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अपर मुख्य सचिव ने किया कोऑपरेटिव बैंक के यू-ट्यूब चैनल का शुभारम्भ - सहकारिता विभाग

यूपी कोऑपरेटिव बैंक की वार्षिक सामान्य निकाय की बैठक में अपर मुख्य सचिव एम वी एस रामी रेड्डी ने यू-ट्यूब चैनल का शुभारम्भ किया. इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने कहा कि बीते तीन वर्षों में सहकारिता विभाग के अन्तर्गत कोऑपरेटिव बैंक में गुणात्मक सुधार किया गया है.

कोऑपरेटिव बैंक के यू-ट्यूब चैनल का शुभारम्भ.
कोऑपरेटिव बैंक के यू-ट्यूब चैनल का शुभारम्भ.
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Published : Feb 6, 2021, 9:29 AM IST

लखनऊ : राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में यूपी कोऑपरेटिव बैंक की वार्षिक सामान्य निकाय की बैठक आयोजित की गई. इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव एम वी एस रामी रेड्डी ने यूपी कोऑपरेटिव बैंक के यू-ट्यूब चैनल का शुभारम्भ किया. वहीं नवोन्मुख बैंकिंग के साथ बैंक की डॉक्यूमेन्ट्री और यूपीसीबी के गीत का भी ऑडियो-वीडियो प्रस्तुतीकरण किया गया. इसके साथ ही डिजिटल बैंकिंग की दिशा में बैंक द्वारा किये जा रहे कार्यों का ऑन स्क्रीन प्रसारण किया गया.

अपर मुख्य सचिव एम वी एस रामी रेड्डी ने ने कहा कि बीते तीन वर्षों में सहकारिता विभाग के अन्तर्गत यूपी कोऑपरेटिव बैंक लि. में गुणात्मक सुधार किया गया है. डेढ़ साल में कोऑपरेटिव बैंक के खाता धारक का पैसा कहीं किसी अन्य के खाते या किसी प्रकार से गलत भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अब किसी खाताधारक के खाते में जमा पैसे को गलत तरीके से लेन देन नहीं किया जाने दिया जाएगा. इस व्यवस्था से खाता धारकों और आम जनमानस में कोऑपरेटिव बैंक के प्रति विश्वास बढेगा.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान भी सहकारी बैंकों द्वारा ऋण वितरण, वसूली के साथ-साथ मोबाइल वैन के माध्यम से कृषकों और ग्राहकों के घर तक पहुंच कर उन्हें उपलब्ध करायी गयी बैंकिंग सेवाओं की सराहना की गयी. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कोऑपरेटिव बैंक इंटरनेट बैंकिंग की शुरूआत भी शीध्र करने जा रहा है, इसकी पूरी तैयारी करते हुए आवश्यक कार्यवाही की जा रही है. उन्होंने कहा कि इंटरनेट बैंकिग शुरू हो जाने से खाता धारक अपने मोबाईल पर अपने खाता के लेने-देन की जानकारी कर सकेंगे.

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों को कृषि कार्य के लिए ऋण अधिक से अधिक दिये जाने का कार्य किया जा रहा है. इससे किसान अपनी खेती बेहतर ढंग से करके आय बढ़ा सकेंगे. उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव खाता धारकों ने इस संस्था का सहयोग और सेवा का अवसर दिया है. भविष्य में भी वह सहयोग और सेवा का अवसर देते रहेंगे.

वहीं नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक ने कहा कि किसान अधिक से अधिक कोऑपरेटिव बैंक से जुडे़ं और बैंक में खाता खुलवाएं. किसानों को बागवानी, मत्स्य पालन सहित अन्य खेती से जुडे़ कार्य पर भी ऋण दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यूपीसीबी को नाबार्ड से सम्बधित जो भी सहायता की आवश्यकता होगी, वह प्रदान करने का पूरा प्रयास किया जायेगा.

इसके साथ ही प्रबन्ध निदेशक भूपेन्द्र कुमार ने बैंक की प्रगति, उपलब्धियों तथा भावी कार्य योजनाओं के साथ एजेंडा प्रस्तुतीकरण करते हुए बताया कि शीर्ष बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक की लीडरशिप में गठित फूड क्रेडिट कंसोर्टियम में 1800 करोड़ का अंश आवंटित किया है. यह बैंक सदैव प्रदेश के कृषकों, खाताधारकों तथा अंशधारकों के हितों के प्रति सजग है. उन्होंने बताया कि विगत वर्ष में फसली ऋणों के रूप में 6150.21 करोड़ वितरित किया गया. वहीं इस साल 10 हजार करोड़ रुपए का फसल ऋण वितरित किये जाने का लक्ष्य है.

