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UP: उपभोक्ताओं पर पड़ेगी विदेशी कोयले की मार, 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली होगी महंगी

यूपी के 3 करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली महंगी होने वाली है. विदेशी कोयला खरीदन के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं. दरअसल, बिजली की बढ़ती डिमांड और कोयले की किल्लत का हवाला देकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 6 प्रतिशत विदेश कोयला खरीदने के लिए कहा है.

विदेशी कोयले की मार
विदेशी कोयले की मार
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Published : Jan 21, 2023, 8:01 PM IST

जानकारी देते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा

लखनऊ: केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में सभी राज्यों के उत्पादन निगमों को अपनी आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला हर महीने खरीदने का निर्देश दिया है. ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश ने 6% विदेशी कोयला खरीदा तो उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का जोरदार करंट लगेगा. अनुमान है कि उपभोक्ताओं की 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी हो जाएगी. वहीं, बिजली विभाग पर लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा. बता दें कि पिछली बार भी केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार को विदेशी कोयला खरीदने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी कीमत पर विदेशी कोयला न खरीदने के निर्देश अधिकारियों को दे दिया. इसके बाद विदेशी कोयला खरीद नहीं हुई. हालांकि इसके पीछे तर्क दिया गया था कि उस समय यूपी में विधानसभा चुनाव आने वाले थे. इसलिए सरकार महंगा विदेशी कोयला खरीदकर उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का भार नहीं डालना चाहती थी. लेकिन इस बार चुनाव नहीं हैं. लिहाजा, योगी सरकार महंगा विदेशी कोयला खरीद सकती है और उपभोक्ताओं की बिजली महंगी कर सकती है. हालांकि सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिर से विदेशी कोयला खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.

देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां पर उपभोक्ताओं को सबसे महंगी बिजली का भार झेलना पड़ता है. समय-समय पर बिजली कंपनियां बिजली दरें बढ़ाने के लिए कोशिश में भी लगी रहती हैं. हाल ही में वार्षिक राजस्व आवश्यकता का जो प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग में दाखिल किया गया है उसमें भी घरेलू उपभोक्ताओं के साथ ही अन्य सभी तरह के उपभोक्ताओं पर 16 से 23% महंगी बिजली का भार डालने की तैयारी की गई है. इस तरह बिजली दर बढ़ाने का तो प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से दिया गया है. दूसरी तरफ केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की जो मंशा है. उसके अनुसार अगर उत्तर प्रदेश ने महंगा विदेशी कोयला खरीदा तो महंगी बिजली दरों का और भी ज्यादा अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं को झेलना पड़ सकता है.

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कोयले का कारोबार

बताया जा रहा है विदेशी कोयला खरीदने पर ही तकरीबन ₹7500 का अतिरिक्त भार ऊर्जा विभाग पर आएगा. अगर ऐसा होता है तो हर उपभोक्ता पर 70 पैसे प्रति यूनिट की महंगी बिजली का भार पड़ेगा. विदेशी कोयला खरीदने को लेकर उपभोक्ता परिषद लगातार आंकड़ों के साथ अपने तर्क प्रस्तुत कर रहा है, जिसके चलते विदेशी कोयला खरीद करना भी आसान नहीं होगा. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल काफी ज्यादा कोयला उत्पादन इकाइयों में मौजूद है. ऐसे में विदेशी कोयला खरीदकर उपभोक्ताओं की बिजली दरें महंगी करने की चाल नहीं चलनी चाहिए.

14 लाख टन से ज्यादा कोयला मौजूद
वर्तमान में उत्तर प्रदेश की उत्पादन इकाईयों में लगभग 14 लाख 30 हजार टन कोयले की उपलब्धता है. जनवरी 2022 में यह उपलब्धता मात्र 10 लाख 90 हजार टन थी. वर्ष 2022 में बिना विदेशी कोयला खरीदे प्रदेश की सभी उत्पादन इकाईयां सुचारु रूप से संचालित हुईं, जबकि इस बार प्रदेश में डोमेस्टिक कोयले की उपलब्धता अधिक है. इसलिए विदेशी कोयला खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं है. आंकड़े बयां कर रहे हैं कि अगर प्रदेश की बिजली कंपनियां जनवरी से सितंबर 2023 के बीच छह प्रतिशत विदेशी कोयला की खरीद करेंगी तो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के ऊपर अतिरिक्त लगभग 7500 करोड का भार आएगा, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.

