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पुलिस-वकील विवाद पर बोले पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह, दोनों ओर से लांघा गया कानून - लखनऊ खबर

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच हुए संघर्ष को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों को बेहतर ट्रेनिंग देने की जरूरत है, जिससे इस प्रकार की घटनाएं न हों.

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने पुलिस-वकील विवाद पर दिया बयान.
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Published : Nov 5, 2019, 11:03 PM IST

लखनऊ: दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच हुए संघर्ष को पूर्व डीजीपी यूपी प्रकाश सिंह अत्यंत ही निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों ही पक्षों पुलिस और वकील की तरफ से कानून की सीमाओं को लांघने का काम किया गया, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. कानून की सीमा लांघी गई उसके कारण ही यह घटना इतना विकराल रूप धारण कर चुकी है.

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने पुलिस-वकील विवाद पर दिया बयान.

पुलिस के बड़े अधिकारियों को हस्तक्षेप करना चाहिए और कार्रवाई बराबर-बराबर की जानी चाहिए. पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश प्रकाश सिंह ने ईटीवी से बात करते हुए पुलिसकर्मियों को बेहतर ट्रेनिंग देने की भी बात कही, जिससे पुलिस की कार्य संस्कृति में सुधार हो और इस प्रकार की घटनाएं न हो.

कानून के रक्षकों ने तोड़ा कानून
जो घटनाक्रम हो रहा है वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. सवाल यह है कि घटनाक्रम कैसे शुरू हुआ? एक के बाद घटनाएं घटीं इसका विवरण सामने आया है. गाड़ी की गलत पार्किंग को लेकर विवाद शुरू हुआ था. पुलिस ने कुछ कार्रवाई की, अत्याधिक बल प्रयोग किया गया. प्रतिक्रिया स्वरूप वकीलों ने कानून को अपने हाथ में ले लिया. प्रथम दृष्टया लगता है कि दोनों तरफ से कानून की सीमा को लांघने का काम किया गया है.

दोनों तरफ से हुई गलतियां
पुलिस की तरफ से भी और वकीलों की तरफ से भी गलतियां हुईं. सोशल मीडिया पर जो कुछ प्रसारित हो रहा है, मैं उसे देखने की कोशिश करता हूं. पुलिस की तरफ से अधिक बल प्रयोग करने की बात नहीं दिखाई दे रही है. संभवत हो सकता है कि वह वीडियो अपलोड नहीं हुए हो, लेकिन वकीलों की तरफ से जो कार्रवाई हुई, उसे सोशल मीडिया पर तेजी से फैलाया गया और लोगों ने देखा भी है.

वकीलों के खिलाफ नहीं हुआ कोई एक्शन
इसको देखने से यह स्पष्ट है कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया पुलिसकर्मियों पर बर्बरता पूर्ण आक्रमण किया. कहने का मतलब कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के विरुद्ध आदेश भी पारित किए. आदेश शिरोधार्य है मैं समझता हूं कि जो तथ्य दिल्ली हाईकोर्ट के सामने रखे गए होंगे. उसे देखते हुए आदेश पारित किया गया. कार्रवाई को लेकर पुलिसकर्मियों को जो परेशानी है. जिस बात को लेकर उनमें रोष है उनको यह लगता है कि कार्रवाई एकतरफा हुई. दोषी दोनों तरफ के लोग थे. वकीलों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ, इसको लेकर पुलिस कर्मियों में रोष हुआ.

जिसकी तरफ से गोली चलाई गई उस पर हो कार्रवाई
इस पूरे घटना को किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं कहा जा सकता. यह पूरी घटना बहुत ही आपत्तिजनक है. पानी सर से ऊपर उतर रहा है. हम से यह अपेक्षा की जाती है कि अपने कर्तव्य का पालन करते समय अपनी जान भी दे दी जाती है. दोनों तरफ से गलती हुई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुई कि पुलिसकर्मियों की पिटाई की जाए, जिसकी तरफ से गोली चलाई गई, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए, एफआईआर दर्ज हो, लेकिन वकीलों की तरफ से पिटाई की घटना हुई.

