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महिलाओं के सहारे कांग्रेस सत्ता से कितनी दूर कितनी पास - प्रियंका गांधी ने महिलाओं को दिया टिकट

यूपी में चुनाव पीक पर हैं. ऐसे में कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. प्रियंका ने महिला सशक्तिकरण और 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे पर जोर देते हुए महिलाओं को साधने की कोशिश की है. कांग्रेस की लिस्ट में पत्रकार, अभिनेत्री, समाजसेवी और संघर्षशील महिलाएं शामिल हैं.

महिलाओं के सहारे कांग्रेस
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Published : Jan 13, 2022, 10:40 PM IST

हैदराबाद: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले जोड़तोड़ की राजनीति और भाजपा से नेताओं की भगदड़ मची है. इसी बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करके अपने पत्ते खोल दिए हैं. कांग्रेस ने 125 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे पर जोर देते हुए प्रियंका गांधी ने 50 महिलाओं को टिकट दिया है. कांग्रेस की लिस्ट में पत्रकार, अभिनेत्री, समाजसेवी और संघर्षशील महिलाएं शामिल हैं.

'लड़की हूं' की हुई सराहना

प्रियंका गांधी ने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए 19 अक्टूबर 2021 को कहा आने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देगी. हमारी प्रतिज्ञा है, महिलाएं उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह भागीदार होंगी." प्रियंका गांधी ने इसे योगी सरकार में महिला उत्पीड़न के मामलों से भी जोड़ा. प्रियंका के इस फैसले की सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर भी खूब सराहना हुई. हालांकि ये भी कहा गया कि जहां कांग्रेस अपना अस्तित्व खो रही है और यूपी में उसका कोई आधार नहीं बचा है, वहां कांग्रेस के इस फैसले का यूपी में कोई खास असर देखने को नहीं मिलेगा.

इसे भी पढ़ें- UP Election2022: जानिए उम्मीदवारों की पहली सूची में कांग्रेस ने जातीय समीकरण को कैसे साधा?

2019 में यूपी में सक्रिय हुईं प्रियंका

हालांकि प्रियंका को राजनीति में सक्रिय हुए बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है. 2019 के लोकसभा चुनाव से प्रियंका यूपी में सक्रिय हुई हैं. तीन दशक से हाशिए पर पड़ी कांग्रेस में फिर से नई जान फूंकने के लिए प्रियंका गांधी ने जनता के साथ खुद को जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी. अपनी इसी रणनीति के तहत चाहे हाथरस रेप कांड हो या फिर लखीमपुर खीरी कांड, प्रियंका गांधी की मौजूदगी नजर आने लगी. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का खोया मुकाम हासिल करने के लिए प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक दांव चला. उन्होंने महिलाओं का समर्थन हासिल करने के लिए राजनीति में उनकी भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया. प्रियंका ने ऐलान किया कि कांग्रेस 40 फीसदी महिलाओं को विधानसभा चुनाव में टिकट देगी. इतना ही नहीं, प्रियंका गांधी ने पीड़ित महिलाओं को टिकट देकर अपने इरादे साफ जता दिये हैं.

इसे भी पढ़ें- कांग्रेस ने 50 साल बाद काटा धोबी परिवार का टिकट...

महिलाओं के दर्द पर मलहम लगाने का मिल सकता है फायदा

कांग्रेस के उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की गयी है उसमें उन्नाव रेप पीड़िता की मां को भी टिकट मिला है. उन्नाव रेप कांड में बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर दोषी है. ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि इस सीट पर उसे बढ़त मिल सकती है. इसके अलावा प्रियंका ने लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी विधानसभा सीट से रितु सिंह को टिकट दिया है. रितु सिंह वह महिला हैं जिनकी पंचायत चुनाव के दौरान साड़ी खींची गई थी और इसका आरोप भाजपा कार्यकर्ताओं पर लगा था. इसके बाद रितु सिंह, प्रियंका गांधी से मिलने पहुंची थीं. इस घटना के करीब 2 महीने बाद रितु कांग्रेस में शामिल भी हो गई थीं. प्रियंका ने रितु के दर्द पर मलहम लगाने के साथ ही बड़ा सियासी दांव भी खेला है.

