लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक मुस्लिम को कांग्रेस से जोड़ने के लिए पार्टी की तरफ से खास रोड मैप तैयार किया गया है. पिछले एक महीने में पूर्वी उत्तर प्रदेश में ऐसी करीब 50 छोटी बैठकें कांग्रेस के तरफ से आयोजित हुई है. जिसमें मुस्लिम समाज का भरोसा जीतने के लिए कांग्रेस की तरफ से पुरजोर कोशिश की गई है. कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की तरफ से ऐसे कार्यक्रम पूरे प्रदेश में आयोजित करने की तैयारी में है. मुसलमानों को जोड़ने के लिए पश्चिम उत्तर प्रदेश व अवध प्रांत में भी इसी तरह की बैठकें और कार्यक्रमों के आयोजन की तैयारी शुरू की दी गई है.
मुस्लिम नेतृत्व को बढ़ावा देना लक्ष्य : अल्प अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने बताया कि 15 अक्टूबर को हमने सभी जिला कार्यालय में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर मुस्लिम समाज को कांग्रेस पार्टी से जोड़ने का संदेश दिया है. इसी तरह विभिन्न मदरसों में जाकर शिक्षकों के वेतन और दूसरे मुद्दे को लेकर बात की गई. इसी तरह बीते 25 अक्टूबर को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान की जयंती पर प्रत्येक जिले में 25 सेवानिवृत्ति सरकारी अधिकारियों का सम्मान किया था. कांग्रेस देश में मुस्लिम नेतृत्व के इतिहास को याद करके मुस्लिम समुदाय में दोबारा जगह हासिल करने की कोशिश कर रही है.
मुस्लिम समाज की हिस्सेदारी पर चर्चा : आलम का कहना है कि हम लोगों को बता रहे हैं कि कांग्रेस की एकमात्र पार्टी है जिसने आजादी के बाद देश को मुस्लिम नेता दिए. कांग्रेस देश में मुस्लिम नेतृत्व के इतिहास को याद करके मुस्लिम समुदाय में दोबारा जगह हासिल करने की कोशिश में है. हम मुस्लिम समाज के बीच में जाकर मुस्लिम समाज की हिस्सेदारी पर चर्चा कर रहे हैं. कांग्रेस मुसलमान को जो संदेश देना चाहती उसमें एक यह है कि उन्हें नकारात्मक मतदान बंद कर देना चाहिए. मुसलमान पर हमेशा यह धारणा या बोझ रहता है कि उन्हें भाजपा को हराने के लिए वोट देना चाहिए ऐसा क्यों? यही कारण है कि वह नकारात्मक मतदाता बन गए हैं और हमें इस सोच को बदलना है.
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