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नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी, सीएम ने दिया प्रमाण पत्र - पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में बुधवार को शामली और मऊ जिले में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए अनुबंध हुए. इसके अलावा मिशन निरामया के तहत प्रदेश के सभी नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग जारी की गई.

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Published : Jul 12, 2023, 6:13 PM IST

नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी. देखें खबर

लखनऊ : प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के लिए बुधवार के दिन ऐतिहासिक रहा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में एक ओर जहां शामली और मऊ जिले में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए अनुबंध हुए. वहीं मिशन निरामयाः के तहत प्रदेश के सभी नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग जारी की गई. यही नहीं, नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता सुधार के लिए अपनाई गई 'मेंटॉर-मेंटी' प्रक्रिया के तहत आठ नए संस्थानों को मेंटॉर का प्रमाण पत्र दिया गया.

नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी.
नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी.

मुख्यमंत्री ने इन बातों पर दिया जोर

वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में मात्र 12 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन 2017 के बाद प्रधानमंत्री की 'एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की परिकल्पना को साकार करते हुए आज उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो रही है. आज 45 जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जबकि 16 जिलों में निर्माणाधीन हैं. मऊ और शामली जैसे जिले, जो आज से 06 वर्ष पहले अन्य कारकों से जाने जाते थे, वहां आज मेडिकल कॉलेज स्थापित हो रहे है. मऊ माफिया के कारण भयभीत रहता था, शामली में पलायन का दंश था, लेकिन आज इन दोनों ही जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो रही है. यह किसी सपने के साकार होने जैसा है.

मेडिकल क्षेत्र के लिए डिप्टी सीएम का वादा.
मेडिकल क्षेत्र के लिए डिप्टी सीएम का वादा.



योगी ने कहा कि पिछली सरकारों ने पैरामेडिकल और नर्सिंग संस्थानों को उपेक्षित रखा था. स्टेट मेडिकल फैकल्टी खुद बीमार थी और गुणवत्तापरक शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं था. ऐसे में 'मिशन निरामयाः' की आवश्यकता थी, जिसे सरकार ने बढ़ाया. इसके तहत 12 अच्छे संस्थानों को मेंटॉर के रूप में चिन्हित किया गया. मेंटॉर-मेंटी की नीति के साथ आगे बढ़ी सुधार की प्रक्रिया का ही परिणाम है कि आज 08 और संस्थान मेंटॉर के रूप में अपग्रेड हो गए हैं.

सीएम योगी ने दिया प्रमाण पत्र.
सीएम योगी ने दिया प्रमाण पत्र.



यूपी की तर्ज पर देश के सभी नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की हो रही रेटिंग

'मिशन निरामयाः' जैसे अभिनव प्रयास के लिए मुख्यमंत्री के विजन को प्रेरक बताते हुए क्यूसीआई के सेक्रेटरी जनरल आरपी सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के इस प्रयास का अनुकरण करते हुए नीति आयोग ने इंडियन नर्सिंग कॉउंसिल को ऐसी ही व्यवस्था पूरे देश में लागू करने का परामर्श दिया है. इससे पहले क्यूसीआई सेक्रेटरी जनरल ने रेटिंग तय करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 34 दिन के भीतर क्यूसीआई की टीम प्रदेश के हर संस्थान नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थान में गई, वहां तय मानकों पर शैक्षिक गुणवत्ता की परख की गई. शुचिता का ध्यान रखते हुए परीक्षकों ने बॉडी वार्न कैमरे लगाए हुए थे और पूरे परीक्षण प्रक्रिया की विधिवत रिकॉर्डिंग की जा रही थी. परीक्षण के बाद 267 संस्थानों ने अपनी अपील सबमिट की थी, सभी को उनके वीडियो दिखाकर उनकी आपत्तियों का समुचित समाधान किया गया. इसमें 64 ने अपनी समस्याएं भी रखीं और अंततः सभी की आपत्तियों व जिज्ञासा का समाधान करते हुए अन्तिम रूप से संस्थानों और पाठ्यक्रमों की रेटिंग तैयार की गई और आज एक भी संस्थान ऐसा नहीं जो अपनी रेटिंग से असंतुष्ट हो.