कितना कारगर होगा दांव

टिकट देने के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि पहली सूची में वह महिलाएं शामिल हैं जो संघर्षशील हैं, कार्यकर्ता हैं और वह भी शामिल हैं जिन्होंने अत्याचार झेला है. प्रियंका गांधी का यह दांव कितना कारगर होता है अब ये तो 10 मार्च को ही पता चलेगा.

हैदराबाद: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले जोड़तोड़ की राजनीति और भाजपा से नेताओं की भगदड़ मची है. इसी बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करके अपने पत्ते खोल दिए हैं. कांग्रेस ने 125 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे पर जोर देते हुए प्रियंका गांधी ने 50 महिलाओं को टिकट दिया है. कांग्रेस की लिस्ट में पत्रकार, अभिनेत्री, समाजसेवी और संघर्षशील महिलाएं शामिल हैं.

'लड़की हूं' की हुई सराहना

प्रियंका गांधी ने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए 19 अक्टूबर 2021 को कहा आने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देगी. हमारी प्रतिज्ञा है, महिलाएं उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह भागीदार होंगी." प्रियंका गांधी ने इसे योगी सरकार में महिला उत्पीड़न के मामलों से भी जोड़ा. प्रियंका के इस फैसले की सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर भी खूब सराहना हुई. हालांकि ये भी कहा गया कि जहां कांग्रेस अपना अस्तित्व खो रही है और यूपी में उसका कोई आधार नहीं बचा है, वहां कांग्रेस के इस फैसले का यूपी में कोई खास असर देखने को नहीं मिलेगा.

इसे भी पढ़ें- UP Election2022: जानिए उम्मीदवारों की पहली सूची में कांग्रेस ने जातीय समीकरण को कैसे साधा?

2019 में यूपी में सक्रिय हुईं प्रियंका

हालांकि प्रियंका को राजनीति में सक्रिय हुए बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है. 2019 के लोकसभा चुनाव से प्रियंका यूपी में सक्रिय हुई हैं. तीन दशक से हाशिए पर पड़ी कांग्रेस में फिर से नई जान फूंकने के लिए प्रियंका गांधी ने जनता के साथ खुद को जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी. अपनी इसी रणनीति के तहत चाहे हाथरस रेप कांड हो या फिर लखीमपुर खीरी कांड, प्रियंका गांधी की मौजूदगी नजर आने लगी. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का खोया मुकाम हासिल करने के लिए प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक दांव चला. उन्होंने महिलाओं का समर्थन हासिल करने के लिए राजनीति में उनकी भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया. प्रियंका ने ऐलान किया कि कांग्रेस 40 फीसदी महिलाओं को विधानसभा चुनाव में टिकट देगी. इतना ही नहीं, प्रियंका गांधी ने पीड़ित महिलाओं को टिकट देकर अपने इरादे साफ जता दिये हैं.

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महिलाओं के दर्द पर मलहम लगाने का मिल सकता है फायदा

कांग्रेस के उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की गयी है उसमें उन्नाव रेप पीड़िता की मां को भी टिकट मिला है. उन्नाव रेप कांड में बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर दोषी है. ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि इस सीट पर उसे बढ़त मिल सकती है. इसके अलावा प्रियंका ने लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी विधानसभा सीट से रितु सिंह को टिकट दिया है. रितु सिंह वह महिला हैं जिनकी पंचायत चुनाव के दौरान साड़ी खींची गई थी और इसका आरोप भाजपा कार्यकर्ताओं पर लगा था. इसके बाद रितु सिंह, प्रियंका गांधी से मिलने पहुंची थीं. इस घटना के करीब 2 महीने बाद रितु कांग्रेस में शामिल भी हो गई थीं. प्रियंका ने रितु के दर्द पर मलहम लगाने के साथ ही बड़ा सियासी दांव भी खेला है.

कितना कारगर होगा दांव

टिकट देने के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि पहली सूची में वह महिलाएं शामिल हैं जो संघर्षशील हैं, कार्यकर्ता हैं और वह भी शामिल हैं जिन्होंने अत्याचार झेला है. प्रियंका गांधी का यह दांव कितना कारगर होता है अब ये तो 10 मार्च को ही पता चलेगा.

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