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कोरोना की तीसरी लहर में मरीजों की दूसरी बीमारी ज्यादा ले रहीं जान - उत्तर प्रदेश डेल्टा वैरियंट केस

कोरोना की तीसरी लहर में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट ने लोगों को चपेट में लेना शुरू किया. यूपी के 90 फीसद मरीजों की जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट में 90 फीसद में ओमिक्रोन वैरिएंट पाया गया. अब इसका प्रसार सामुदायिक स्तर पर हो रहा है. वहीं यह वैरिएंट पहले से विभिन्न रोगों से पीड़ित व्यक्तियों की जान ले रहा है. वर्तमान में यूपी में 93 हजार कोरोना के एक्टिव केस हैं.

कोरोना की तीसरी लहर
कोरोना की तीसरी लहर
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Published : Jan 27, 2022, 2:01 PM IST

लखनऊ : तीसरी लहर में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट ने लोगों को चपेट में लेना शुरू किया. यूपी के मरीजों की जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट में 90 फीसद में ओमिक्रोन वैरिएंट पाया गया. अब इसका प्रसार सामुदायिक स्तर पर होने लगा है. वहीं यह वैरिएंट पहले से विभिन्न रोगों से पीड़ित व्यक्तियों की जान ले रहा है. कोरोना की दूसरी लहर बेहद घातक साबित हुई थी. इसमें 90 फीसद में डेल्टा वैरिएंट पाया गया. इस घातक वैरिएंट ने सीधे फेफड़ों पर अटैक किया, जिससे हजारों लोगों की मौत हो गई.

यूपी में वर्तमान में 93 हजार कोरोना के एक्टिव केस हैं. इसमें सिर्फ डेढ़ फीसद ही अस्पताल में भर्ती हैं. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक अस्पताल में भर्ती कोरोना के मरीजों में ज्यादातर गुर्दा, लिवर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर समेत अन्य रोगों से पीड़ित हैं. शेष मरीज घर पर ही ठीक हो रहे हैं. वहीं एसजीपीजीआई के डायरेक्टर डॉ. धीमान के मुताबिक अस्पताल में कोविड मरीज़ों की हो रही मौतों में से 95 फीसद दूसरी बीमारी से पीड़ित हैं.

जौनपुर: कोरोना वायरस को लेकर जिला अस्पताल अलर्ट, मरीजों के लिए 10 बेड का आइसोलेशन वार्

जिला हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ. एके शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के लिए शासन के निर्देश के क्रम में एक 10 बेड का आइसोलेटेड वार्ड तैयार करा दिया गया है. कोई मरीज संदिग्ध मिला तो, उसको प्रोटेक्टिव मास्क पहनाया जाएगा, साथ ही हॉस्पिटल का स्टाफ भी पहनेगा. उसका स्वाप कल्चर करके एनआईबी पुणे भेजा जायेगा. एक पैथोलॉजिस्ट एवं लैब टेक्नीशियन की ड्यूटी लगाई गई है.


इन रोगियों को खतरा ज्यादा
60 वर्ष की आयु से आधिक वाले लोग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, मोटापा से पीड़ित,कैंसर, किडनी, लिवर, हार्ट, डायबिटीज, सीओपीडी, आईएलडी, अस्थमा,हाइपरटेंशन, निमोनिया पीड़ित, ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रोगियों को वायरस से ज्यादा खतरा है. इसके अलावा पहली व दूसरी लहर में लंबे दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले, स्टेरॉयड थेरेपी लेने वाले, इम्यूनोसप्रेशन थेरेपी, लंग फाइब्रोसिस, ब्लैक फंगस से पीड़ित रहे मरीज भी बचाव रखें. खासकर रोगी डॉक्टर के बिना परामर्श के अपनी दवाएं ब्रेक न करें. समय-समय पर परामर्श भी लेते रहें.


जनवरी में यूं शुरू हुआ मौतों का सिलसिला
आठ जनवरी 6,411 6
नौ जनवरी 7,695 4
10 जनवरी 8,334 4
11 जनवरी 11,089 5
12 जनवरी 13,681 3
13 जनवरी 14,765 6
14 जनवरी 16,016 3
15 जनवरी 15,795 4
16 जनवरी 17, 185 10
17 जनवरी 15,662 9
18 जनवरी 14,803 12
19 जनवरी 17,776 07
20 जनवरी 18, 554 10
21 जनवरी 16, 826 22
22 जनवरी 16,716 16
23 जनवरी 13,830 19


ओमिक्रोन के लक्षण

थकान, जोड़ों का दर्द, सर्दी और सिरदर्द ओमिक्रॉन के चार प्रमुख सामान्य लक्षण हैं. इसके अलावा नाक बहना, छींक आना,गले में खराश, भूख न लगना जैसे लक्षण भी ओमिक्रॉन के हो सकते हैं.

