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STF में तैनात सिपाही के कागजात पर 15 साल से कर रहा था पीएसी में नौकरी, FIR दर्ज

यूपी एसटीएफ के सिपाही के नाम-पते और दस्तावेजों पर एक जालसाज ने पीएसी में सिपाही की नौकरी हासिल कर ली. फर्जीवाड़ा करके जालसाज 15 साल से नौकरी भी कर रहा था. मामले का खुलासा होने के बाद एसटीएफ सिपाही ने विभूतिखंड थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.

फर्जी सिपाही गिरफ्तार
फर्जी सिपाही गिरफ्तार
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Published : Mar 23, 2021, 8:57 AM IST

लखनऊ : जालसाजी का एक गंभीर मामला सामने आया है. दरअसल, यूपी एसटीएफ के सिपाही के नाम-पते और दस्तावेजों पर एक जालसाज ने पुलिस में सिपाही की नौकरी हासिल कर ली. फर्जीवाड़ा करके जालसाज 15 साल से नौकरी भी कर रहा था. मामले का खुलासा तब हुआ जब जालसाज ने सिपाही के नाम से लिए गए क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भरा और निजी कंपनी में लोन के लिए आवेदन कर दिया. क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने और लोन के सत्यापन के लिए बैंक ने जब सिपाही से संपर्क किया तब सच्चाई सामने आई. एसटीएफ सिपाही ने विभूतिखंड थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.

फर्जी पीएसी सिपाही पर केस दर्ज

एसटीएफ में तैनात सिपाही मनीष कुमार सिंह ने बताया कि उनके नाम से पीएसी में एक जालसाज नौकरी कर रहा था. जालसाजी का शिकार एसटीएफ के सिपाही मनीष की मानें तो कुछ दिन से उनके पास क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने और लोन के लिए सत्यापन करने संबंधी कॉल आ रहे थे. मनीष ने फोन करने वाले बैंक और निजी कंपनी के प्रतिनिधियों से कहा कि उसने न ही कोई क्रेडिट कार्ड लिया है और न ही लोन के लिए आवदेन किया है. बार-बार कॉल आने पर मनीष को शक हुआ और उसने अपना ऑनलाइन रोल चेक किया. चेक करने पर हकीकत पता चला कि मनीष के नाम, उसके पिता का नाम, जन्मतिथि, पैन कार्ड, आवास के पते से किसी जालसाज ने नौकरी ले ली है और इस वक्त वो पीएसी में तैनात है. मनीष ने विभूतिखंड थाने में शातिर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

इसे भी पढ़ें- बीजेपी विधायक पर पाकिस्तानी 'पावरी गर्ल' की चढ़ी खुमारी, देखें वीडियो

जारी है मामले की जांच

बलिया निवासी मनीष ने बताया कि वो वर्ष 2006 बैच का सिपाही है. उसने जून 2006 में बदायूं से नौकरी शुरू की थी. जबकि, उसके नाम से पीएसी में नौकरी कर रहे सिपाही ने अगस्त 2006 में बरेली से नौकरी शुरू की. दोनों के दस्तावेज एक जैसे ही हैं. सिर्फ फोटो अलग-अलग हैं. पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.

लखनऊ : जालसाजी का एक गंभीर मामला सामने आया है. दरअसल, यूपी एसटीएफ के सिपाही के नाम-पते और दस्तावेजों पर एक जालसाज ने पुलिस में सिपाही की नौकरी हासिल कर ली. फर्जीवाड़ा करके जालसाज 15 साल से नौकरी भी कर रहा था. मामले का खुलासा तब हुआ जब जालसाज ने सिपाही के नाम से लिए गए क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भरा और निजी कंपनी में लोन के लिए आवेदन कर दिया. क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने और लोन के सत्यापन के लिए बैंक ने जब सिपाही से संपर्क किया तब सच्चाई सामने आई. एसटीएफ सिपाही ने विभूतिखंड थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.

फर्जी पीएसी सिपाही पर केस दर्ज

एसटीएफ में तैनात सिपाही मनीष कुमार सिंह ने बताया कि उनके नाम से पीएसी में एक जालसाज नौकरी कर रहा था. जालसाजी का शिकार एसटीएफ के सिपाही मनीष की मानें तो कुछ दिन से उनके पास क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने और लोन के लिए सत्यापन करने संबंधी कॉल आ रहे थे. मनीष ने फोन करने वाले बैंक और निजी कंपनी के प्रतिनिधियों से कहा कि उसने न ही कोई क्रेडिट कार्ड लिया है और न ही लोन के लिए आवदेन किया है. बार-बार कॉल आने पर मनीष को शक हुआ और उसने अपना ऑनलाइन रोल चेक किया. चेक करने पर हकीकत पता चला कि मनीष के नाम, उसके पिता का नाम, जन्मतिथि, पैन कार्ड, आवास के पते से किसी जालसाज ने नौकरी ले ली है और इस वक्त वो पीएसी में तैनात है. मनीष ने विभूतिखंड थाने में शातिर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

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जारी है मामले की जांच

बलिया निवासी मनीष ने बताया कि वो वर्ष 2006 बैच का सिपाही है. उसने जून 2006 में बदायूं से नौकरी शुरू की थी. जबकि, उसके नाम से पीएसी में नौकरी कर रहे सिपाही ने अगस्त 2006 में बरेली से नौकरी शुरू की. दोनों के दस्तावेज एक जैसे ही हैं. सिर्फ फोटो अलग-अलग हैं. पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.

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