लखनऊ : उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग अपने अद्भुत कारनामों के लिए हमेशा ही चर्चा में रहता है. अब अपने डेटा को लेकर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड सुर्खियों में है. विभाग ने सभी परिवार को कनेक्शन उपलब्ध करने के लिए छात्रों और विद्युत सखी को रखा हुआ है. वह घर-घर जाकर सर्वे करते हैं कि इस घर में बिजली का कनेक्शन है या नहीं. अब जो अयोध्या और बरेली का बिजली विभाग का डाटा तैयार हुआ है वह काफी हास्यास्पद है. इन स्थानों पर तीन अक्टूबर को न छात्रों और न ही विद्युत सखियों ने कोई सर्वे किया, लेकिन इन तीनों जिलों का विद्युत संयोजन का डाटा कागजों पर चढ़ गया.
सर्वे करने वालों की संख्या शून्य, आंकड़े सैकड़ों घरों के सर्वे के
लखनऊ, अयोध्या, बरेली, देवीपाटन, लेसा सिस गोमती और लेसा ट्रांस गोमती में 75 छात्र और 17 विद्युत सखियों को हर परिवार का सर्वे करने का जिम्मा सौंपा गया है. 92 छात्र और विद्युत सखियां हर घर जाकर जानकारी हासिल कर रहे हैं कि बिजली के कनेक्शन की स्थिति क्या है. हास्यास्पद यह है कि लखनऊ, अयोध्या और बरेली में विभाग के कागज पर जो आंकड़ा चढ़ा है उसमें छात्रों और विद्युत सखियों की संख्या शून्य है. तीन अक्टूबर का जो आंकड़ा जारी हुआ है उसमें लखनऊ में 331, अयोध्या में 1,262 और बरेली में 115 घरों का सर्वे भी तैयार हो गया, जबकि विवरण तालिया में साफ-साफ दिख रहा है कि इन तीनों ही स्थानों में उस दिन किसी ने कोई सर्वे किया ही नहीं. कुल मिलाकर डाटा में बिजली विभाग खूब खेल कर रहा है.
उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं के परिसर पर लगे स्मार्ट मीटर बिल्कुल भी स्मार्ट नहीं हैं, वह सिर्फ नाम के स्मार्ट हैं. काम मैन्युअल ही कर रहे हैं. इसका खुलासा पिछले दिनों केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के उच्चधिकारियों की एक टीम की सर्वे रिपोर्ट से हुआ है. रोल आउट प्लान के तहत लाखों स्मार्ट मीटर धारक उपभोक्ताओं की संतुष्टि के मानक को चेक करने के ऊर्जा मंत्रालय की टीम ने स्मार्ट मीटर की जांच की थी. कुछ उपभोक्ताओं से मुलाकात की थी. अब ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जो रिपोर्ट जारी की गई है उसकी सूचना पाॅवर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक को भेजी गई है. रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि स्मार्ट मीटर जिस उद्देश्य के लिए लगाया गया था उसमें फेल साबित हुआ है, क्योंकि वह पूरी तरह मैनुअली काम कर रहा है. बिलिंग सॉफ्टवेयर को सही तरीके से चलाने के लिए एमडीएम का इंटीग्रेशन बाधित है. इससे जनरेशन ऑफ बिल और बकाया पर कनेक्शन काटने और जोडने में भी समस्या आ रही है. इसका बड़ा बुरा प्रभाव उपभोक्ताओं पर पड़ा है.
बिजली कंपनियों का उत्तर प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर में शिफ्ट करने की जो योजना है. इसके लिए तैयारी भी चल रही है, लेकिन अब इस योजना पर पानी फिर सकता है. उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट से तहलका मच गया है. टीम की स्मार्ट मीटर को लेकर नेगेटिव रिपोर्ट है. मंत्रालय का मानना है कि जब उत्तर प्रदेश में 12 लाख स्मार्ट मीटर का यह हाल है तो तीन करोड 35 लाख विद्युत उपभोक्ताओं पर जब यह व्यवस्था लागू की जाएगी तो शायद पूरी व्यवस्था इसी तरह चरमरा जाएगी.
ऊर्जा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि स्मार्ट मीटर को बकाए पर अपने आप ही कनेक्शन काट देना चाहिए, लेकिन जुलाई 2023 और अगस्त 2023 के आंकड़े यह बताते हैं कि स्मार्ट मीटर वाले 22 हजार 507 उपभोक्ता चिन्हित किए गए जिन पर बकाया था, लेकिन उसमें से केवल 18 हजार 499 कंज्यूमर डिस्कनेक्ट किए गए. जबकि 4,008 कंज्यूमर जो लगभग 17 प्रतिशत हैं, डिस्कनेक्ट नहीं हो पाए. रिपोर्ट में यह भी कहा कि स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं का जब बैलेंस 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत व 90 प्रतिशत बाकी रहता है तो उन्हें अलार्म अलर्ट मिलना चाहिए, लेकिन पिछले छह महीने से या सुविधा नहीं मिल पा रही है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने की टीम ने यह भी कहा है कि बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की रीडिंग मैन्युअल की जा रही है जो सही नहीं है. इससे स्मार्ट मीटर का उद्देश्य भटक रहा है.
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