लखनऊ: दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच हुए संघर्ष को पूर्व डीजीपी यूपी प्रकाश सिंह अत्यंत ही निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों ही पक्षों पुलिस और वकील की तरफ से कानून की सीमाओं को लांघने का काम किया गया, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. कानून की सीमा लांघी गई उसके कारण ही यह घटना इतना विकराल रूप धारण कर चुकी है.
पुलिस के बड़े अधिकारियों को हस्तक्षेप करना चाहिए और कार्रवाई बराबर-बराबर की जानी चाहिए. पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश प्रकाश सिंह ने ईटीवी से बात करते हुए पुलिसकर्मियों को बेहतर ट्रेनिंग देने की भी बात कही, जिससे पुलिस की कार्य संस्कृति में सुधार हो और इस प्रकार की घटनाएं न हो.
कानून के रक्षकों ने तोड़ा कानून
जो घटनाक्रम हो रहा है वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. सवाल यह है कि घटनाक्रम कैसे शुरू हुआ? एक के बाद घटनाएं घटीं इसका विवरण सामने आया है. गाड़ी की गलत पार्किंग को लेकर विवाद शुरू हुआ था. पुलिस ने कुछ कार्रवाई की, अत्याधिक बल प्रयोग किया गया. प्रतिक्रिया स्वरूप वकीलों ने कानून को अपने हाथ में ले लिया. प्रथम दृष्टया लगता है कि दोनों तरफ से कानून की सीमा को लांघने का काम किया गया है.
दोनों तरफ से हुई गलतियां
पुलिस की तरफ से भी और वकीलों की तरफ से भी गलतियां हुईं. सोशल मीडिया पर जो कुछ प्रसारित हो रहा है, मैं उसे देखने की कोशिश करता हूं. पुलिस की तरफ से अधिक बल प्रयोग करने की बात नहीं दिखाई दे रही है. संभवत हो सकता है कि वह वीडियो अपलोड नहीं हुए हो, लेकिन वकीलों की तरफ से जो कार्रवाई हुई, उसे सोशल मीडिया पर तेजी से फैलाया गया और लोगों ने देखा भी है.
वकीलों के खिलाफ नहीं हुआ कोई एक्शन
इसको देखने से यह स्पष्ट है कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया पुलिसकर्मियों पर बर्बरता पूर्ण आक्रमण किया. कहने का मतलब कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के विरुद्ध आदेश भी पारित किए. आदेश शिरोधार्य है मैं समझता हूं कि जो तथ्य दिल्ली हाईकोर्ट के सामने रखे गए होंगे. उसे देखते हुए आदेश पारित किया गया. कार्रवाई को लेकर पुलिसकर्मियों को जो परेशानी है. जिस बात को लेकर उनमें रोष है उनको यह लगता है कि कार्रवाई एकतरफा हुई. दोषी दोनों तरफ के लोग थे. वकीलों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ, इसको लेकर पुलिस कर्मियों में रोष हुआ.
जिसकी तरफ से गोली चलाई गई उस पर हो कार्रवाई
इस पूरे घटना को किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं कहा जा सकता. यह पूरी घटना बहुत ही आपत्तिजनक है. पानी सर से ऊपर उतर रहा है. हम से यह अपेक्षा की जाती है कि अपने कर्तव्य का पालन करते समय अपनी जान भी दे दी जाती है. दोनों तरफ से गलती हुई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुई कि पुलिसकर्मियों की पिटाई की जाए, जिसकी तरफ से गोली चलाई गई, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए, एफआईआर दर्ज हो, लेकिन वकीलों की तरफ से पिटाई की घटना हुई.
वकीलों की तरफ से अपनाया गया आक्रामक रुख
हर घटना को संज्ञान में लेना पड़ेगा. पुलिसकर्मियों को भी दिखाना चाहिए कि एकतरफा कार्रवाई नहीं हुई. हर व्यक्ति की अपनी सीमा होती है, लेकिन सीमा पार हो चुकी है. जिस तरीके से प्रदर्शन दिखाया है बहुत दुख देने वाला है. कई जगहों पर भी लिखा गया कि पुलिस की तुलना कुत्ते से की गई. इस तरह की घिनौनी बातें नहीं होनी चाहिए. वकीलों की तरफ से काफी आक्रामक रुख अपनाया गया, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है.
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पुलिसकर्मियों के व्यवहार पर दिया जवाब
राज्य सरकारों की तरफ से वह कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है. पुलिसकर्मी को सिर्फ और सिर्फ कानून को लागू करने के लिए ही है. ऐसे भाव से काम करने की आवश्यकता है. एक पक्ष को पकड़ा दूसरे पक्ष को छोड़ दिया. समान व्यवहार से कार्रवाई की दिशा में काम करने के बारे में पुलिसकर्मियों को काम करना होगा. सामंतवादी मानसिकता से पुलिस के ऊपर उठना होगा. जब तक हम यह सोच नहीं लाएंगे तब तक पुलिस की वर्किंग में कमी रहेगी ही और सुधार नहीं हो पाएगा.