लखनऊः राजधानी का गौरव माने जाने वाला लखनऊ विश्वविद्यालय 25 नवंबर को अपने 100 साल में प्रवेश करने जा रहा है. इसके बीते सालों के गवाह रहे पूर्व छात्रों ने ईटीवी भारत के साथ अपनी यादें साझा कीं. सुप्रसिद्ध इतिहासकार योगेश प्रवीण ने बताया कि मूलरूप से एक अंग्रेज गवर्नर की याद में कैनिंग कॉलेज के रूप में इसकी शुरुआत हुई. आजादी के लिए अंग्रेजो के खिलाफ बगावत का बिगुल भी यहां से फूंका गया. डॉ. शंकर दयाल शर्मा जैसे राजनीतिज्ञ और डॉ. बीरबल साहनी जैसे वैज्ञानिक भी यहीं से निकले हैं.
लखनऊ यूनिवर्सिटी का है अलग अंदाज
इतिहासकार योगेश प्रवीण ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि देश में यूनिवर्सिटी तो बहुत हैं, लेकिन लखनऊ यूनिवर्सिटी का अपना अलग अंदाज और चरित्र है. यह दुनिया के लिए मिसाल है. यहां का ऐतिहासिक परिसर बादशाह बाग में स्थित है. समय के साथ-साथ इस कैंपस का निर्माण हुआ तो इमारतों को इस अंदाज में बनवाया गया, जो आर्किटेक्ट की गगनरेखा को कभी बिगाड़ती नहीं थीं. उन्होंने बताया कि यहां से विद्वान, ज्ञानी लोग निकले हैं. उन लोगों ने देश के साथ-साथ लविवि का नाम भी रोशन किया. विश्वविद्यालय ने आज तक इस चरित्र को बरकरार रखा है.