वकीलों की तरफ से अपनाया गया आक्रामक रुख
हर घटना को संज्ञान में लेना पड़ेगा. पुलिसकर्मियों को भी दिखाना चाहिए कि एकतरफा कार्रवाई नहीं हुई. हर व्यक्ति की अपनी सीमा होती है, लेकिन सीमा पार हो चुकी है. जिस तरीके से प्रदर्शन दिखाया है बहुत दुख देने वाला है. कई जगहों पर भी लिखा गया कि पुलिस की तुलना कुत्ते से की गई. इस तरह की घिनौनी बातें नहीं होनी चाहिए. वकीलों की तरफ से काफी आक्रामक रुख अपनाया गया, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: सीएम योगी ने सहकारिता में RTGS सुविधा का किया शुभारंभ

पुलिसकर्मियों के व्यवहार पर दिया जवाब
राज्य सरकारों की तरफ से वह कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है. पुलिसकर्मी को सिर्फ और सिर्फ कानून को लागू करने के लिए ही है. ऐसे भाव से काम करने की आवश्यकता है. एक पक्ष को पकड़ा दूसरे पक्ष को छोड़ दिया. समान व्यवहार से कार्रवाई की दिशा में काम करने के बारे में पुलिसकर्मियों को काम करना होगा. सामंतवादी मानसिकता से पुलिस के ऊपर उठना होगा. जब तक हम यह सोच नहीं लाएंगे तब तक पुलिस की वर्किंग में कमी रहेगी ही और सुधार नहीं हो पाएगा.

लखनऊ: दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच हुए संघर्ष को पूर्व डीजीपी यूपी प्रकाश सिंह अत्यंत ही निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों ही पक्षों पुलिस और वकील की तरफ से कानून की सीमाओं को लांघने का काम किया गया, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. कानून की सीमा लांघी गई उसके कारण ही यह घटना इतना विकराल रूप धारण कर चुकी है.

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने पुलिस-वकील विवाद पर दिया बयान.

पुलिस के बड़े अधिकारियों को हस्तक्षेप करना चाहिए और कार्रवाई बराबर-बराबर की जानी चाहिए. पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश प्रकाश सिंह ने ईटीवी से बात करते हुए पुलिसकर्मियों को बेहतर ट्रेनिंग देने की भी बात कही, जिससे पुलिस की कार्य संस्कृति में सुधार हो और इस प्रकार की घटनाएं न हो.

कानून के रक्षकों ने तोड़ा कानून
जो घटनाक्रम हो रहा है वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. सवाल यह है कि घटनाक्रम कैसे शुरू हुआ? एक के बाद घटनाएं घटीं इसका विवरण सामने आया है. गाड़ी की गलत पार्किंग को लेकर विवाद शुरू हुआ था. पुलिस ने कुछ कार्रवाई की, अत्याधिक बल प्रयोग किया गया. प्रतिक्रिया स्वरूप वकीलों ने कानून को अपने हाथ में ले लिया. प्रथम दृष्टया लगता है कि दोनों तरफ से कानून की सीमा को लांघने का काम किया गया है.

दोनों तरफ से हुई गलतियां
पुलिस की तरफ से भी और वकीलों की तरफ से भी गलतियां हुईं. सोशल मीडिया पर जो कुछ प्रसारित हो रहा है, मैं उसे देखने की कोशिश करता हूं. पुलिस की तरफ से अधिक बल प्रयोग करने की बात नहीं दिखाई दे रही है. संभवत हो सकता है कि वह वीडियो अपलोड नहीं हुए हो, लेकिन वकीलों की तरफ से जो कार्रवाई हुई, उसे सोशल मीडिया पर तेजी से फैलाया गया और लोगों ने देखा भी है.

वकीलों के खिलाफ नहीं हुआ कोई एक्शन
इसको देखने से यह स्पष्ट है कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया पुलिसकर्मियों पर बर्बरता पूर्ण आक्रमण किया. कहने का मतलब कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के विरुद्ध आदेश भी पारित किए. आदेश शिरोधार्य है मैं समझता हूं कि जो तथ्य दिल्ली हाईकोर्ट के सामने रखे गए होंगे. उसे देखते हुए आदेश पारित किया गया. कार्रवाई को लेकर पुलिसकर्मियों को जो परेशानी है. जिस बात को लेकर उनमें रोष है उनको यह लगता है कि कार्रवाई एकतरफा हुई. दोषी दोनों तरफ के लोग थे. वकीलों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ, इसको लेकर पुलिस कर्मियों में रोष हुआ.

जिसकी तरफ से गोली चलाई गई उस पर हो कार्रवाई
इस पूरे घटना को किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं कहा जा सकता. यह पूरी घटना बहुत ही आपत्तिजनक है. पानी सर से ऊपर उतर रहा है. हम से यह अपेक्षा की जाती है कि अपने कर्तव्य का पालन करते समय अपनी जान भी दे दी जाती है. दोनों तरफ से गलती हुई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुई कि पुलिसकर्मियों की पिटाई की जाए, जिसकी तरफ से गोली चलाई गई, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए, एफआईआर दर्ज हो, लेकिन वकीलों की तरफ से पिटाई की घटना हुई.

