लखनऊ : इसी साल फरवरी माह में प्रदेश सरकार ने निवेशकों को लुभाने के लिए 'ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' का आयोजन किया था, जिसमें देश-विदेश के लगभग पच्चीस हजार डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया था. समापन पर सरकार ने दावा किया था कि इन्वेस्टर्स समिट में करीब 35 लाख करोड़ के 20,652 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. यह आंकड़ा बहुत ही उम्मीदों पर है, लेकिन इन उम्मीदों को हकीकत बनाने के लिए सरकार को अभी कई कदम उठाने होंगे. हालांकि सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन निवेश जब तक धरातल पर न उतर आए, तब तक आशंका तो बनी ही रहती है.
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में आए निवेश को धरती पर उतारने के लिए सरकार ने प्रयास आरंभ कर दिए हैं. इसके लिए अगस्त माह में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन करने की तैयारी है, जिसमें लगभग दस लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों की आधारशिला रखी जानी है. लोकसभा चुनावों के ठीक पहले होने वाली इस ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में यदि सरकार को सफलता मिली तो निश्चित रूप से उसे इसका लाभ चुनावों में भी मिलेगा. अभी सरकार का फोकस लैंड बैंक बढ़ाने पर है, ताकि निवेशकों को भूमि संबंधी कोई समस्या न होने पाए. इस दिशा में सरकार ने काफी काम किया है. उम्मीद की जा रही है कि निवेशकों को भूमि से जुड़ी समस्या नहीं होगी.
विगत पांच साल में बेहतरीन कानून व्यवस्था देने वाली योगी सरकार की साख पर पिछले दिनों हुई कुछ वारदातों ने बट्टा लगाया है. इस दिशा में सरकार को अब और ध्यान देना होगा. सड़कों को लेकर भी सरकार अच्छा काम कर रही है. उद्योगों को बिजली और पानी की भी बहुत आवश्यकता होती है. सरकार को बिजली आपूर्ति सुधारने की दिशा में और काम करने होंगे. अभी मांग बढ़ने पर आपूर्ति प्रभावित होने लगती है. पानी के लिए भी भूजल पर निर्भरता कम करने की जरूरत है, क्योंकि प्रदेश में जलस्तर लगातार गिर रहा है और यह भविष्य में बड़ी समस्या बनेगा. प्रदेश ने उड्डयन के क्षेत्र में भी काफी तरक्की की है. राज्य में पांच अंतरराष्ट्रीय और 16 घरेलू हवाई अड्डे तैयार हो रहे हैं, जहां से अस्सी से अधिक स्थानों के लिए हवाई सेवाएं दी जाएंगी. स्वाभाविक है कि यह स्थिति उद्यमियों को प्रभावित करने वाली है.
गौरतलब है कि इसी वर्ष 10 से 12 फरवरी तक लखनऊ में 'यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' का आयोजन किया गया था, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था. सरकार ने बेहतर कानून-व्यवस्था, आधारभूत ढांचा, निवेश अनुकूल नीतियों और बड़े उपभोक्ता बाजार के दम पर निवेशकों को आमंत्रित किया था. समिट में 10 देशों ने कंट्री पार्टनर के रूप में तथा 40 देशों के 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने सहभागिता की थी, जिसमें लगभग रु.35 लाख करोड़ के 20,652 एमओयू पर हस्ताक्षरित किए गए थे. यदि क्षेत्रवार बात करें, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 16 लाख 70 हजार 741 करोड़ रुपये, पूर्वांचल में 9 लाख 55 हजार करोड़ रुपये, बुंदेलखंड में 4 लाख 27 हजार 873 करोड़ रुपये तथा मध्यांचल में 4 लाख 27 हजार 876 करोड़ रुपये का निवेश आया था. सरकार का दावा है कि इस निवेश से प्रदेश में एक करोड़ 41 लाख से ज्यादा नौकरियों का सृजन होगा.
इस संबंध में आर्थिक मामलों के जानकारी डॉ वीरेश कुमार बताते हैं 'बिजली और कानून व्यवस्था पर सरकार को अभी और काम करने की जरूरत है. कुछ क्षेत्रों में सरकार ने उम्दा काम किया है. अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या के बाद लखनऊ में अदालत के बाहर जिस तरह से जीवा की हत्या हुई है, उससे एक बार फिर कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठे हैं. हालांकि इससे पहले सरकार ने अच्छा काम किया है. सरकार को नौकरशाही और 'इंस्पेक्टर राज' को भी दुरुस्त करना होगा. भ्रष्टाचार के कारण फाइलें आगे नहीं बढ़ पातीं. यह बड़ी समस्या है और इसका भी निदान करना होगा. सबसे बड़ी बात है उद्यमियों का भरोसा जीतना. यदि सरकार उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल देने में सफल रही तो कोई कारण नहीं है कि निवेशक उत्तर प्रदेश से दूर रह सकें.'