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यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन की सपा से मांग, मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर हों मुसलमान कैंडिडेट - latest news in lucknow

लखनऊ में मुस्लिम समुदाय के बीच काम करने वाली यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन (United Muslim Foundation) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से विधानसभा चुनाव (assembly election) को लेकर बड़ी मांग रखी है.

यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन अध्यक्ष शोएब अहमद
यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन अध्यक्ष शोएब अहमद
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Published : Nov 28, 2021, 9:35 PM IST

लखनऊ : मुस्लिम समुदाय के बीच काम करने वाली यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन (United Muslim Foundation) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से विधानसभा चुनाव (assembly election) को लेकर बड़ी मांग रखी है.

फाउंडेशन के अध्यक्ष शोएब अहमद ने सपा से आगामी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मुसलमान कैंडिडेट (Muslim Candidate) उतारने की मांग की है.

शोएब अहमद ने कहा कि समाजवादी पार्टी का मूल वोटबैंक मुसलमान है. सपा को सरकार में लाने का सबसे बड़ा किरदार मुस्लिम निभाते हैं. ऐसे में 403 सीटों में से जिन सीटों पर मुसलमान निर्णायक भूमिका में हैं, उनपर मुस्लिम प्रत्याशी उतारा जाए नहीं तो मुसलमानों के पास कांग्रेस और ओवैसी जैसी पार्टियों के भी विकल्प खुले हैं.

यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन अध्यक्ष शोएब अहमद

इसे भी पढ़ेः शामली में चुनाव के दौरान वोट हासिल करने के लिए कॉलोनियों में बसाए जा रहे मुस्लिम परिवार

यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन के अध्यक्ष शोएब अहमद ने रविवार को राजधानी में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि यूपी में 20 प्रतिशत मुसलमान वोट है. इसका मतलब हर पांचवां वोटर मुस्लिम समुदाय से होता लेकिन आबादी के हिसाब से मुसलमानों को राजनीति में नुमाइंदगी नहीं दी जाती.

उन्होंने कहा कि 403 सीटों में से 84 सीटें आरक्षित हैं जिनपर मुसलमान लड़ ही नहीं सकता. ऐसे में सेकुलर पार्टियों (secular parties) को निर्वाचन आयोग से इन सीटों को आरक्षित कोटे से हटाने का दबाव बनाना चाहिए. इन 84 में से 25 प्रतिशत से ज़्यादा मुसलमानों की आबादी वाली विधानसभा में मुस्लिम प्रत्याशी उतारना चाहिए. कहा कि उत्तर प्रदेश में जातिगत राजनीति चरम पर है. लगभग हर जाति की अपनी पार्टी और नेता है.

शोएब अहमद ने समाजवादी पार्टी से मांग की कि जिन मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम समुदाय से आने वाले प्रत्याशियों की दावेदारी एक से ज्यादा है, उन पर जल्द से जल्द टिकट की घोषणा करें ताकि मुस्लिम दावेदारों में आपस में तकरार न हो. सब मिलकर अभी से प्रत्याशी को जिताने के काम में जुटें.

मुस्लिम हितों की बात करना किसी भी तरह से जाती या दूसरे धर्म के हितों के खिलाफ नहीं है. आजकल ऐसा माहौल बना दिया गया कि सभी पार्टियां मुसलमानों का वोट बटोरना तो चाहती है लेकिन मुस्लिम सम्मेलन या सार्वजनिक मंच मुसलमानों के साथ साझा करने से परहेज कर रहीं हैं.

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लखनऊ : मुस्लिम समुदाय के बीच काम करने वाली यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन (United Muslim Foundation) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से विधानसभा चुनाव (assembly election) को लेकर बड़ी मांग रखी है.

फाउंडेशन के अध्यक्ष शोएब अहमद ने सपा से आगामी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मुसलमान कैंडिडेट (Muslim Candidate) उतारने की मांग की है.

शोएब अहमद ने कहा कि समाजवादी पार्टी का मूल वोटबैंक मुसलमान है. सपा को सरकार में लाने का सबसे बड़ा किरदार मुस्लिम निभाते हैं. ऐसे में 403 सीटों में से जिन सीटों पर मुसलमान निर्णायक भूमिका में हैं, उनपर मुस्लिम प्रत्याशी उतारा जाए नहीं तो मुसलमानों के पास कांग्रेस और ओवैसी जैसी पार्टियों के भी विकल्प खुले हैं.

यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन अध्यक्ष शोएब अहमद

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यूनाइटेड मुस्लिम फाउंडेशन के अध्यक्ष शोएब अहमद ने रविवार को राजधानी में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि यूपी में 20 प्रतिशत मुसलमान वोट है. इसका मतलब हर पांचवां वोटर मुस्लिम समुदाय से होता लेकिन आबादी के हिसाब से मुसलमानों को राजनीति में नुमाइंदगी नहीं दी जाती.

उन्होंने कहा कि 403 सीटों में से 84 सीटें आरक्षित हैं जिनपर मुसलमान लड़ ही नहीं सकता. ऐसे में सेकुलर पार्टियों (secular parties) को निर्वाचन आयोग से इन सीटों को आरक्षित कोटे से हटाने का दबाव बनाना चाहिए. इन 84 में से 25 प्रतिशत से ज़्यादा मुसलमानों की आबादी वाली विधानसभा में मुस्लिम प्रत्याशी उतारना चाहिए. कहा कि उत्तर प्रदेश में जातिगत राजनीति चरम पर है. लगभग हर जाति की अपनी पार्टी और नेता है.

शोएब अहमद ने समाजवादी पार्टी से मांग की कि जिन मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम समुदाय से आने वाले प्रत्याशियों की दावेदारी एक से ज्यादा है, उन पर जल्द से जल्द टिकट की घोषणा करें ताकि मुस्लिम दावेदारों में आपस में तकरार न हो. सब मिलकर अभी से प्रत्याशी को जिताने के काम में जुटें.

मुस्लिम हितों की बात करना किसी भी तरह से जाती या दूसरे धर्म के हितों के खिलाफ नहीं है. आजकल ऐसा माहौल बना दिया गया कि सभी पार्टियां मुसलमानों का वोट बटोरना तो चाहती है लेकिन मुस्लिम सम्मेलन या सार्वजनिक मंच मुसलमानों के साथ साझा करने से परहेज कर रहीं हैं.

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