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लखनऊः विद्युत नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से 7 दिन में मांगी रिपोर्ट

उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की साजिश पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किया गया है. इस प्रत्यावेदन पर विद्युत नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से सात दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

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Published : Sep 15, 2020, 5:27 AM IST

विद्युत नियामक आयोग
विद्युत नियामक आयोग

लखनऊः आगामी 24 सितम्बर को होने वाली आम जनता की बिजली दर सुनवाई मामले के पहले उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की साजिश पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किया है. उपभोक्ता परिषद् के प्रत्यावेदन पर सुनवाई करते हुए विद्युत नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से सात दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

उपभोक्ता परिषद् ने मुददा उठाया कि पावर कॉरपारेशन की उच्च स्तरीय जांच समिति की जांच में यह खुलासा कर दिया गया है कि टोरेन्ट पावर कम्पनी ने बिजली कम्पनी का लगभग 2221 करोड़ पुराना बकाया अभी तक दबा कर रखा है. एटीएनसी हानियां आज तक 15 प्रतिशत पर नहीं आई. सैकडों करोड़ रुपये रेग्यूलेटरी सरचार्ज का दबा लिया और वहीं दूसरी ओर बिजली कम्पनी महंगी बिजली 5.26 रुपये प्रति यूनिट में खरीदकर टोरेन्ट पावर को 4.45 रुपये प्रति यूनिट में बेच रहा है. इससे प्रत्येक वर्ष 162 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. इसका खामियाजा बिजली दर में प्रदेश की जनता भुगत रही है. इसके बावजूद प्रदेश के दूसरे डिस्काम पूर्वांचल में निजीकरण की साजिश पूरी तरह जनविरोधी है. इस पर हस्तक्षेप करते हुए नियामक आयोग तत्काल रोक लगाए. बिजनेस प्लान के तहत पूर्वांचल को सुधार की दिशा में आगे बढ़ाए.

उपभोक्ता परिषद की तरफ से सौंपे गए लोक महत्व प्रत्यावेदन पर विद्युत नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने सभी बिन्दुओं पर सात दिन के अन्दर पावर कॉरपोरेशन से रिपोर्ट तलब की है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आयोग में दाखिल लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन में उपभोक्ता परिषद ने वर्ष 2013 में दाखिल याचिका में आयोग द्वारा पारित आदेश को आधार बनाया है. जिसमें आयोग ने यह आदेश पारित किया गया था कि ’’डिस्कामों द्वारा जिन भी विद्युत क्षेत्रों में निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की भावी कार्ययोजना है, उससे विद्युत उपभोक्ताओं को भविष्य में क्या लाभ होगा एवं निजीकरण एवं फ्रेंचाइजीकरण के लिए चयन का मुख्य आधार क्या है? इस विषय से आयोग को अवगत कराएं.

इस आधार पर बिजली दर सुनवाई के बीच टोरेन्ट द्वारा अनुबन्धों का उल्लंघन की रिपोर्ट आने के बाद दूसरे डिस्काम पूर्वांचल के निजीकरण की साजिश उपभोक्ता विरोधी कार्रवाई का अंग है. आयोग अविलम्ब हस्तक्षेप कर इस पूरी असंवैधानिक प्रक्रिया पर रोक लगाए. परिषद ने दाखिल अपनी याचिका में आपत्तियों के माध्यम से यह गंभीर मुद्दा भी उठाया कि जब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा आयोग में दाखिल बिजनेस प्लान में अगले 5 वर्षों में व्यापक सुधार के लिये 8801 करोड़ रुपये खर्च होना प्रस्तावित कर दिया है और यह स्वीकार किया है कि सुधार की योजनाओं पर काम शुरू हो गया है, फिर भी जनहित में उसे निजी घरानों को सौंपने की साजिश करना अपने आप में बड़ा सवाल है.

यह भी पढ़ेंः-आगरा में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम का नाम होगा छत्रपति शिवाजी

परिषद ने अपने प्रत्यावेदन के साथ अनेकों वित्तीय पैरामीटर सौंपते हुए आगामी 24 सितम्बर को होने वाली सुनवाई के पहले पावर कॉरपोरेशन से जवाब मंगाने का निवेदन किया, जिससे इस गंभीर मुददे पर चर्चा हो सके.