वकीलों की तरफ से अपनाया गया आक्रामक रुख
हर घटना को संज्ञान में लेना पड़ेगा. पुलिसकर्मियों को भी दिखाना चाहिए कि एकतरफा कार्रवाई नहीं हुई. हर व्यक्ति की अपनी सीमा होती है, लेकिन सीमा पार हो चुकी है. जिस तरीके से प्रदर्शन दिखाया है बहुत दुख देने वाला है. कई जगहों पर भी लिखा गया कि पुलिस की तुलना कुत्ते से की गई. इस तरह की घिनौनी बातें नहीं होनी चाहिए. वकीलों की तरफ से काफी आक्रामक रुख अपनाया गया, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: सीएम योगी ने सहकारिता में RTGS सुविधा का किया शुभारंभ

पुलिसकर्मियों के व्यवहार पर दिया जवाब
राज्य सरकारों की तरफ से वह कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है. पुलिसकर्मी को सिर्फ और सिर्फ कानून को लागू करने के लिए ही है. ऐसे भाव से काम करने की आवश्यकता है. एक पक्ष को पकड़ा दूसरे पक्ष को छोड़ दिया. समान व्यवहार से कार्रवाई की दिशा में काम करने के बारे में पुलिसकर्मियों को काम करना होगा. सामंतवादी मानसिकता से पुलिस के ऊपर उठना होगा. जब तक हम यह सोच नहीं लाएंगे तब तक पुलिस की वर्किंग में कमी रहेगी ही और सुधार नहीं हो पाएगा.

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लखनऊ। दिल्ली में पुलिस और वकीलों के बीच हुए संघर्ष को पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश प्रकाश सिंह अत्यंत ही निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं। वह कहते हैं कि वकीलों और पुलिस की तरफ से अति की गई है, दोनों ही पक्षों की तरफ से पुलिस और वकील की तरफ से कानून की सीमाओं को लगने का काम किया गया जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। कानून की सीमा लांघी गई उसके कारण ही यह घटना इतना विकराल रूप धारण कर चुकी है पुलिस के बड़े अधिकारियों को हस्तक्षेप करना चाहिए और कार्यवाही बराबर बराबर की जानी चाहिए इस मामले का पटाक्षेप हो सके।
पूर्व डीजीपी उत्तर प्रदेश प्रकाश सिंह ने ईटीवी से बात करते हुए पुलिस कर्मियों को बेहतर ट्रेनिंग देने की भी बात कही जिससे पुलिस की कार्य संस्कृति में सुधार हो और इस प्रकार की घटनाएं ना हो।




