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साल 2022 में लोग महंगाई से रहे परेशान, कई अन्य मुद्दों ने अपनी ओर खींचा जनता का ध्यान - kanpur vice chancellor vinay pathak

साल 2022 में आम जनता महंगाई को लेकर खासा परेशान रही. साल भर महंगाई का मुद्दा छाया रहा. विपक्षियों ने भी इसका फायदा उठाने के लिए जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस साल पेट्रोल ने शतक मारा और डीजल शतक के करीब पहुंच गया. जानिए साल 2022 में कौन-कौन से मुद्दो ने जनता का ध्यान अपनी ओर खींचा.

साल 2022 के मुद्दे
साल 2022 के मुद्दे
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Published : Dec 19, 2022, 8:45 AM IST

Updated : Dec 20, 2022, 4:39 PM IST

लखनऊ: साल 2022 में आम जनता महंगाई के मुद्दे से खास तौर पर प्रभावित रही. इस साल पेट्रोल ने शतक मारा. डीजल शतक के करीब पहुंचा. सीएनजी ने डीजल को हराकर बाजी मारी और इस तरह जनता की गाढ़ी कमाई डीजल, पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाली गाड़ी में डूब गई. महिलाओं के लिए किचन चलाना मुश्किल हो गया. रसोई गैस के दाम में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई. सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये से भी ऊपर पहुंच गई. इतना ही नहीं खाद्य सामग्रियों की वजह से थाली से सब्जी और दाल भी लापता हो गई. कानपुर के कुलपति विनय पाठक का भी मुद्दा साल के आखिर तक चर्चा में बना हुआ है.

साल 2022
साल 2022 दाल की कीमतें डबल हो गईं

साल 2022 में जनता के लिहाज से अगर असल मुद्दे की बात की जाए तो महंगाई ही सबसे अहम मुद्दा रहा. कोरोना के चलते पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को महंगाई का भी जोरदार झटका इस साल लगा. सरकार ने खाने की सामग्री से लेकर खाना बनाने की गैस और डीजल, पेट्रोल, सीएनजी के दामों से लेकर जीवन की गाड़ी चलने के लिए जरूरी वह हर वस्तु महंगी कर दी, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. साल भर लोग महंगाई की मार से कराहते रहे.

साल 2022
साल 2022 यूपी में वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, डीजल पेट्रोल भी महंगा हुआ.

पेट्रोल और डीजल के बारे में कभी किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये आंकड़ा 100 के पार चला जाएगा या 100 के करीब तक पहुंच जाएगा. पेट्रोल 104 रुपये तक जा पहुंचा. वहीं, डीजल भी 100 के करीब तक अपने अब तक के सबसे रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा. लोग सीएनजी के वाहन इसलिए खरीदते थे कि इससे प्रदूषण नहीं फैलता है और डीजल से सस्ती भी होती है. लेकिन, सरकार ने लोगों की इस भ्रांति भी दूर कर दिया. दामों के मामले में सीएनजी ने डीजल को पीछे छोड़ दिया. सीएनजी की बढ़ती कीमतों का नतीजा ये हुआ कि लोगों ने सीएनजी वाहन खरीदने ही छोड़ दिए. आरटीओ कार्यालयों में सीएनजी वाहन के रजिस्ट्रेशन की संख्या भी काफी घाट गई. ये वाहन शोरूम में ही खड़े नजर आने लगे.

पेट्रोल साल 2022 में 100 रुपये हुआ पार
पेट्रोल साल 2022 में 100 रुपये हुआ पार

दलहन, तिलहन सब कुछ महंगा

डीजल और पेट्रोल की कीमतों में इजाफा हुआ तो इसका नतीजा यह हुआ कि मालभाड़े में बढ़ोतरी हो गई, जिससे रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हो गया. दलहन व तिलहन से लेकर गेहूं, चावल, चीनी, सब्जी सब कुछ महंगा हो गया. सरसों के तेल के दाम 200 रुपये से ऊपर पहुंच गए. चीनी 50 रुपये छू गई. आम आदमी के लिए इस साल घर चलाना भी नाकों चने चबाने वाला साबित हुआ. गैस की कीमतों में जबरदस्त उछाल के चलते सिलेंडर 1000 रुपये से ऊपर पहुंच गया और सब्सिडी भी मिलना बंद हो गई. इससे उज्जवला योजना में मिले सिलेंडर भी शोपीस बन गए. वापस ग्रामीण इलाकों में लोग चूल्हे पर खाना पकाने को मजबूर होने लगे. महंगाई के चलते घर की थाली दाल सब्जी से सूनी हो गई.