लखनऊः आगामी 24 सितम्बर को होने वाली आम जनता की बिजली दर सुनवाई मामले के पहले उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की साजिश पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किया है. उपभोक्ता परिषद् के प्रत्यावेदन पर सुनवाई करते हुए विद्युत नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से सात दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

उपभोक्ता परिषद् ने मुददा उठाया कि पावर कॉरपारेशन की उच्च स्तरीय जांच समिति की जांच में यह खुलासा कर दिया गया है कि टोरेन्ट पावर कम्पनी ने बिजली कम्पनी का लगभग 2221 करोड़ पुराना बकाया अभी तक दबा कर रखा है. एटीएनसी हानियां आज तक 15 प्रतिशत पर नहीं आई. सैकडों करोड़ रुपये रेग्यूलेटरी सरचार्ज का दबा लिया और वहीं दूसरी ओर बिजली कम्पनी महंगी बिजली 5.26 रुपये प्रति यूनिट में खरीदकर टोरेन्ट पावर को 4.45 रुपये प्रति यूनिट में बेच रहा है. इससे प्रत्येक वर्ष 162 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. इसका खामियाजा बिजली दर में प्रदेश की जनता भुगत रही है. इसके बावजूद प्रदेश के दूसरे डिस्काम पूर्वांचल में निजीकरण की साजिश पूरी तरह जनविरोधी है. इस पर हस्तक्षेप करते हुए नियामक आयोग तत्काल रोक लगाए. बिजनेस प्लान के तहत पूर्वांचल को सुधार की दिशा में आगे बढ़ाए.

उपभोक्ता परिषद की तरफ से सौंपे गए लोक महत्व प्रत्यावेदन पर विद्युत नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने सभी बिन्दुओं पर सात दिन के अन्दर पावर कॉरपोरेशन से रिपोर्ट तलब की है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आयोग में दाखिल लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन में उपभोक्ता परिषद ने वर्ष 2013 में दाखिल याचिका में आयोग द्वारा पारित आदेश को आधार बनाया है. जिसमें आयोग ने यह आदेश पारित किया गया था कि ’’डिस्कामों द्वारा जिन भी विद्युत क्षेत्रों में निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की भावी कार्ययोजना है, उससे विद्युत उपभोक्ताओं को भविष्य में क्या लाभ होगा एवं निजीकरण एवं फ्रेंचाइजीकरण के लिए चयन का मुख्य आधार क्या है? इस विषय से आयोग को अवगत कराएं.

इस आधार पर बिजली दर सुनवाई के बीच टोरेन्ट द्वारा अनुबन्धों का उल्लंघन की रिपोर्ट आने के बाद दूसरे डिस्काम पूर्वांचल के निजीकरण की साजिश उपभोक्ता विरोधी कार्रवाई का अंग है. आयोग अविलम्ब हस्तक्षेप कर इस पूरी असंवैधानिक प्रक्रिया पर रोक लगाए. परिषद ने दाखिल अपनी याचिका में आपत्तियों के माध्यम से यह गंभीर मुद्दा भी उठाया कि जब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा आयोग में दाखिल बिजनेस प्लान में अगले 5 वर्षों में व्यापक सुधार के लिये 8801 करोड़ रुपये खर्च होना प्रस्तावित कर दिया है और यह स्वीकार किया है कि सुधार की योजनाओं पर काम शुरू हो गया है, फिर भी जनहित में उसे निजी घरानों को सौंपने की साजिश करना अपने आप में बड़ा सवाल है.

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परिषद ने अपने प्रत्यावेदन के साथ अनेकों वित्तीय पैरामीटर सौंपते हुए आगामी 24 सितम्बर को होने वाली सुनवाई के पहले पावर कॉरपोरेशन से जवाब मंगाने का निवेदन किया, जिससे इस गंभीर मुददे पर चर्चा हो सके.

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