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के चुनाव का हंगामेदार आगाज, देर रात आएंगे परिणाम

नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी. देखें खबर

लखनऊ : प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के लिए बुधवार के दिन ऐतिहासिक रहा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में एक ओर जहां शामली और मऊ जिले में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए अनुबंध हुए. वहीं मिशन निरामयाः के तहत प्रदेश के सभी नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग जारी की गई. यही नहीं, नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता सुधार के लिए अपनाई गई 'मेंटॉर-मेंटी' प्रक्रिया के तहत आठ नए संस्थानों को मेंटॉर का प्रमाण पत्र दिया गया.

नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी.
नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की रेटिंग कराने वाला देश का पहला राज्य बना यूपी.

मुख्यमंत्री ने इन बातों पर दिया जोर

वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में मात्र 12 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन 2017 के बाद प्रधानमंत्री की 'एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की परिकल्पना को साकार करते हुए आज उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो रही है. आज 45 जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जबकि 16 जिलों में निर्माणाधीन हैं. मऊ और शामली जैसे जिले, जो आज से 06 वर्ष पहले अन्य कारकों से जाने जाते थे, वहां आज मेडिकल कॉलेज स्थापित हो रहे है. मऊ माफिया के कारण भयभीत रहता था, शामली में पलायन का दंश था, लेकिन आज इन दोनों ही जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो रही है. यह किसी सपने के साकार होने जैसा है.

मेडिकल क्षेत्र के लिए डिप्टी सीएम का वादा.
मेडिकल क्षेत्र के लिए डिप्टी सीएम का वादा.



योगी ने कहा कि पिछली सरकारों ने पैरामेडिकल और नर्सिंग संस्थानों को उपेक्षित रखा था. स्टेट मेडिकल फैकल्टी खुद बीमार थी और गुणवत्तापरक शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं था. ऐसे में 'मिशन निरामयाः' की आवश्यकता थी, जिसे सरकार ने बढ़ाया. इसके तहत 12 अच्छे संस्थानों को मेंटॉर के रूप में चिन्हित किया गया. मेंटॉर-मेंटी की नीति के साथ आगे बढ़ी सुधार की प्रक्रिया का ही परिणाम है कि आज 08 और संस्थान मेंटॉर के रूप में अपग्रेड हो गए हैं.

सीएम योगी ने दिया प्रमाण पत्र.
सीएम योगी ने दिया प्रमाण पत्र.



यूपी की तर्ज पर देश के सभी नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की हो रही रेटिंग

'मिशन निरामयाः' जैसे अभिनव प्रयास के लिए मुख्यमंत्री के विजन को प्रेरक बताते हुए क्यूसीआई के सेक्रेटरी जनरल आरपी सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के इस प्रयास का अनुकरण करते हुए नीति आयोग ने इंडियन नर्सिंग कॉउंसिल को ऐसी ही व्यवस्था पूरे देश में लागू करने का परामर्श दिया है. इससे पहले क्यूसीआई सेक्रेटरी जनरल ने रेटिंग तय करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 34 दिन के भीतर क्यूसीआई की टीम प्रदेश के हर संस्थान नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थान में गई, वहां तय मानकों पर शैक्षिक गुणवत्ता की परख की गई. शुचिता का ध्यान रखते हुए परीक्षकों ने बॉडी वार्न कैमरे लगाए हुए थे और पूरे परीक्षण प्रक्रिया की विधिवत रिकॉर्डिंग की जा रही थी. परीक्षण के बाद 267 संस्थानों ने अपनी अपील सबमिट की थी, सभी को उनके वीडियो दिखाकर उनकी आपत्तियों का समुचित समाधान किया गया. इसमें 64 ने अपनी समस्याएं भी रखीं और अंततः सभी की आपत्तियों व जिज्ञासा का समाधान करते हुए अन्तिम रूप से संस्थानों और पाठ्यक्रमों की रेटिंग तैयार की गई और आज एक भी संस्थान ऐसा नहीं जो अपनी रेटिंग से असंतुष्ट हो.

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