लखनऊ: उत्तर प्रदेश के दो आईएएस समेत पांच अधिकारी उत्तर प्रदेश लोकायुक्त की जांच (UP Lokayukta started probe) के दायरे में आ गए हैं. इन अधिकारियों पर आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग में तैनाती के दौरान चहेती निजी कंपनियों को कार्य आवंटित किया था. लोकायुक्त संगठन ने आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टतया साक्ष्य पाये हैं. इसके बाद आरोपी अधिकारियों से शपथ पत्र के साथ जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
IAS अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त जांच (UP Lokayukta probe against IAS officers) के लिए जिन अधिकारियों को नोटिस जारी की गई है, उनमें अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद, सचिव प्रांजल यादव, संयुक्त सचिव प्राणेश चंद्र शुक्ला, अनुसचिव चंदन कुमार रावत और अपर निदेशक डीके सिंह शामिल है. इनमें चार आरोपी अधिकारी उस समय शासन के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में तैनात थे, जबकि एक महानिदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं में तैनात थे.
उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध प्रथमदृष्ट्या साक्ष्य पाए जाने पर शिकायतकर्ता महेश चंद्र श्रीवास्तव के परिवाद को अंतिम जांच के लिए स्वीकार कर लिया है. लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार सिंह के मुताबिक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद, तत्कालीन विशेष सचिव प्रांजल यादव, तत्कालीन संयुक्त सचिव प्राणेश चंद्र शुक्ला व तत्कालीन अनुभाग अधिकारी चंदन कुमार रावत के अलावा महानिदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं में तैनात अपर निदेशक विद्युत डीके सिंह के विरुद्ध वर्ष 2021 में परिवाद (संख्या 1560) प्रस्तुत किया गया था.
राजधानी के रहने वाले शिकायतकर्ता महेश चन्द्र श्रीवास्तव ने इन अधिकारियों की शिकायत की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड में पिछले कई वर्षों से मुख्य अभियंता (विद्युत) का पद रिक्त होने के बावजूद संबंधित विभाग द्वारा विद्युत कार्यों के लिए टेंडर प्रकाशित किया जा रहा है. साथ ही आरोपी अफसरों पर अनुचित लाभ प्राप्त कर अपनी चहेती फर्म को कार्य आवंटित किया जा रहा है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन निर्माण के लिए मानक निर्धारित है, जिसमें अग्निशमन व्यवस्था (फायर फाइटिंग) का कार्य भी शामिल है.
विभाग ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड को चयनित किया था. परिवाद को अंतिम जांच के लिए स्वीकार करने के बाद उप लोकायुक्त ने आरोपी अफसरों से शिकायत के बिन्दुओं पर उनका स्पष्टीकरण और शपथपत्र पर साक्ष्य मांगे हैं.
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