लखनऊ: यूपी की योगी सरकार प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई और प्रयास करने में जुटी है. उसका एक और प्रयास यह है कि उत्तर प्रदेश के किसान अब खेतों में फल, फूल, अनाज और सब्जियों की खेती के अलावा बिजली भी पैदा करें. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने किसानों के लिए सोलर प्लांट लगाने की योजना की शुरुआत की है. प्रदेश के किसान उपजाऊ भूमि में फसलों की खेती करेंगे तो अपनी बंजर भूमि में सोलर प्लांट लगाकर बिजली पैदा करेंगे और इससे उनकी कमाई में इजाफा होगा. यूपी में वैकल्पिक ऊर्जा की पहुंच और उससे लाभ पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि सबको बिजली, पर्याप्त बिजली, निर्बाध बिजली, सस्ती बिजली और स्वच्छ बिजली का संकल्प लेकर पीएम मोदी के आशीर्वाद से यूपी में योगी सरकार चल रही है. यूएन ने सतत विकास के जो 16 लक्ष्य तय किए हैं, उनमें से एक स्वच्छ बिजली है. उस पर हम काम कर रहे हैं. कैसे सस्ती बिजली दी जाए क्योंकि बिजली लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं में से एक है. प्रदेश में जो व्यवस्था हमें मिली थी वह बहुत जर्जर थी. उस जर्जर व्यवस्था में हमने जिला मुख्यालय को 24 घंटे, तहसील को 20 घंटे और गांव को 18 घंटे बिजली का लक्ष्य तय किया.
कृषि के लिए एग्रीकल्चर फीडर अलग किया गया
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि अभी हमने एग्रीकल्चर फीडर अलग किया है. उससे गांव में बिना किसी व्यवधान के निर्बाध रूप से बिजली आने वाले समय में मिलेगी. कृषि के लिए रात में ठिठुरते ठंड में किसान को अपने खेत में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. बिजली पूरे दिन उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि वह अपने दिन के समय में ही खेत की सिंचाई कर सकें. अब तक दो हजार से ज्यादा फीडर हमारे अलग हो चुके हैं. यह सभी फीडर खासतौर पर पश्चिमांचल और दक्षिणांचल में हैं. वहां पर सुबह सात बजे से लेकर शाम को पांच बजे तक बिजली देने का रोस्टर तैयार किया है. उसके अनुसार किसानों को बिजली मिल रही है.
कंज्यूमर की समस्या निदान पर सरकार का पूरा जोर
लो वोल्टेज की समस्या के समाधान के लिए हम उपकेंद्रों की स्थापना कर रहे हैं. पूरे सिस्टम को कंज्यूमर फ्रेंडली बनाने का प्रयास किया है. उपभोक्ता को सुनने के लिए 1912 हमारा हेल्पलाइन नंबर है. हम लोग अपने फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप के अलावा एसएमएस के माध्यम से भी कंज्यूमर की समस्या सुनते हैं. मंत्री से लेकर जेई और एसडीओ तक उपभोक्ता के प्रति जवाबदेही तय की गई है. अभी आसान किस्त योजना चल रही है, क्योंकि पहले बिल नहीं जाता था. अब जब आप बिजली बाहर से लेंगे तो पैसा देना पड़ेगा. इसके लिए सभी लोग समय पर अपना बिल देंगे तो हमने 24 घंटे बिजली देने का जो लक्ष्य तय किया है, उसको पूरा कर सकेंगे.
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साल 2022 तक 10700 मेगावाट वैकल्पिक ऊर्जा का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि सोलर एनर्जी को लेकर योगी सरकार की प्लानिंग पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा कहते हैं कि देखिए हम पीएम मोदी का अभिनंदन करते हैं. उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं कि सूर्य देशों का समूह बना है. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कभी भारत को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता था, लेकिन यह एक ऐसा समूह है, जिसका नेतृत्व भारत कर रहा है. उसका कार्यालय भी गुरुग्राम में है. यूपी में 2022 तक 10700 मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य हमने तय किया है. इस वैकल्पिक ऊर्जा के लक्ष्य की ओर हम लोग निरंतर बढ़ रहे हैं. बुंदेलखंड में सोलर पार्क बन रहे थे उनकी प्रगति भी है. मैं मानता हूं जो 2022 तक का लक्ष्य तय किया गया है. उसको हम समय पर पूरा करेंगे. स्वच्छ बिजली की मैंने बात की है. स्वच्छ बिजली का मतलब तभी पूरा होता है जब हम वैकल्पिक ऊर्जा पर ज्यादा ध्यान दें.
उपयोग से बची हुई बिजली बेचकर कमाई कर सकेंगे किसान
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि किसान खेती करता है. अब वह बिजली भी पैदा करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुशल महत्वाकांक्षी योजना है, तो उसमें ए, बी, सी तीन कंपोनेंट हैं. उसमें ए-कंपोनेंट के तहत किसान की बंजर भूमि पर किसान स्वयं अपना सोलर प्लांट लगा सकता है. अगर वह ऐसा नहीं करना चाहता है, तो वह अपनी जमीन को लीज पर भी देकर सोलर प्लांट के माध्यम से धन का उपार्जन कर सकता है. प्रदेश में तमाम किसान ऐसे हैं जिनके पास बंजर भूमि अच्छी मात्रा में है. वे किसान अपनी ऐसी खाली पड़ी भूमि को भी कमाई का जरिया बना सकेंगे.
यूपी के ट्यूबवेल भी सोलर एनर्जी से चलेंगे
प्रदेश में हमारे जितने भी ट्यूबवेल हैं, उनको सौर ऊर्जा से चलाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. जल्द ही आने वाले समय में ट्यूबवेल को सोलराइज करने के लिए अभियान चलेगा. आने वाले समय में यदि कोई ट्यूबवेल का कनेक्शन चाहता है, तो हम सोलर पैनल के माध्यम से साढ़े सात हार्स पावर का ट्यूबवेल उसको उपलब्ध कराएंगे. इसकी कीमत लगभग तीन लाख 30 हजार आती है. उसमें केंद्र और राज्य की मिलाकर सब्सिडी दो लाख रुपये के आसपास होती है. किसान को केवल एक लाख 30 हजार रुपये ही देने पड़ेंगे. इससे जनहानि पशु हानि रुकेगी. तारों का जाल कम होगा. उससे मुक्ति मिलेगी. किसान अपनी भूमि में पैदा की गई बिजली उपयोग के बाद बचने पर चाहे तो यूपीपीसीएल को बेच सकेगा. इससे उसकी कमाई में इजाफा होगा.