लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी रणनीति बनाने में जुटी हुई है. पार्टी को जिस फैसले में फायदा नजर आ रहा है, उन्हीं निर्णयों पर अब मुहर लगाई जा रही है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के तमाम नेताओं ने टिकट की दावेदारी ठोकी है. ऐसे में नेताओं के पास वर्तमान में जो भी प्रभार है, वह प्रभार पार्टी वापस लेगी और उसके बाद ही उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट मिलेगा.
दरअसल, कांग्रेस पार्टी इसमें दो तरह का फायदा देख रही है. पहला प्रभार के चलते जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं, वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में समय नहीं दे पा रहे हैं. प्रभार हटेगा तो वह वहां पर ज्यादा समय देंगे. इसके अलावा जिन लोगों को पार्टी पद न होने के चलते एडजस्ट नहीं कर पा रही है, उन्हें पदभार सौंपा जाएगा, जिससे उनकी नाराजगी दूर होगी. इसके अलावा कई अन्य बदलाव भी कार्यकारिणी में हो सकते हैं.
पार्टी में प्रवक्ता से लेकर तमाम पदों वाले नेताओं ने पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा है, जिनमें प्रदेश सचिव, महासचिव और उपाध्यक्ष शामिल हैं. पार्टी की तरफ से ज्यादातर पदाधिकारियों को टिकट दिए भी जा रहे हैं. प्रदेश भर में लगभग 150 ऐसी सीटें हैं, जिन पर लगभग प्रत्याशियों का चयन भी हो गया है. यह प्रत्याशी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जा भी रहे हैं. लेकिन यहां पर समस्या यह आ रही है कि पद होने के नाते पार्टी के प्रति भी उनकी जिम्मेदारी है. लिहाजा, निर्वाचन क्षेत्र में समय कम दे पा रहे हैं. यही सोचकर पार्टी ने अब यह फैसला लिया है कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से प्रभार ले लिया जाए, जिससे वे ज्यादा समय अपने निर्वाचन क्षेत्र में दे सकें और उनका चुनाव प्रबंधन बेहतर हो सके.
अगले सप्ताह तक होंगे बड़े बदलाव
पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अगले सप्ताह यूपीसीसी में बड़े बदलाव हो जाएंगे. इनमें चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से तो पदभार वापस लिया ही जाएगा, पद के अनुरूप जो परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें भी पद मुक्त किया जा सकता है. नए लोगों को भी पार्टी और संगठन में जगह मिलने की संभावना है.
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क्या कहते हैं कांग्रेस नेता
यूपी कांग्रेस के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि जिलों पर कई प्रवक्ताओं की तैनाती होनी है. जिला अध्यक्ष और शहर अध्यक्ष के माध्यम से उन लोगों के साक्षात्कार किए गए हैं. अगर इनमें से भी जो चुनाव लड़ना चाहते हैं और पहले से उनके पास कोई पद है, तो उन्हें प्रवक्ता नहीं बनाया जाएगा और वह पद भी उनके पास नहीं रहेगा. पार्टी में बड़े बदलाव किए जाएंगे. जिन प्रत्याशियों को चुनाव लड़ना है उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में समय देना होगा.