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UP Power Corporation : कंपनियों से सस्ता स्मार्ट मीटर खरीदकर उपभोक्ताओं को महंगा देने का प्लान

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन उपभोक्ताओं के घर पर अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाएगा. इस टेंडर में उपभोक्ताओं पर महंगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर का भार डालने की तैयारी है.

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स्मार्ट प्रीपेड मीटर
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Published : Jan 31, 2023, 1:36 PM IST

देश का सबसे बड़ा निजी घराना स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को हथियाना चाहता है

लखनऊः उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रदेश भर के उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाएगा. इसे लेकर जल्द ही टेंडर भी फाइनल होना है. इस टेंडर में उपभोक्ताओं पर महंगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर का भार डालने की तैयारी है. वर्तमान में जिन कंपनियों के स्मार्ट मीटर है, उन्हीं से सस्ता स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदकर एक बड़ी कंपनी महंगा टेंडर हथियाने की जुगाड़ में है. सूत्रों के मुताबिक पावर कारपोरेशन के अधिकारियों से इस बड़े निजी घराने की बात भी लगभग तय हो चुकी है. अगर ऐसा हुआ तो 6,000 वाला स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के घर पर 10,000 रुपये में लगेगा, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा.

गुजरात में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की टेंडर की जो दरें सामने आ रही हैं वह लगभग उत्तर प्रदेश की उच्च दरों के मुकाबले 15 से 20 प्रतिशत तक कम है. वह भी तब जब केवल एक करोड़ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर खुला है. पिछले सप्ताह पश्चिम गुजरात कंपनी लिमिटेड व दक्षिण गुजरात कंपनी लिमिटेड जिसके लिए पावर ग्रिड ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर किया था. वर्तमान में उसकी दरें जो सामने आई हैं वह पश्चिम गुजरात में अपरवा कंपनी की हैं, जहां न्यूनतम टेंडर 8,333 में खुला है, वहीं दक्षिण गुजरात में इन टेलीस्मार्ट का टेंडर 8,477 का खुला है.

अब स्वत: प्रदेश की बिजली कंपनियां अंदाजा लगा सकती हैं कि टेंडर जैसे-जैसे प्रदेश के दूसरे राज्यों में सामने आ रही हैं. उनकी दरें कम हो रही हैं. अब उत्तर प्रदेश में खुले टेंडर और दक्षिण गुजरात में खुले टेंडर का मिलान कर लिया जाए तो प्रति मीटर लगभग 1,000 रुपए से लेकर रुपया 1,700 प्रति मीटर का अंतर आ रहा है और वह भी तब जब केवल उत्तर गुजरात में एक करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का टेंडर है.

क्या कहते हैं परिषद के अध्यक्ष?
स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में जो 25000 करोड़ का टेंडर उत्तर प्रदेश में खुला है. उसमें दो टेंडर अडाणी का खुला है, एक जीएमआर का और एक इंटेली स्मार्ट का. कुल मिलाकर यह बात तय हो गई कि देश का सबसे बड़ा निजी घराना स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को हथियाना चाहता है. जब स्मार्ट प्रीपेड मीटर टेंडर के बारे में पढ़ा गया कि आखिर मीटर कहां से लाए जाएंगे, तो अडानी के मामले में पाया गया कि वह मीटर जीएमआर, आर कैपिटल जीनस और एचपीएल से मीटर ले रहे हैं. इसका मतलब जो कंपनियां उत्तर प्रदेश में पहले से मीटर सप्लाई कर रही थीं, उन्हीं से स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदकर महंगे दामों में सप्लाई करने की योजना है.

महंगा टेंडर हथियाकर लगभग 65% हायर रेट पर टेंडर खोलने की तैयारी है, जो स्मार्ट मीटर 6,000 रुपये में मिल रहा था, वह 10,000 रुपये में मिलेगा .यह रेट (आरईसी) ने तय किया था. इनका टेंडर होता है तो 4,000 रुपये प्रति मीटर महंगा पड़ेगा. पूरे प्रोजेक्ट की बात करें तो लगभग 11,000 करोड़ का निजी घरानों को फायदा होगा. केंद्र सरकार लगातार उत्तर प्रदेश पर दबाव बना रही है कि जल्द टेंडर फाइनल करे. अगर टेंडर फाइनल होता है तो उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश में लगभग एक करोड़ 39 लाख लाइफलाइन उपभोक्ता हैं, जो इस समय बिजली का बिल दे रहे हैं. 100 यूनिट तक का तीन रुपये और 50 रुपये फिक्स चार्ज. ऊर्जा विभाग को बताना चाहिए कि ऐसा सिद्धांत क्यूं लागू कर रहे हैं, जिससे आपका फायदा नहीं, बल्कि नुकसान होगा. उत्तर प्रदेश में अगर इस तरह का टेंडर फाइनल किया जाता है, तो काफी नुकसान होगा. छोटे-छोटे क्लस्टर बनाए जाने चाहिए. इससे मीटर निर्माता कंपनी सीधे भाग ले सकें. बिचौलियों के रूप में निजी घराने टेंडर न हथियाएं. इस तरह के टेंडर को निरस्त करना चाहिए.