डेल्टा के लक्षण : गंध का महसूस न होना, स्वाद का गायब हो जाना, दस्त आना इसके सबसे प्रमुख लक्षण हैं. इसके साथ ही गला खराब होना, नाक बहना, सिरदर्द की भी समस्या हो सकती है.

यह भी है फर्क : अभी तक हुए अध्ययन के मुताबिक ओमिक्रॉन में सांस फूलने की समस्या ज्यादा नहीं दिखी. इस वैरिएंट का फेफड़े या लोअर रेस्परेटरी सिस्टम पर हमला करने के बजाए अपर रेस्परेटरी या गले में उसका असर अधिक देखा गया है. ऐसे में ओमिक्रॉन से फेफड़ों पर कम दुष्प्रभाव पड़ रह.

लक्षण होने पर क्या करें

-कोविड के लक्षण होने पर तत्काल आरटीपीसीआर टेस्ट कराएं, नये स्ट्रेन की पुष्टि के लिए जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट कराएं.
-कोरोना पॉजिटिव होने पर कोविड हेल्पलाइन पर सम्पर्क करें, खुद को आइसोलेट करें.
-कोविड प्रोटोकाल का पालन करें, डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें.
-तबीयत बिगड़ती देख नजदीकी कोविड अस्पताल से संपर्क करें, बेवजह दूसरे अस्पतालों में चक्कर न लगाएं.
-होमआइसोलेशन में रखें ध्यान.
-कोरोना के माइल्ड केस में मरीज घर पर या कोविड केयर सेंटर पर उपचार करा सकते हैं.
-नई गाइडलाइन के अनुसार रोगी को यदि सांस लेने में तकलीफ नहीं है, तो उसे 7 दिन ही आइसोलेट रहने की आवश्यकता होगी.
-यह ध्यान रखना होगा कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा (ऑक्सीजन सैचुरेशन) एसपीओ-टू 94 फीसद से अधिक हो. वहीं व्यस्कों के लिए सांस की गति 24 प्रति मिनट से कम होनी चाहिए. रोगी को सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.
-संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए रोगी को हवादार कमरे में रहने की सलाह दी गई है. इसके साथ ही घर में अधिक लोग हों तो सभी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
-सभी सदस्य मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. जो व्यक्ति मरीज की तीमारदारी करे, वह एन-95 मास्क लगाए. यह न हो तो ट्रिपल लेयर के ऊपर कपड़े का मास्क लगा लें. ध्यान रखें मरीज की तीमारदारी उसी से कराएं, जो टीका लगवा चुका हो. साथ ही वयस्क हो, कोई कोमार्बिडिटी न हो.
-अगर घर छोटा है, अलग-अलग बाथरूम नहीं हैं. तो रोगी को कोविड केयर सेटर में भर्ती हो जाना चाहिए.
-बार बार हाथ धोएं, सैनिटाइज करें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.

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लखनऊ : तीसरी लहर में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट ने लोगों को चपेट में लेना शुरू किया. यूपी के मरीजों की जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट में 90 फीसद में ओमिक्रोन वैरिएंट पाया गया. अब इसका प्रसार सामुदायिक स्तर पर होने लगा है. वहीं यह वैरिएंट पहले से विभिन्न रोगों से पीड़ित व्यक्तियों की जान ले रहा है. कोरोना की दूसरी लहर बेहद घातक साबित हुई थी. इसमें 90 फीसद में डेल्टा वैरिएंट पाया गया. इस घातक वैरिएंट ने सीधे फेफड़ों पर अटैक किया, जिससे हजारों लोगों की मौत हो गई.

यूपी में वर्तमान में 93 हजार कोरोना के एक्टिव केस हैं. इसमें सिर्फ डेढ़ फीसद ही अस्पताल में भर्ती हैं. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक अस्पताल में भर्ती कोरोना के मरीजों में ज्यादातर गुर्दा, लिवर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर समेत अन्य रोगों से पीड़ित हैं. शेष मरीज घर पर ही ठीक हो रहे हैं. वहीं एसजीपीजीआई के डायरेक्टर डॉ. धीमान के मुताबिक अस्पताल में कोविड मरीज़ों की हो रही मौतों में से 95 फीसद दूसरी बीमारी से पीड़ित हैं.

जौनपुर: कोरोना वायरस को लेकर जिला अस्पताल अलर्ट, मरीजों के लिए 10 बेड का आइसोलेशन वार्

जिला हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ. एके शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के लिए शासन के निर्देश के क्रम में एक 10 बेड का आइसोलेटेड वार्ड तैयार करा दिया गया है. कोई मरीज संदिग्ध मिला तो, उसको प्रोटेक्टिव मास्क पहनाया जाएगा, साथ ही हॉस्पिटल का स्टाफ भी पहनेगा. उसका स्वाप कल्चर करके एनआईबी पुणे भेजा जायेगा. एक पैथोलॉजिस्ट एवं लैब टेक्नीशियन की ड्यूटी लगाई गई है.


