लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बुधवार (22 फरवरी) को अपना वित्तीय बजट पेश करेगी. विधानसभा सदन में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगे जो उत्तर प्रदेश को विकास की राह पर आगे ले जाने में मददगार साबित हो सकेगा. सबसे खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश का बजट उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के अनुपात में केंद्र की तुलना में काफी बेहतर माना जाता है. केंद्र सरकार कि जो अर्थव्यवस्था है वह 3.5 ट्रिलियन की मानी जाती है और उसकी तुलना में केंद्र सरकार का जो बजट है वह .5 ट्रिलियन का है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन और अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में उत्तर प्रदेश काफी बेहतर काम कर रहा है.
बजट प्रबंधन और बजट के अनुपात को लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर एपी तिवारी से बात की, जिन्होंने इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि 'जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का जो बजट आकार है. उसकी तुलना में केंद्र सरकार का बजट रेश्यो और अर्थव्यवस्था काफी कम है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के सहारे देश की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन तक ले जाने में बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की होगी.
वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रोफेसर एपी तिवारी बताते हैं कि 'बजट की जब हम बात करते हैं, तब पूरे भारत के लिए जो राष्ट्रीय आय का आकार है वह मौजूदा लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर है. इसको 5 ट्रिलियन तक ले जाना है. साथ ही जो बजट का आकार है भारत सरकार का .5 ट्रिलियन है. ऐसे में जो अनुमान बैठता है जो बजट भारत सरकार का है वह जीडीपी के सापेक्ष या पूरे भारत की आय के सापेक्ष देखेंगे तो वह मौजूदा दरों में लगभग 14.3% बैठता है, जबकि उत्तर प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश में स्थिति यह है कि सात लाख करोड़ के बराबर का बजट हो सकता है, जो पेश होगा. इसके साथ ही अगर देखें जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद जीएसडीपी है, उसका आकार 20.48 लाख करोड़ रुपए है. यह जो बजट जीएसडीपी के सापेक्ष जो बैठ रहा है वह 34.17 फीसद बैठता है. बड़े महत्वपूर्ण बात है कि बजट का आकार इस तरह सापेक्षता यूपी का बजट काफी ज्यादा पड़ रहा है. तुलना में जो पूरे भारत का बजट है और पूरे भारत की जो राष्ट्रीय आय है उसके सापेक्ष इससे एक निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उत्तर प्रदेश पूरी तरह से तत्पर है और उसके लिए उसकी प्रतिबद्धता है कि 1 ट्रिलियन डॉलर के बराबर लक्ष्य हासिल कर लिया जाए. क्योंकि एक ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करता है तो भारत के लिए भी यह सुगम होगा कि वह 5 ट्रिलियन डॉलर के बराबर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल कर ले.