साल 2022 में सीएनजी भी हो गई महंगी
साल 2022 में सीएनजी भी हो गई महंगी

विपक्षी दलों ने बनाया महंगाई को मुद्दा, सरकार को घेरा

इस साल विपक्ष के पास एक ऐसा मुद्दा था जो सीधे जनता से जुड़ा था और जनता ने इस साल सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का पूरा साथ भी दिया. विभिन्न विपक्षी दलों ने सड़क पर उतरकर महंगाई के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सरकार के कान खोलने का काम किया. महंगाई को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कई दिन तक सड़क पर पैदल मार्च कर सरकार को जगाने का काम किया. वहीं, विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी आवाज बुलंद कर जनता को राहत देने के लिए सरकार पर दबाव बनाया. आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी जनता के हित के लिए महंगाई को लेकर सरकार को घेरने मैदान में उतरे. हालांकि, विपक्ष का कोई भी पैंतरा जनता के हित में काम न आया. सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. महंगाई का आलम साल बीतने तक बदस्तूर जारी रहा.

साल 2022
साल 2022 खाने के तेल की कीमतों में करीब पचास फीसदी का इजाफा हुआ.

जनता की जुबान पर कानपुर के कुलपति

इस साल जनता की जुबान पर कानपुर के कुलपति विनय पाठक पी खूब छाए रहे. हालांकि, जनता का सीधे तौर पर कुलपति से कोई सरोकार नहीं था. लेकिन, उनके भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबे होने की जो बातें सामने आईं, उनमें जनता ने भी भरपूर दिलचस्पी दिखाई. लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है.

साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी. साल के आखिर तक कुलपति विनय पाठक के भ्रष्टाचार की परतें खुलती जा रही हैं. उनके बारे में कई राज खुलकर सामने आ रहे हैं. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है. विनय पाठक पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है.

इत्र व्यापारी भी इस साल चर्चा में

कानपुर के इत्र व्यापारी पियूष जैन भी इस साल लोगों के बीच काफी चर्चा का विषय बने. उनके घर और प्रतिष्ठानों पर इंटेलिजेंस टीम ने छापेमारी की और टीम को करीब 280 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे. इसके बाद कन्नौज में छापा मारा गया, वहां से भी 19 करोड़ कैश बरामद हुआ था. उनके यहां सोने के बिस्किट और बहुमूल्य चंदन का तेल भी बरामद हुआ था. कानपुर में हुई छापेमारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीएसई) के इतिहास में सबसे बड़ी छापेमारी थी. कई दिनों तक नोट गिनने वाली मशीनों से उनके यहां नकद मिले नोटों की गिनती चलती रही. घर के फर्श से लेकर दीवारों में भी नकदी और सोना बरामद हुआ. लोगों ने ये कारनामा भी अपनी आंखों से देखा और दांतों तले उंगली दबा ली.

यह भी पढ़ें: Year Ender 2022 में ज्ञानवापी बना सबसे हॉट मुद्दा, एडवोकेट कमीशन कार्यवाही ने मचा दी पूरे देश में हलचल

लखनऊ: साल 2022 में आम जनता महंगाई के मुद्दे से खास तौर पर प्रभावित रही. इस साल पेट्रोल ने शतक मारा. डीजल शतक के करीब पहुंचा. सीएनजी ने डीजल को हराकर बाजी मारी और इस तरह जनता की गाढ़ी कमाई डीजल, पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाली गाड़ी में डूब गई. महिलाओं के लिए किचन चलाना मुश्किल हो गया. रसोई गैस के दाम में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई. सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये से भी ऊपर पहुंच गई. इतना ही नहीं खाद्य सामग्रियों की वजह से थाली से सब्जी और दाल भी लापता हो गई. कानपुर के कुलपति विनय पाठक का भी मुद्दा साल के आखिर तक चर्चा में बना हुआ है.

साल 2022
साल 2022 दाल की कीमतें डबल हो गईं

साल 2022 में जनता के लिहाज से अगर असल मुद्दे की बात की जाए तो महंगाई ही सबसे अहम मुद्दा रहा. कोरोना के चलते पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को महंगाई का भी जोरदार झटका इस साल लगा. सरकार ने खाने की सामग्री से लेकर खाना बनाने की गैस और डीजल, पेट्रोल, सीएनजी के दामों से लेकर जीवन की गाड़ी चलने के लिए जरूरी वह हर वस्तु महंगी कर दी, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. साल भर लोग महंगाई की मार से कराहते रहे.

साल 2022
साल 2022 यूपी में वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, डीजल पेट्रोल भी महंगा हुआ.

पेट्रोल और डीजल के बारे में कभी किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये आंकड़ा 100 के पार चला जाएगा या 100 के करीब तक पहुंच जाएगा. पेट्रोल 104 रुपये तक जा पहुंचा. वहीं, डीजल भी 100 के करीब तक अपने अब तक के सबसे रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा. लोग सीएनजी के वाहन इसलिए खरीदते थे कि इससे प्रदूषण नहीं फैलता है और डीजल से सस्ती भी होती है. लेकिन, सरकार ने लोगों की इस भ्रांति भी दूर कर दिया. दामों के मामले में सीएनजी ने डीजल को पीछे छोड़ दिया. सीएनजी की बढ़ती कीमतों का नतीजा ये हुआ कि लोगों ने सीएनजी वाहन खरीदने ही छोड़ दिए. आरटीओ कार्यालयों में सीएनजी वाहन के रजिस्ट्रेशन की संख्या भी काफी घाट गई. ये वाहन शोरूम में ही खड़े नजर आने लगे.