प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि बैंक द्वारा प्रदेश के किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान के लिए सहकारी चीनी मिलों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की मिलों को भी सहकारी बैंकों के माध्यम से 6337 करोड़ का वित्त पोषण किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त प्रदेश की सभी सहकारी चीनी मिलों को गन्ना मूल्य भुगतान के लिए जिला सहकारी बैंकों के स्तर से आ रही कठिनाई के निराकरण के लिए शीर्ष स्तर पर कोऑपरेटिव बैंक की लीडरशिप में जिला सहकारी बैंकों का कंसोर्टियम गठित करते हुए ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी. इस प्रकार कोऑपरेटिव बैंक कृषकों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए कटिबद्ध है.

लखनऊ : राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में यूपी कोऑपरेटिव बैंक की वार्षिक सामान्य निकाय की बैठक आयोजित की गई. इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव एम वी एस रामी रेड्डी ने यूपी कोऑपरेटिव बैंक के यू-ट्यूब चैनल का शुभारम्भ किया. वहीं नवोन्मुख बैंकिंग के साथ बैंक की डॉक्यूमेन्ट्री और यूपीसीबी के गीत का भी ऑडियो-वीडियो प्रस्तुतीकरण किया गया. इसके साथ ही डिजिटल बैंकिंग की दिशा में बैंक द्वारा किये जा रहे कार्यों का ऑन स्क्रीन प्रसारण किया गया.

अपर मुख्य सचिव एम वी एस रामी रेड्डी ने ने कहा कि बीते तीन वर्षों में सहकारिता विभाग के अन्तर्गत यूपी कोऑपरेटिव बैंक लि. में गुणात्मक सुधार किया गया है. डेढ़ साल में कोऑपरेटिव बैंक के खाता धारक का पैसा कहीं किसी अन्य के खाते या किसी प्रकार से गलत भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अब किसी खाताधारक के खाते में जमा पैसे को गलत तरीके से लेन देन नहीं किया जाने दिया जाएगा. इस व्यवस्था से खाता धारकों और आम जनमानस में कोऑपरेटिव बैंक के प्रति विश्वास बढेगा.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान भी सहकारी बैंकों द्वारा ऋण वितरण, वसूली के साथ-साथ मोबाइल वैन के माध्यम से कृषकों और ग्राहकों के घर तक पहुंच कर उन्हें उपलब्ध करायी गयी बैंकिंग सेवाओं की सराहना की गयी. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कोऑपरेटिव बैंक इंटरनेट बैंकिंग की शुरूआत भी शीध्र करने जा रहा है, इसकी पूरी तैयारी करते हुए आवश्यक कार्यवाही की जा रही है. उन्होंने कहा कि इंटरनेट बैंकिग शुरू हो जाने से खाता धारक अपने मोबाईल पर अपने खाता के लेने-देन की जानकारी कर सकेंगे.

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों को कृषि कार्य के लिए ऋण अधिक से अधिक दिये जाने का कार्य किया जा रहा है. इससे किसान अपनी खेती बेहतर ढंग से करके आय बढ़ा सकेंगे. उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव खाता धारकों ने इस संस्था का सहयोग और सेवा का अवसर दिया है. भविष्य में भी वह सहयोग और सेवा का अवसर देते रहेंगे.

वहीं नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक ने कहा कि किसान अधिक से अधिक कोऑपरेटिव बैंक से जुडे़ं और बैंक में खाता खुलवाएं. किसानों को बागवानी, मत्स्य पालन सहित अन्य खेती से जुडे़ कार्य पर भी ऋण दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यूपीसीबी को नाबार्ड से सम्बधित जो भी सहायता की आवश्यकता होगी, वह प्रदान करने का पूरा प्रयास किया जायेगा.

इसके साथ ही प्रबन्ध निदेशक भूपेन्द्र कुमार ने बैंक की प्रगति, उपलब्धियों तथा भावी कार्य योजनाओं के साथ एजेंडा प्रस्तुतीकरण करते हुए बताया कि शीर्ष बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक की लीडरशिप में गठित फूड क्रेडिट कंसोर्टियम में 1800 करोड़ का अंश आवंटित किया है. यह बैंक सदैव प्रदेश के कृषकों, खाताधारकों तथा अंशधारकों के हितों के प्रति सजग है. उन्होंने बताया कि विगत वर्ष में फसली ऋणों के रूप में 6150.21 करोड़ वितरित किया गया. वहीं इस साल 10 हजार करोड़ रुपए का फसल ऋण वितरित किये जाने का लक्ष्य है.

प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि बैंक द्वारा प्रदेश के किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान के लिए सहकारी चीनी मिलों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की मिलों को भी सहकारी बैंकों के माध्यम से 6337 करोड़ का वित्त पोषण किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त प्रदेश की सभी सहकारी चीनी मिलों को गन्ना मूल्य भुगतान के लिए जिला सहकारी बैंकों के स्तर से आ रही कठिनाई के निराकरण के लिए शीर्ष स्तर पर कोऑपरेटिव बैंक की लीडरशिप में जिला सहकारी बैंकों का कंसोर्टियम गठित करते हुए ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी. इस प्रकार कोऑपरेटिव बैंक कृषकों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए कटिबद्ध है.

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