अपना सारा पैसा ब्याज सहित वापस चाहते हैं.

प्रोजेक्ट में घोटाले के आरोप
बड़ी संख्या में शिकायतकतार्ओं ने परियोजना में घोटाला करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. शिकायतकर्ता घर लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन नियत समय के भीतर कब्जे के लिए एक ठोस प्रतिबद्धता और विलंब के लिए जुर्माना भुगतान चाहते हैं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने अंसल बिल्डर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. सुल्तानपुर रोड पर अंसल बिल्डर के दो प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. इन परियोजनाओं असंल एपीआई रेरा पॉकेट टू, सेक्टर पी व यूपीआरथ्रीएपीआरजे 7122 और असंल एपीआई, पॉकेट टू, सेक्टर जे, सुशांत गोल्फ सिटी, लखनऊ यूपीआरईआरएपीआरजे 9594 हैं. यूपी रेरा ने नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर परियोजनाओं को निरस्त करने का फैसला लिया है. इसके अलावा एक अन्य प्रोजेक्ट के बचे विकास कार्य को पूरा करते हुए पूर्णत: प्रमाण पत्र रेरा की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया है.

यूपी रेरा चेयरमैन ने दी जानकारी
यूपी रेरा के अध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि पंजीयन के निरस्तीकरण की कार्रवाई एकत्रित की गई जानकारी, साइट निरीक्षण, रेरा में दर्ज शिकायत और रेरा अधिनियम का पालन नहीं करने पर की गई है. प्राधिकरण ने पहले भी सख्त चेतावनी दी थी. रेरा ने अंसल एपीआई, पॉकेट-2, सेक्टर पी व जे, सुशांत गोल्फ सिटी प्रोजेक्ट को निरस्त करने से पहले प्रोजेक्ट निरीक्षण किया. रेरा में दर्ज शिकायतों और रेरा अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने के आधार पर यह फैसला लिया. बार-बार जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया. यूपी रेरा के चेयरमैन का कहना है कि इस कार्रवाई से दूसरे लोगों को कड़ा संदेश जाएगा.

अंसल ने की हैं गंभीर अनियमितता
यूपी रेरा के चेयरमैन ने बताया कि निरस्तीकरण के पश्चात होने वाली प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार से परामर्श लिया जाएगा. प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं बरती गई हैं. करीब 606 करोड रुपये का घपला किया गया है. यह पैसा प्रोजेक्ट के खातों से निकाल कर दूसरे उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया गया है. ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि निवेशकों से पैसा ले लिया गया और आवंटन नहीं किया गया है, जिन लोगों को घरों के आवंटन किए गए, उनके साथ किए गए एग्रीमेंट का उल्लंघन किया गया है.

संसाधनों और धन का जमकर हुआ कुप्रबंधन
रेरा चेयरमैन राजीव कुमार ने बताया कि जब परियोजनाओं का फॉरेंसिक ऑडिट करी एंड ब्राउन से करवाया गया तो पता चला कि एसक्रो अकाउंट में भी गड़बड़ी की गई है. अर्धवार्षिक प्रोजेक्ट अकाउंट के प्रबंधन में डेवलपर ने रेरा अधिनियम के नियमों का पालन नहीं किया है. प्रमोटर ने परियोजनाओं को चरणबद्ध तरीके से विकसित नहीं किया है. परियोजना का अनियमित रूप से और गलत ढंग से विस्तार किया गया, जिसकी वजह से संसाधनों और धन का कुप्रबंधन हुआ. यही वजह है कि परियोजना को पूरा करना चुनौती बन गया है. कुछ ऋण समझौतों में प्रमोटर ने न केवल परियोजना की जमीन को गिरवी रख दिया, बल्कि परियोजना से प्राप्त आय को भी सीमित कर दिया है. फॉरेंसिक ऑडिटर को यह भी पता चला कि परियोजना में काफी पैसा था, जिसे परियोजना के पूरा होने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए था.

1.61 करोड़ का जुर्माना भी लगाया


अंसल एपीआई पॉकेट-3 सेक्टर ए के मामले में बिल्डर को एक अलग खाते में तीन महीने के भीतर 9.4 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है. इस रकम से दूसरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. बिल्डर पर रेरा अधिनियम की धारा 4, 11 और 14 सपठित धारा 38 व 61 के उल्लघंन करने पर 161.65 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो कि परियोजना की कुल लागत का पांच फीसदी है.

बिल्डर ने खरीदारों को पैसा दिया न ही कब्जा


बिल्डर ने परियोजना को पूरा करने के लिए समय का पालन नहीं किया है. प्रोजेक्ट पूरा करने और आवंटियों को इकाई का कब्जा सौंपने का समय पहले ही खत्म हो चुका है. निर्माण कार्य पूरा करने की अनुचित तारीख दी है. कुछ मामलों में तारीख 4 से 5 साल दूर हैं. परियोजना में कोई काम नहीं चल रहा है, इसलिए खरीदारों को संशोधित समय सीमा पर भी भरोसा नहीं है. परियोजना की स्थिति के बारे में प्रबंधन उनके प्रश्नों का जवाब नहीं देता है और न ही नई परियोजना को पूरा करने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाता है.

खरीदारों ने की शिकायत

खरीदारों ने शिकायत की है कि कब्जा देने में देरी के लिए आवंटी को दंड राशि का भुगतान करने का नियम है. बिल्डर नहीं कर रहा है. जमा किए गए धन को वापस करने के लिए भी वह तैयार नहीं है. कुछ मामलों में प्रमोटर के पास परियोजना की जमीन तक नहीं है. उन्होंने आवश्यक भूमि न होने पर भी आवंटन किया. यह पूरी तरह जालसाजी और घोर लापरवाही है. प्रमोटर ने परियोजना में निर्माण शुरू नहीं किया. इसके अलावा यूनिट के लागत मूल्य के मुकाबले एक बड़ी राशि ली है. प्रमोटर ने केवल बिक्री करने के उद्देश्य से समझौते में कहा था कि उसके पास सक्षम प्राधिकारी से अधिग्रहित भूमि और आवश्यक अनुमोदन है. प्रमोटर ने उनसे प्राप्त धन को अन्य गतिविधियों में लगा दिया है. कई खरीददारों का आरोप है कि प्रमोटर ने परियोजना का पैसा कुछ अन्य काम के लिए डायवर्ट किया है.

लोन लेकर निवेश किया, अब किस्त व किराया का बोझ

कई शिकायतकतार्ओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने छत की उम्मीद से अपनी मेहनत की कमाई को निवेश किया है. अब वह लोन की ईएमआई और मकान का किराया साथ-साथ चुका रहे हैं. अब उनके पास न तो पैसा है और न ही घर है. वह अपना सारा पैसा ब्याज सहित वापस चाहते हैं.

प्रोजेक्ट में घोटाले के आरोप
बड़ी संख्या में शिकायतकतार्ओं ने परियोजना में घोटाला करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. शिकायतकर्ता घर लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन नियत समय के भीतर कब्जे के लिए एक ठोस प्रतिबद्धता और विलंब के लिए जुर्माना भुगतान चाहते हैं.

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