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UP Police : क्या आप को पता है एनसीआर और एफआईआर का अंतर, यदि नहीं तो पढ़िए विस्तृत खबर

एफआईआर और एनसीआर में क्या अंतर ( Do you know difference between NCR and FIR) है और किन-किन मामलों में दर्ज की जाती है. यदि आप भी इस जानकारी से अनभिज्ञ हैं तो यह खबर आपके लिए है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 25, 2023, 11:40 AM IST

लखनऊ : किसी आपराधिक घटना के होने पर लोग पुलिस के पास जाकर शिकायत करते हैं. जब कोई थाने पर पुलिस अधिकारी को शिकायती पत्र देता है तो पुलिस उसके साथ हुए अपराध की घटना की गंभीरता को देखता है. उसके बाद पुलिस दो तरह के केस दर्ज करती है. जिसमें एक तो प्रथम सूचना रिपोर्ट यानि एफआईआर और दूसरी एनसीआर. एनसीआर, एफआईआर से अलग होती है. आमतौर पर कम ही लोगों को यह पता भी होता है कि थाने में एनसीआर लिखी भी जाती है. ऐसे में आइए जानें क्या होती है एनसीआर और किन किन मामलों में की जाती है दर्ज और एफआईआर से क्यों है अलग.

एनसीआर को ऐसे समझें.
एनसीआर को ऐसे समझें.


जानिए क्या होती है एनसीआर : हमारे देश का पुलिस सिस्टम में कानून व्यवस्था को बनाए रखने और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए थानों का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है. इन्हीं थानों में आम लोगों की हर तरह की सुनवाई और अपराधियों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी होती है. यह कार्रवाई जिन नियमों के तहत होती है वह अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 1861 पुलिस एक्ट के होती है. इन्हीं कार्रवाई में से एक है नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट (NCR) जिसे हिंदी में गैर-संज्ञेय अपराध सूचना कहते हैं. यह ठीक प्रथम सूचना रिपोर्ट यानि कि एफआईआर की ही तरह होती है जो किसी अपराध के घटित होने पर थाने में पीड़ित द्वारा दर्ज कराई जाती है. हालांकि यह एफआईआर से अलग होती है.

थाने का निरीक्षण करती महिला पुलिस अधिकारी. फाइल फोटो
थाने का निरीक्षण करती महिला पुलिस अधिकारी. फाइल फोटो


एनसीआर दर्ज होने पर कार्रवाई का प्रावधान : जब किसी पीड़ित के साथ गैर संज्ञेय अपराध घटित होता है तो वह अपने निकटम थाने में जाकर तहरीर (शिकायती पत्र) देकर एफआईआर दर्ज करने के लिए कहता है तो पुलिस अपराध की प्रकृति को देख एनसीआर दर्ज कर लेती है. हालांकि एफआईआर और एनसीआर में सिर्फ अपराध की प्रकृति ही नहीं और भी फर्क होता है. उसमें एक यह भी कि एफआईआर दर्ज होने पर मामला कोर्ट में जाता है, लेकिन एनसीआर होने पर मामला थाने तक सीमित रहता है. ऐसे में जब एनसीआर दर्ज की जाती है तो पुलिस झगड़ा करने वालों को चेतावनी देती है या फिर शांति भंग की कार्रवाई करती है, लेकिन उसके बाद भी घटना दोबारा होती है तो पुलिस शिकायत आने पर एफआईआर दर्ज करती है.

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लखनऊ : किसी आपराधिक घटना के होने पर लोग पुलिस के पास जाकर शिकायत करते हैं. जब कोई थाने पर पुलिस अधिकारी को शिकायती पत्र देता है तो पुलिस उसके साथ हुए अपराध की घटना की गंभीरता को देखता है. उसके बाद पुलिस दो तरह के केस दर्ज करती है. जिसमें एक तो प्रथम सूचना रिपोर्ट यानि एफआईआर और दूसरी एनसीआर. एनसीआर, एफआईआर से अलग होती है. आमतौर पर कम ही लोगों को यह पता भी होता है कि थाने में एनसीआर लिखी भी जाती है. ऐसे में आइए जानें क्या होती है एनसीआर और किन किन मामलों में की जाती है दर्ज और एफआईआर से क्यों है अलग.

एनसीआर को ऐसे समझें.
एनसीआर को ऐसे समझें.


जानिए क्या होती है एनसीआर : हमारे देश का पुलिस सिस्टम में कानून व्यवस्था को बनाए रखने और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए थानों का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है. इन्हीं थानों में आम लोगों की हर तरह की सुनवाई और अपराधियों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी होती है. यह कार्रवाई जिन नियमों के तहत होती है वह अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 1861 पुलिस एक्ट के होती है. इन्हीं कार्रवाई में से एक है नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट (NCR) जिसे हिंदी में गैर-संज्ञेय अपराध सूचना कहते हैं. यह ठीक प्रथम सूचना रिपोर्ट यानि कि एफआईआर की ही तरह होती है जो किसी अपराध के घटित होने पर थाने में पीड़ित द्वारा दर्ज कराई जाती है. हालांकि यह एफआईआर से अलग होती है.

थाने का निरीक्षण करती महिला पुलिस अधिकारी. फाइल फोटो
थाने का निरीक्षण करती महिला पुलिस अधिकारी. फाइल फोटो


एनसीआर दर्ज होने पर कार्रवाई का प्रावधान : जब किसी पीड़ित के साथ गैर संज्ञेय अपराध घटित होता है तो वह अपने निकटम थाने में जाकर तहरीर (शिकायती पत्र) देकर एफआईआर दर्ज करने के लिए कहता है तो पुलिस अपराध की प्रकृति को देख एनसीआर दर्ज कर लेती है. हालांकि एफआईआर और एनसीआर में सिर्फ अपराध की प्रकृति ही नहीं और भी फर्क होता है. उसमें एक यह भी कि एफआईआर दर्ज होने पर मामला कोर्ट में जाता है, लेकिन एनसीआर होने पर मामला थाने तक सीमित रहता है. ऐसे में जब एनसीआर दर्ज की जाती है तो पुलिस झगड़ा करने वालों को चेतावनी देती है या फिर शांति भंग की कार्रवाई करती है, लेकिन उसके बाद भी घटना दोबारा होती है तो पुलिस शिकायत आने पर एफआईआर दर्ज करती है.

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