इन रोगियों को खतरा ज्यादा
60 वर्ष की आयु से आधिक वाले लोग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, मोटापा से पीड़ित,कैंसर, किडनी, लिवर, हार्ट, डायबिटीज, सीओपीडी, आईएलडी, अस्थमा,हाइपरटेंशन, निमोनिया पीड़ित, ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रोगियों को वायरस से ज्यादा खतरा है. इसके अलावा पहली व दूसरी लहर में लंबे दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले, स्टेरॉयड थेरेपी लेने वाले, इम्यूनोसप्रेशन थेरेपी, लंग फाइब्रोसिस, ब्लैक फंगस से पीड़ित रहे मरीज भी बचाव रखें. खासकर रोगी डॉक्टर के बिना परामर्श के अपनी दवाएं ब्रेक न करें. समय-समय पर परामर्श भी लेते रहें.


जनवरी में यूं शुरू हुआ मौतों का सिलसिला
आठ जनवरी 6,411 6
नौ जनवरी 7,695 4
10 जनवरी 8,334 4
11 जनवरी 11,089 5
12 जनवरी 13,681 3
13 जनवरी 14,765 6
14 जनवरी 16,016 3
15 जनवरी 15,795 4
16 जनवरी 17, 185 10
17 जनवरी 15,662 9
18 जनवरी 14,803 12
19 जनवरी 17,776 07
20 जनवरी 18, 554 10
21 जनवरी 16, 826 22
22 जनवरी 16,716 16
23 जनवरी 13,830 19


ओमिक्रोन के लक्षण

थकान, जोड़ों का दर्द, सर्दी और सिरदर्द ओमिक्रॉन के चार प्रमुख सामान्य लक्षण हैं. इसके अलावा नाक बहना, छींक आना,गले में खराश, भूख न लगना जैसे लक्षण भी ओमिक्रॉन के हो सकते हैं.

डेल्टा के लक्षण : गंध का महसूस न होना, स्वाद का गायब हो जाना, दस्त आना इसके सबसे प्रमुख लक्षण हैं. इसके साथ ही गला खराब होना, नाक बहना, सिरदर्द की भी समस्या हो सकती है.

यह भी है फर्क : अभी तक हुए अध्ययन के मुताबिक ओमिक्रॉन में सांस फूलने की समस्या ज्यादा नहीं दिखी. इस वैरिएंट का फेफड़े या लोअर रेस्परेटरी सिस्टम पर हमला करने के बजाए अपर रेस्परेटरी या गले में उसका असर अधिक देखा गया है. ऐसे में ओमिक्रॉन से फेफड़ों पर कम दुष्प्रभाव पड़ रह.

लक्षण होने पर क्या करें

-कोविड के लक्षण होने पर तत्काल आरटीपीसीआर टेस्ट कराएं, नये स्ट्रेन की पुष्टि के लिए जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट कराएं.
-कोरोना पॉजिटिव होने पर कोविड हेल्पलाइन पर सम्पर्क करें, खुद को आइसोलेट करें.
-कोविड प्रोटोकाल का पालन करें, डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें.
-तबीयत बिगड़ती देख नजदीकी कोविड अस्पताल से संपर्क करें, बेवजह दूसरे अस्पतालों में चक्कर न लगाएं.
-होमआइसोलेशन में रखें ध्यान.
-कोरोना के माइल्ड केस में मरीज घर पर या कोविड केयर सेंटर पर उपचार करा सकते हैं.
-नई गाइडलाइन के अनुसार रोगी को यदि सांस लेने में तकलीफ नहीं है, तो उसे 7 दिन ही आइसोलेट रहने की आवश्यकता होगी.
-यह ध्यान रखना होगा कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा (ऑक्सीजन सैचुरेशन) एसपीओ-टू 94 फीसद से अधिक हो. वहीं व्यस्कों के लिए सांस की गति 24 प्रति मिनट से कम होनी चाहिए. रोगी को सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.
-संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए रोगी को हवादार कमरे में रहने की सलाह दी गई है. इसके साथ ही घर में अधिक लोग हों तो सभी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
-सभी सदस्य मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. जो व्यक्ति मरीज की तीमारदारी करे, वह एन-95 मास्क लगाए. यह न हो तो ट्रिपल लेयर के ऊपर कपड़े का मास्क लगा लें. ध्यान रखें मरीज की तीमारदारी उसी से कराएं, जो टीका लगवा चुका हो. साथ ही वयस्क हो, कोई कोमार्बिडिटी न हो.
-अगर घर छोटा है, अलग-अलग बाथरूम नहीं हैं. तो रोगी को कोविड केयर सेटर में भर्ती हो जाना चाहिए.
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