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यूपी में 100 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी ओवैसी की पार्टी AIMIM - उत्तर प्रदेश राजनीतिक समाचार

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लममीन (AIMIM) के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि उनकी पार्टी 100 से अधिक सीटों पर विधानसभा चुनाव (Assembly elections) लड़ेगी.

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असदुद्दीन ओवैसी.
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Published : Jun 15, 2021, 5:32 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 5:51 PM IST

लखनऊः यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है. जहां भारतीय जनता पार्टी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगातार बैठक कर चुनावी मंथन में जुटी हुई है. वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सभी पदाधिकारियों को अपने क्षेत्रों में सक्रियता बरतने के निर्देश दिए हैं.ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लममीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी उत्तर प्रदेश में सियासी दखल देने के लिए मजबूती के साथ लगे हुए हैं. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि उनकी पार्टी के प्रदेश में 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

असदुद्दीन ओवैसी ने जिस तरह से जनवरी में पूर्वांचल का दौरा किया था, उससे समाजवादी पार्टी की नींद उड़ी हुई है. सबसे खास बात यह है कि जिस दिन ओवैसी पूर्वांचल के दौरे पर थे, उसी दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पूर्वांचल के दौरे पर थे. इस दौरान ओवैसी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए यह कहा था कि 2012 से 2017 के दौरान 28 बार उत्तर प्रदेश में परमिशन की अनुमति नहीं मिली. वहीं, ओवैसी के इन बयानों पर समाजवादी पार्टी ने चुप्पी साध ली थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओवैसी की उत्तर प्रदेश में इंट्री से समाजवादी पार्टी किस कदर सदमे में है.

उत्तर प्रदेश में ओवैसी की एंट्री पर राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय का कहना है कि ओवैसी को वोट देने के बाद बिहार में जो राजनैतिक समीकरण बने उससे ओवैसी की खासी किरकिरी हुई. लोगों को ऐसा लगा कि इससे बहुमत के आंकड़े पर फर्क पड़ सकता है. इसी तरह पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी को नुकसान उठाना पड़ा. ओवैसी को वोट करने के लिए जनता तैयार नहीं है.

ETV BHARAT से टेलीफोन पर बातचीत में AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 131 विधानसभा की ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ऐसे में यदि भाजपा को रोकने के लिए सभी दल गंभीर हैं, तो सभी को मिलकर चुनाव लड़ना होगा. उत्तर प्रदेश में AIMIM को मजबूत करने के लिए लगातार बैठकर चल रही है. प्रदेश में जो भी गठबंधन बनेगा उसका हिस्सा एआईएमआईएम होगा. जिस गठबंधन में एआईएमआईएम शामिल नहीं होगा, वह 'ठगबंधन' होगा. शौकत अली ने कहा कि पार्टी प्रदेश के 25 फीसदी सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार जिस तरह से बार-बार यह कहते रहे हैं कि छोटे दलों के दरवाजे हमेशा समाजवादी पार्टी के लिए खुले हैं. जबकि अपने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाज पार्टी को 1 सीट देने की बात कही थी. ऐसे में जिस तरह से ओवैसी, ओमप्रकाश, ओमप्रकाश राजभर मिलकर एक सहयोगी मोर्चा बना रहे हैं. इस सहयोगी मोर्चे में शिवपाल यादव भी यदि शामिल होते हैं तो आने वाले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को अपने घर में भी चुनौती से निपटना होगा. दो दिन पहले ETV BHARAT से विशेष बातचीत में शिवपाल सिंह यादव ने यह बात कहा था कि भाजपा को हराने के लिए सभी दलों को एक साथ आना होगा, तभी हम मुकाबला कर पाएंगे.

