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यूपी के कई मदरसों पर विदेशी फंडिंग समेत कई इल्जाम, अब एसआईटी करेगी काम तमाम

देश में संचालित मदरसों में शैक्षिक कार्यों को बढ़ावा देने के नाम पर हो रही विदेशी फंडिंग (Foreign Funding in Madrassas) के दुरुपयोग की जांच होगी. यूपी सरकार को शक है कि विदेशों से आ रही रकम का इस्तेमाल देश विरोधी व अवैध मतांतरण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने में हो रहा है. इसके लिए एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 21, 2023, 10:57 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में संचालित मदरसों में विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है. एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल, एसपी साइबर क्राइम डॉक्टर त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की डायरेक्टर जे. रीभा एसआईटी में शामिल हैं. एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआईटी जांच करेगी. यूपी सरकार को संदेह है कि नेपाल सीमा से सटे जिलों में बीते कुछ वर्षों में मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की आशंका को बढ़ाती है. इसी के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग की जांच के लिए एडीजी एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) तीन सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया गया है.

एसआईटी कसेंगी मदरसों पर शिकंजा.
एसआईटी कसेंगी मदरसों पर शिकंजा.


एसआईटी में एसपी साइबर क्राइम प्रो. त्रिवेणी सिंह व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा बतौर सदस्य शामिल होंगी. चार हजार से अधिक गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को विदेशी फंडिंग की जानकारी सामने आई है, जिसके दृष्टिगत जांच का आदेश दिया गया है. प्रदेश में 16 हजार 513 मान्यता प्राप्त व आठ हजार 500 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं. सूत्रों का कहना है कि एसआईटी सभी 25 हजार मदरसों में हो रही फंडिंग की सिलसिलेवार जांच करेगी. सभी मदरसों को नोटिस देकर फारेन करेंसी अकाउंट (ईईएफसी) के माध्यम से हो रहे लेनदेन की जानकारी मांगी जाएगी. इसके बाद उन मदरसों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें विदेशों से रकम भेजी जा रही है. फिर इस बात की जांच होगी कि किन-किन देश से रकम भेजी गई है और इसका प्रयोग किन-किन गतिविधियों में किया गया है.


एक अधिकारी के अनुसार नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत के अलावा आसपास के कुछ अन्य जिलों में पांच सौ से एक हजार तक मदरसे संचालित हो रहे हैं. नेपाल सीमा से सटे जिलों में बीते कुछ वर्षों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है. बीते दिनों अल्पसंख्यक विभाग ने कई जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच भी की थी. जिसमें कई मदरसों के आय के स्रोत को लेकर स्पष्ट जानकारियां सामने नहीं आ पाई थीं. अब मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग की गहनता से जांच होगी.

यह भी पढ़ें : यूपी मदरसा बोर्ड की बैठक में नियमावली में संशोधन को लेकर बनी सहमति

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लखनऊ : प्रदेश में संचालित मदरसों में विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है. एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल, एसपी साइबर क्राइम डॉक्टर त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की डायरेक्टर जे. रीभा एसआईटी में शामिल हैं. एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआईटी जांच करेगी. यूपी सरकार को संदेह है कि नेपाल सीमा से सटे जिलों में बीते कुछ वर्षों में मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे की आशंका को बढ़ाती है. इसी के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग की जांच के लिए एडीजी एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) तीन सदस्यीय एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया गया है.

एसआईटी कसेंगी मदरसों पर शिकंजा.
एसआईटी कसेंगी मदरसों पर शिकंजा.


एसआईटी में एसपी साइबर क्राइम प्रो. त्रिवेणी सिंह व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा बतौर सदस्य शामिल होंगी. चार हजार से अधिक गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को विदेशी फंडिंग की जानकारी सामने आई है, जिसके दृष्टिगत जांच का आदेश दिया गया है. प्रदेश में 16 हजार 513 मान्यता प्राप्त व आठ हजार 500 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं. सूत्रों का कहना है कि एसआईटी सभी 25 हजार मदरसों में हो रही फंडिंग की सिलसिलेवार जांच करेगी. सभी मदरसों को नोटिस देकर फारेन करेंसी अकाउंट (ईईएफसी) के माध्यम से हो रहे लेनदेन की जानकारी मांगी जाएगी. इसके बाद उन मदरसों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें विदेशों से रकम भेजी जा रही है. फिर इस बात की जांच होगी कि किन-किन देश से रकम भेजी गई है और इसका प्रयोग किन-किन गतिविधियों में किया गया है.


एक अधिकारी के अनुसार नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत के अलावा आसपास के कुछ अन्य जिलों में पांच सौ से एक हजार तक मदरसे संचालित हो रहे हैं. नेपाल सीमा से सटे जिलों में बीते कुछ वर्षों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है. बीते दिनों अल्पसंख्यक विभाग ने कई जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच भी की थी. जिसमें कई मदरसों के आय के स्रोत को लेकर स्पष्ट जानकारियां सामने नहीं आ पाई थीं. अब मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग की गहनता से जांच होगी.

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