पेट्रोल साल 2022 में 100 रुपये हुआ पार
पेट्रोल साल 2022 में 100 रुपये हुआ पार

दलहन, तिलहन सब कुछ महंगा

डीजल और पेट्रोल की कीमतों में इजाफा हुआ तो इसका नतीजा यह हुआ कि मालभाड़े में बढ़ोतरी हो गई, जिससे रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हो गया. दलहन व तिलहन से लेकर गेहूं, चावल, चीनी, सब्जी सब कुछ महंगा हो गया. सरसों के तेल के दाम 200 रुपये से ऊपर पहुंच गए. चीनी 50 रुपये छू गई. आम आदमी के लिए इस साल घर चलाना भी नाकों चने चबाने वाला साबित हुआ. गैस की कीमतों में जबरदस्त उछाल के चलते सिलेंडर 1000 रुपये से ऊपर पहुंच गया और सब्सिडी भी मिलना बंद हो गई. इससे उज्जवला योजना में मिले सिलेंडर भी शोपीस बन गए. वापस ग्रामीण इलाकों में लोग चूल्हे पर खाना पकाने को मजबूर होने लगे. महंगाई के चलते घर की थाली दाल सब्जी से सूनी हो गई.

साल 2022 में सीएनजी भी हो गई महंगी
साल 2022 में सीएनजी भी हो गई महंगी

विपक्षी दलों ने बनाया महंगाई को मुद्दा, सरकार को घेरा

इस साल विपक्ष के पास एक ऐसा मुद्दा था जो सीधे जनता से जुड़ा था और जनता ने इस साल सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का पूरा साथ भी दिया. विभिन्न विपक्षी दलों ने सड़क पर उतरकर महंगाई के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सरकार के कान खोलने का काम किया. महंगाई को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कई दिन तक सड़क पर पैदल मार्च कर सरकार को जगाने का काम किया. वहीं, विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी आवाज बुलंद कर जनता को राहत देने के लिए सरकार पर दबाव बनाया. आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी जनता के हित के लिए महंगाई को लेकर सरकार को घेरने मैदान में उतरे. हालांकि, विपक्ष का कोई भी पैंतरा जनता के हित में काम न आया. सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. महंगाई का आलम साल बीतने तक बदस्तूर जारी रहा.

साल 2022
साल 2022 खाने के तेल की कीमतों में करीब पचास फीसदी का इजाफा हुआ.

जनता की जुबान पर कानपुर के कुलपति

इस साल जनता की जुबान पर कानपुर के कुलपति विनय पाठक पी खूब छाए रहे. हालांकि, जनता का सीधे तौर पर कुलपति से कोई सरोकार नहीं था. लेकिन, उनके भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबे होने की जो बातें सामने आईं, उनमें जनता ने भी भरपूर दिलचस्पी दिखाई. लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है.

साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी. साल के आखिर तक कुलपति विनय पाठक के भ्रष्टाचार की परतें खुलती जा रही हैं. उनके बारे में कई राज खुलकर सामने आ रहे हैं. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है. विनय पाठक पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है.

इत्र व्यापारी भी इस साल चर्चा में

कानपुर के इत्र व्यापारी पियूष जैन भी इस साल लोगों के बीच काफी चर्चा का विषय बने. उनके घर और प्रतिष्ठानों पर इंटेलिजेंस टीम ने छापेमारी की और टीम को करीब 280 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे. इसके बाद कन्नौज में छापा मारा गया, वहां से भी 19 करोड़ कैश बरामद हुआ था. उनके यहां सोने के बिस्किट और बहुमूल्य चंदन का तेल भी बरामद हुआ था. कानपुर में हुई छापेमारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीएसई) के इतिहास में सबसे बड़ी छापेमारी थी. कई दिनों तक नोट गिनने वाली मशीनों से उनके यहां नकद मिले नोटों की गिनती चलती रही. घर के फर्श से लेकर दीवारों में भी नकदी और सोना बरामद हुआ. लोगों ने ये कारनामा भी अपनी आंखों से देखा और दांतों तले उंगली दबा ली.

यह भी पढ़ें: Year Ender 2022 में ज्ञानवापी बना सबसे हॉट मुद्दा, एडवोकेट कमीशन कार्यवाही ने मचा दी पूरे देश में हलचल

Last Updated : Dec 20, 2022, 4:39 PM IST
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