पढ़ेंः बिजली कंपनियों के घाटे पर ब्रेक लगाएंगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर, खत्म होगा बिल वसूली का झंझट

देश का सबसे बड़ा निजी घराना स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को हथियाना चाहता है

लखनऊः उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रदेश भर के उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाएगा. इसे लेकर जल्द ही टेंडर भी फाइनल होना है. इस टेंडर में उपभोक्ताओं पर महंगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर का भार डालने की तैयारी है. वर्तमान में जिन कंपनियों के स्मार्ट मीटर है, उन्हीं से सस्ता स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदकर एक बड़ी कंपनी महंगा टेंडर हथियाने की जुगाड़ में है. सूत्रों के मुताबिक पावर कारपोरेशन के अधिकारियों से इस बड़े निजी घराने की बात भी लगभग तय हो चुकी है. अगर ऐसा हुआ तो 6,000 वाला स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के घर पर 10,000 रुपये में लगेगा, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा.

गुजरात में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की टेंडर की जो दरें सामने आ रही हैं वह लगभग उत्तर प्रदेश की उच्च दरों के मुकाबले 15 से 20 प्रतिशत तक कम है. वह भी तब जब केवल एक करोड़ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर खुला है. पिछले सप्ताह पश्चिम गुजरात कंपनी लिमिटेड व दक्षिण गुजरात कंपनी लिमिटेड जिसके लिए पावर ग्रिड ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर किया था. वर्तमान में उसकी दरें जो सामने आई हैं वह पश्चिम गुजरात में अपरवा कंपनी की हैं, जहां न्यूनतम टेंडर 8,333 में खुला है, वहीं दक्षिण गुजरात में इन टेलीस्मार्ट का टेंडर 8,477 का खुला है.

अब स्वत: प्रदेश की बिजली कंपनियां अंदाजा लगा सकती हैं कि टेंडर जैसे-जैसे प्रदेश के दूसरे राज्यों में सामने आ रही हैं. उनकी दरें कम हो रही हैं. अब उत्तर प्रदेश में खुले टेंडर और दक्षिण गुजरात में खुले टेंडर का मिलान कर लिया जाए तो प्रति मीटर लगभग 1,000 रुपए से लेकर रुपया 1,700 प्रति मीटर का अंतर आ रहा है और वह भी तब जब केवल उत्तर गुजरात में एक करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का टेंडर है.

क्या कहते हैं परिषद के अध्यक्ष?
स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में जो 25000 करोड़ का टेंडर उत्तर प्रदेश में खुला है. उसमें दो टेंडर अडाणी का खुला है, एक जीएमआर का और एक इंटेली स्मार्ट का. कुल मिलाकर यह बात तय हो गई कि देश का सबसे बड़ा निजी घराना स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को हथियाना चाहता है. जब स्मार्ट प्रीपेड मीटर टेंडर के बारे में पढ़ा गया कि आखिर मीटर कहां से लाए जाएंगे, तो अडानी के मामले में पाया गया कि वह मीटर जीएमआर, आर कैपिटल जीनस और एचपीएल से मीटर ले रहे हैं. इसका मतलब जो कंपनियां उत्तर प्रदेश में पहले से मीटर सप्लाई कर रही थीं, उन्हीं से स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदकर महंगे दामों में सप्लाई करने की योजना है.

महंगा टेंडर हथियाकर लगभग 65% हायर रेट पर टेंडर खोलने की तैयारी है, जो स्मार्ट मीटर 6,000 रुपये में मिल रहा था, वह 10,000 रुपये में मिलेगा .यह रेट (आरईसी) ने तय किया था. इनका टेंडर होता है तो 4,000 रुपये प्रति मीटर महंगा पड़ेगा. पूरे प्रोजेक्ट की बात करें तो लगभग 11,000 करोड़ का निजी घरानों को फायदा होगा. केंद्र सरकार लगातार उत्तर प्रदेश पर दबाव बना रही है कि जल्द टेंडर फाइनल करे. अगर टेंडर फाइनल होता है तो उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश में लगभग एक करोड़ 39 लाख लाइफलाइन उपभोक्ता हैं, जो इस समय बिजली का बिल दे रहे हैं. 100 यूनिट तक का तीन रुपये और 50 रुपये फिक्स चार्ज. ऊर्जा विभाग को बताना चाहिए कि ऐसा सिद्धांत क्यूं लागू कर रहे हैं, जिससे आपका फायदा नहीं, बल्कि नुकसान होगा. उत्तर प्रदेश में अगर इस तरह का टेंडर फाइनल किया जाता है, तो काफी नुकसान होगा. छोटे-छोटे क्लस्टर बनाए जाने चाहिए. इससे मीटर निर्माता कंपनी सीधे भाग ले सकें. बिचौलियों के रूप में निजी घराने टेंडर न हथियाएं. इस तरह के टेंडर को निरस्त करना चाहिए.

पढ़ेंः बिजली कंपनियों के घाटे पर ब्रेक लगाएंगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर, खत्म होगा बिल वसूली का झंझट

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