यह भी पढ़ें-अंग्रेजों का 154 साल पुराना कानून खत्म करेगी योगी सरकार

बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री के साथ-साथ भागीदारी मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक ओमप्रकाश राजभर भी लगातार राजधानी लखनऊ में सहयोगी दलों के साथ बैठक कर रहे हैं. जिस तरह से भागीदारी मोर्चा ओवैसी के साथ 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हो रहा है. निश्चित रूप से इससे आने वाले समय में भाजपा को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

लखनऊः यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है. जहां भारतीय जनता पार्टी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक लगातार बैठक कर चुनावी मंथन में जुटी हुई है. वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सभी पदाधिकारियों को अपने क्षेत्रों में सक्रियता बरतने के निर्देश दिए हैं.ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लममीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी उत्तर प्रदेश में सियासी दखल देने के लिए मजबूती के साथ लगे हुए हैं. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि उनकी पार्टी के प्रदेश में 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

असदुद्दीन ओवैसी ने जिस तरह से जनवरी में पूर्वांचल का दौरा किया था, उससे समाजवादी पार्टी की नींद उड़ी हुई है. सबसे खास बात यह है कि जिस दिन ओवैसी पूर्वांचल के दौरे पर थे, उसी दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पूर्वांचल के दौरे पर थे. इस दौरान ओवैसी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए यह कहा था कि 2012 से 2017 के दौरान 28 बार उत्तर प्रदेश में परमिशन की अनुमति नहीं मिली. वहीं, ओवैसी के इन बयानों पर समाजवादी पार्टी ने चुप्पी साध ली थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओवैसी की उत्तर प्रदेश में इंट्री से समाजवादी पार्टी किस कदर सदमे में है.

उत्तर प्रदेश में ओवैसी की एंट्री पर राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय का कहना है कि ओवैसी को वोट देने के बाद बिहार में जो राजनैतिक समीकरण बने उससे ओवैसी की खासी किरकिरी हुई. लोगों को ऐसा लगा कि इससे बहुमत के आंकड़े पर फर्क पड़ सकता है. इसी तरह पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी को नुकसान उठाना पड़ा. ओवैसी को वोट करने के लिए जनता तैयार नहीं है.

ETV BHARAT से टेलीफोन पर बातचीत में AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 131 विधानसभा की ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ऐसे में यदि भाजपा को रोकने के लिए सभी दल गंभीर हैं, तो सभी को मिलकर चुनाव लड़ना होगा. उत्तर प्रदेश में AIMIM को मजबूत करने के लिए लगातार बैठकर चल रही है. प्रदेश में जो भी गठबंधन बनेगा उसका हिस्सा एआईएमआईएम होगा. जिस गठबंधन में एआईएमआईएम शामिल नहीं होगा, वह 'ठगबंधन' होगा. शौकत अली ने कहा कि पार्टी प्रदेश के 25 फीसदी सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार जिस तरह से बार-बार यह कहते रहे हैं कि छोटे दलों के दरवाजे हमेशा समाजवादी पार्टी के लिए खुले हैं. जबकि अपने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाज पार्टी को 1 सीट देने की बात कही थी. ऐसे में जिस तरह से ओवैसी, ओमप्रकाश, ओमप्रकाश राजभर मिलकर एक सहयोगी मोर्चा बना रहे हैं. इस सहयोगी मोर्चे में शिवपाल यादव भी यदि शामिल होते हैं तो आने वाले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को अपने घर में भी चुनौती से निपटना होगा. दो दिन पहले ETV BHARAT से विशेष बातचीत में शिवपाल सिंह यादव ने यह बात कहा था कि भाजपा को हराने के लिए सभी दलों को एक साथ आना होगा, तभी हम मुकाबला कर पाएंगे.

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बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री के साथ-साथ भागीदारी मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक ओमप्रकाश राजभर भी लगातार राजधानी लखनऊ में सहयोगी दलों के साथ बैठक कर रहे हैं. जिस तरह से भागीदारी मोर्चा ओवैसी के साथ 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हो रहा है. निश्चित रूप से इससे आने वाले समय में भाजपा को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा.

Last Updated : Jun 15, 2021, 5:51 PM IST
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