लखनऊ: होमगार्ड विभाग में उजागर हुए घोटाले को लेकर उत्तर प्रदेश के होमगार्डों ने आवाज बुलंद कर दी है. शनिवार को राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश होमगार्ड अवैतनिक अधिकारी और कर्मचारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर होमगार्डों की समस्याओं पर आवाज बुलंद की. इस दौरान होमगार्ड एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपनी परेशानियों की ओर ध्यान आकर्षित कर विभिन्न मांगें रखी.
मीडिया से बातचीत में उत्तर प्रदेश होमगार्ड अवैतनिक अधिकारी और कर्मचारी एसोसिएशन ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि उत्तर प्रदेश होमगार्ड जवानों की ईपीएफ व्यवस्था को शासन स्तर पर तत्काल प्रभाव से मंजूरी देकर लागू करें.
होमगार्ड एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मांगें-
- होमगार्ड जवानों को पुलिस बल के बराबर अधिकार दिए जाए.
- होमगार्डों की ड्यूटी लगाने वाले प्लाटून कमांडर, जिला कमांडेंट और उनके कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों की संपत्ति और परिसंपत्तियों की जांच की जाए.
- होमगार्ड जवानों की एनआईसी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन ड्यूटी ब्यौरा उपलब्ध कराया जाए.
- निष्पक्ष और ईमानदार छवि आईपीएस जसवीर सिंह को होमगार्ड विभाग में पुनः नियुक्त किया जाए.
- होमगार्ड की आर्थिक स्थितियों को देखते हुए एरियर का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए.
- निर्धारित किया जाए कि होमगार्ड केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं या राज्य सरकार के कर्मचारी हैं. निर्धारण के बाद होमगार्डों को सुविधाएं उपलब्ध कराईं जाएं.
- 60 वर्ष की अधिक आयु पूर्ण करने वाले होमगार्ड जवानों को उनकी सेवा के आधार पर पेंशन उपलब्ध कराई जाए.
- थानों में पुलिस बैरक की भांति ड्यूटी करने वाले होमगार्ड जवानों के ठहरने और आराम करने हेतु अलग से होमगार्ड बैरक का निर्माण किया जाए.
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष ने दी जानकारी
होमगार्ड विभाग में उजागर हुए घोटाले को लेकर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रामेंद्र कुमार यादव ने कहा की होमगार्ड विभाग में अधिकारियों ने खूब मनमानी की है. होमगार्डों के पेट को काटकर अपनी तिजोरियां भरी हैं. घोटाला उजागर हुआ है. घोटाले की जांच संदिग्ध है, क्योंकि घोटाले की जांच की जिम्मेदारी जिला कमांडेंट को दी गई है. ऐसे में जब लापरवाही जिला कमांडेंट के स्तर से ही की गई है तो फिर घोटाले की निष्पक्ष जांच कैसे संभव है. ऐसे में हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हैं कि घोटाले की निष्पक्ष जांच किसी अन्य उच्च अधिकारी या एजेंसी से कराई जाए.