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PGI निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने का विरोध, फैकल्टी फोरम ने बुलाई बैठक - PGI NEWS

राज्यपाल की तरफ से प्रो. आरके धीमन का कार्यकाल तीन वर्ष बढ़ाने का आदेश जारी किया गया था.

प्रो. आरके धीमान
प्रो. आरके धीमान (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 10, 2025, 2:12 PM IST

लखनऊ: राजधानी के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) निदेशक प्रो. आरके धीमन का कार्यकाल को तीन साल तक बढ़ा दिया गया है. इसको लेकर चिकित्सकों में नाराजगी बढ़ गई है. वहीं, इसके खिलाफ पीजीआई फैकल्टी फोरम अगले सप्ताह जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) बुलाएगा. बता दें शुक्रवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की तरफ से प्रो. आरके धीमन का कार्यकाल को तीन वर्ष बढ़ाने का आदेश जारी किया गया था. इसका विरोध शुरू हो गया है. पीजीआई फैकल्टी फोरम ने इस मुद्दे को लेकर अगले सप्ताह बैठक बुलाई है.

जानकारी के अनुसार, जनरल बॉडी मीटिंग के बाद तय होगा कि मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए या विरोध की रणनीति बनाई जाए. फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ आर्य ने बताया कि प्रो. आरके धीमन से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन हर फैसला ऐक्ट के मुताबिक होना चाहिए.

इस बारे में पीजीआई फैकल्टी फोरम महासचिव प्रो. पुनीत गोयल ने कहा कि पीजीआई एक्ट के मुताबिक, यहां एम्स के नियमों का पालन होता है. एम्स में निदेशक की अधिकतम उम्र 65 साल है तो यहां 68 साल तक कार्यकाल का संशोधन कैसे लागू होगा. इसे लेकर ही अगले सप्ताह जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) बुलाई गई है.

आदेश की लाइन को बताया भ्रामक: आदेश में कहा गया है कि पीजीआई के निदेशक के कार्यकाल और आयु सीमा की व्यवस्था न होने के कारण संशोधन किया गया है. प्रो. अमिताभ आर्य ने आदेश की इस लाइन को भ्रामक करार देते हुए कहा कि पुराने आध्यादेश में पांच साल का कार्यकाल और 65 साल तक उम्र तय थी.

पीजीआई फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ आर्य ने बताया कि इस बैठक में फैकल्टी फोरम के सभी सदस्य मौजूद होंगे. बैठक में चर्चा की जाएगी कि आखिरकार 3 वर्ष क्यों अतिरिक्त पीजीआई के निदेशक के लिए बढ़ाया गया. इसके अलावा बैठक के सभी सदस्य अपनी-अपनी राय देंगे.

उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों की राय के आधार पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लिखित तौर पर ज्ञापन सौंपा जाएगा. ज्ञापन में यह लिखा जाएगा कि क्या सरकार अन्य वरिष्ठ चिकित्सका अधिकारियों को प्रोन्नति नहीं देना चाहती है. यह पूरी तरह से नाइंसाफी है. अगर किसी स्तर से हमारी बात नहीं सुनी जाएगी, तब उसके बाद हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

यह भी पढ़ें: 4816 लाख से संवारे जाएंगे एसजीपीजीआई के नौ विभाग, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की दशा भी बदलेगी : ब्रजेश पाठक - lucknow SGPGI departments renovated

यह भी पढ़ें: लखनऊ पीजीआई में दोबारा लगी आग : ऑपरेशन थियेटर में आग लगने से नवजात समेत तीन की हो गई थी मौत, परिजनों का छलका दर्द

लखनऊ: राजधानी के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) निदेशक प्रो. आरके धीमन का कार्यकाल को तीन साल तक बढ़ा दिया गया है. इसको लेकर चिकित्सकों में नाराजगी बढ़ गई है. वहीं, इसके खिलाफ पीजीआई फैकल्टी फोरम अगले सप्ताह जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) बुलाएगा. बता दें शुक्रवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की तरफ से प्रो. आरके धीमन का कार्यकाल को तीन वर्ष बढ़ाने का आदेश जारी किया गया था. इसका विरोध शुरू हो गया है. पीजीआई फैकल्टी फोरम ने इस मुद्दे को लेकर अगले सप्ताह बैठक बुलाई है.

जानकारी के अनुसार, जनरल बॉडी मीटिंग के बाद तय होगा कि मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए या विरोध की रणनीति बनाई जाए. फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ आर्य ने बताया कि प्रो. आरके धीमन से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन हर फैसला ऐक्ट के मुताबिक होना चाहिए.

इस बारे में पीजीआई फैकल्टी फोरम महासचिव प्रो. पुनीत गोयल ने कहा कि पीजीआई एक्ट के मुताबिक, यहां एम्स के नियमों का पालन होता है. एम्स में निदेशक की अधिकतम उम्र 65 साल है तो यहां 68 साल तक कार्यकाल का संशोधन कैसे लागू होगा. इसे लेकर ही अगले सप्ताह जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) बुलाई गई है.

आदेश की लाइन को बताया भ्रामक: आदेश में कहा गया है कि पीजीआई के निदेशक के कार्यकाल और आयु सीमा की व्यवस्था न होने के कारण संशोधन किया गया है. प्रो. अमिताभ आर्य ने आदेश की इस लाइन को भ्रामक करार देते हुए कहा कि पुराने आध्यादेश में पांच साल का कार्यकाल और 65 साल तक उम्र तय थी.

पीजीआई फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ आर्य ने बताया कि इस बैठक में फैकल्टी फोरम के सभी सदस्य मौजूद होंगे. बैठक में चर्चा की जाएगी कि आखिरकार 3 वर्ष क्यों अतिरिक्त पीजीआई के निदेशक के लिए बढ़ाया गया. इसके अलावा बैठक के सभी सदस्य अपनी-अपनी राय देंगे.

उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों की राय के आधार पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लिखित तौर पर ज्ञापन सौंपा जाएगा. ज्ञापन में यह लिखा जाएगा कि क्या सरकार अन्य वरिष्ठ चिकित्सका अधिकारियों को प्रोन्नति नहीं देना चाहती है. यह पूरी तरह से नाइंसाफी है. अगर किसी स्तर से हमारी बात नहीं सुनी जाएगी, तब उसके बाद हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

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