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प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी यूपी
जो घटनाक्रम रहा वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है जो पुलिस और वकीलों के बीच संघर्ष हुआ आमने-सामने की स्थिति बनी है दुर्भाग्यपूर्ण है सवाल यह है कि घटनाक्रम कैसे शुरू हुआ एक के बाद देकर घटनाएं घटी इसका विवरण सामने आया है गाड़ी की गलत पार्किंग को लेकर विवाद शुरू हुआ था पुलिस ने कुछ कार्यवाही की अत्याधिक बल प्रयोग किया पुलिस ने प्रतिक्रिया स्वरुप वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया फिर यह चेन रिएक्शन करती रही जाहिर है प्रथम दृष्टया लगता है दोनों तरफ से कानून की सीमा को लाने का काम किया गया है पुलिस की तरफ से भी वकील की तरफ से भी।
पुलिस की तरफ से भी और वकीलों की तरफ से भी गलतियां हुई सोशल मीडिया पर जो कुछ प्रसारित हो रहा है कोशिश करता हूं मैं उसे देखने की पुलिस की तरफ से अधिक बल प्रयोग करने की बात नहीं दिखाई दे रही। संभवत हो सकता है कि वह वीडियो अपलोड नहीं हुए हो लेकिन वकीलों की तरफ से जो कार्यवाही हुई उसे सोशल मीडिया पर तेजी से फैलाया गया और लोगों ने देखा भी है उसको देखने से यह स्पष्ट है कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया पुलिसकर्मियों पर बर्बरता पूर्ण आक्रमण किया। कहने का मतलब कि वकीलों ने कानून को अपने हाथ में लिया कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के विरुद्ध आदेश भी पारित किए आदेश शिरोधार्य है मैं समझता हूं कि जो तथ्य दिल्ली हाई कोर्ट के सामने रखे गए होंगे उसे देखते हुए आदेश पारित किया गया कार्यवाही को लेकर पुलिसकर्मियों को जो परेशानी है जिस बात को लेकर उनमें रोष है उनको यह लगता कार्यवाही एकतरफा हुई दोषी दोनों तरफ के लोग थे वकीलों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ इसको लेकर पुलिस कर्मियों में रोष हुआ और फिर यह घटना बड़ी हुई घटना का एक विभाग स्वरूप लगातार होता चला जा और इस पूरे घटना को किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं कहा जा सकता यह पूरी घटना बहुत ही आपत्तिजनक है बिजली विभाग के कर्मचारी जब सड़क पर उतरते हैं तो कोई बात नहीं जो लोग पढ़ते हैं वही लोग उनके ऊपर हमें जाना होगा पानी सर से ऊपर उतर रहा है हम से यह अपेक्षा की जाती है कि अपने कर्तव्य का पालन करते समय अपनी जान भी दे दी आती हुई है दोनों तरफ से गलती हुई है लेकिन इसका मतलब यह नहीं हुई कि पुलिसकर्मियों की पिटाई की जाए, जिसकी तरफ से गोली चलाई गई उसके खिलाफ कार्यवाही करिए, एफआईआर दर्ज करिए लेकिन वकीलों की तरफ से पिटाई की घटना हुई लेकिन हर घटना को संज्ञान में लेना पड़ेगा पुलिसकर्मियों को भी दिखाना चाहिए कि एकतरफा कार्यवाही नहीं हुई इसको लेकर ही वह लोग और रोष है घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण है। हर व्यक्ति की अपनी सीमा होती है कि सीमा पार हो चुकी है अब यह सोचना पड़ेगा कि ज्यादा पढ़े लिखे होते हैं वकील एलएलबी पड़ा है कोर्स किया है ज्यादा पढ़े लिखे दरोगा सिपाही से तो ज्यादा पढ़े लिखे होते हैं हम तो यही कहेंगे कि आप से ज्यादा उम्मीद की जाती है कानून की सीमा में रहे जो कुछ काम करें करें लेकिन जिस तरीके से प्रदर्शन दिखाया है बहुत दुख देने वाला है अगर आप इस तरह करेंगे कई जगहों पर भी लिखा गया कि पुलिस की तुलना कुत्ते से की गई इस तरह की घिनौनी बातें नहीं होनी चाहिए वकीलों की तरफ से काफी आक्रामक रुख अपनाया गया जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है जो पुलिसकर्मियों के सम्मान को चोट पहुंचाता है यह सरकार को तय करना है आगे देखते हैं किस प्रकार को किया जाता है आश्वासन हो जाए दोनों को बराबर न्याय मिलेगा किस बात का आश्वासन दिया जाना चाहिए इसी करना पड़ेगा।
पुलिसकर्मियों के व्यवहार इस सवाल पर कहा कि इसकी बराबर चर्चा होती चाहिए हमारा व्यवहार बदलना चाहिए हमारा एटीट्यूड ठीक होना चाहिए यह सारी बातें होती रहती यह कि इस दिशा में जो दोस्त ठोस कदम उठाने चाहिए राज्य सरकारों की तरफ से वह कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही उनको यह लगता है कि सारे राज्यों को एक उस पर नहीं रखा जा सकता लेकिन बहुत से जो राज्य है जो पुलिसकर्मियों को समझते हैं कि कि वह हमारे सिर्फ एक आयत की तरह ही हैं विरोधियों को जेल में डाल दें और हमारे आदमी को छोड़ दे यह जो मानसिकता है यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है पुलिसकर्मियों को सिर्फ और सिर्फ कानून को लागू करने के लिए ही है ऐसे भाव से काम करने की आवश्यकता है एक पक्ष को पकड़ा दूसरे पक्ष को छोड़ दिया समान व्यवहार से कार्यवाही की दिशा में काम करने के बारे में पुलिसकर्मियों को काम करना होगा सामंतवादी मानसिकता से पुलिस के ऊपर उठना होगा जब तक हम यह सोच नहीं लाएंगे तब तक पुलिस की वर्किंग में कमी रहेगी ही और सुधार नहीं हो पाएगा।
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा कि जो कुछ मैंने थोड़ा बहुत टीवी पर देखा है कि पुलिस के बड़े अधिकारी कोशिश कर रहे हैं कि अधीनस्थ कर्मचारियों को काम पर लौटने का प्रयास भी कर रहे हैंकि धरना प्रदर्शन बंद कर दें और अधिकारियों में विश्वास करते हुए आगे की एकतरफा नहीं दो तरफा कार्यवाही होगी दूसरे पक्ष पर भी दंडित करने की कार्यवाही होगी यह आश्वासन दे रहे हैं धीरे-धीरे यह उनमें विश्वास होगा और फिर सामान्य होगी ऐसी मुझे आशा है।




Conclusion:ध्यानार्थ डेस्क सहयोगी, फीड लाइव यू से कैमरामैन धीरज कुमार ने भेजी है।

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