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विदेशी कोयला

उत्पादन इकाइयों में मौजूद है इतना कोयला
प्रदेश में अगर 85 प्रतिशत पीएलएफ पर सभी 5820 मेगावाट की उत्पादन इकाइयों को चलाया जाए तो रोज लगभग 85 हजार टन कोयले की आवश्यकता होगी. अनपरा में लगभग 28 दिन से ज्यादा का कोयला है. हरदुआगंज में 18 दिन से ज्यादा का कोयला है. ओबरा में पांच दिन का कोयला है. परीछा में छह दिन का कोयला है. उत्तर प्रदेश को रोज 11 रैक कोयला अनुबंध पर मिलना है.

यूपी में सबसे ज्यादा कोयला
देश में नारमैटिव मानक के आधार पर उत्पादन इकाइयों के पास 51 प्रतिशत कुल कोयले की उपलब्धता है. वहीं, उसके सापेक्ष उत्तर प्रदेश में कोयले की वर्तमान उपलब्धता मानक के तहत 83 प्रतिशत है. महाराष्ट्र में 53 प्रतिशत, हरियाणा में 48 प्रतिशत, गुजरात में 43 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 32 प्रतिशत, पंजाब में 11 प्रतिशत और राजस्थान में नौ प्रतिशत.

क्या कहते हैं परिषद अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के अध्यक्ष कुमार वर्मा का कहना है कि विदेशी कोयला खरीदने की कोई जरूरत ही नहीं है. उत्तर प्रदेश की उत्पादन इकाईयों के पास अपनी जरूरत का कोयला मौजूद है. ऐसे में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का छह फीसद विदेशी कोयला खरीदने के निर्देश देना सीधे तौर पर निजी घरानों को लाभ पहुंचाने का है. इससे ऊर्जा विभाग पर साढ़े सात हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा जबकि अगर खरीद हुई तो प्रति उपभोक्ता 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली दर में बढ़ोतरी हो जाएगी. यह सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा. मेरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि विदेशी कोयले की खरीद बिल्कुल करने की इजाजत न दें.

यह भी पढ़ें- Wrestlers Protest: बृज भूषण शरण सिंह ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से खुद को किया अलग, जांच तक बैठकों में नही होंगे शामिल

जानकारी देते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा

लखनऊ: केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में सभी राज्यों के उत्पादन निगमों को अपनी आवश्यकता का छह प्रतिशत विदेशी कोयला हर महीने खरीदने का निर्देश दिया है. ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश ने 6% विदेशी कोयला खरीदा तो उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का जोरदार करंट लगेगा. अनुमान है कि उपभोक्ताओं की 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी हो जाएगी. वहीं, बिजली विभाग पर लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा. बता दें कि पिछली बार भी केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार को विदेशी कोयला खरीदने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी कीमत पर विदेशी कोयला न खरीदने के निर्देश अधिकारियों को दे दिया. इसके बाद विदेशी कोयला खरीद नहीं हुई. हालांकि इसके पीछे तर्क दिया गया था कि उस समय यूपी में विधानसभा चुनाव आने वाले थे. इसलिए सरकार महंगा विदेशी कोयला खरीदकर उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का भार नहीं डालना चाहती थी. लेकिन इस बार चुनाव नहीं हैं. लिहाजा, योगी सरकार महंगा विदेशी कोयला खरीद सकती है और उपभोक्ताओं की बिजली महंगी कर सकती है. हालांकि सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिर से विदेशी कोयला खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं.

देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां पर उपभोक्ताओं को सबसे महंगी बिजली का भार झेलना पड़ता है. समय-समय पर बिजली कंपनियां बिजली दरें बढ़ाने के लिए कोशिश में भी लगी रहती हैं. हाल ही में वार्षिक राजस्व आवश्यकता का जो प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से नियामक आयोग में दाखिल किया गया है उसमें भी घरेलू उपभोक्ताओं के साथ ही अन्य सभी तरह के उपभोक्ताओं पर 16 से 23% महंगी बिजली का भार डालने की तैयारी की गई है. इस तरह बिजली दर बढ़ाने का तो प्रस्ताव बिजली कंपनियों की तरफ से दिया गया है. दूसरी तरफ केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की जो मंशा है. उसके अनुसार अगर उत्तर प्रदेश ने महंगा विदेशी कोयला खरीदा तो महंगी बिजली दरों का और भी ज्यादा अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं को झेलना पड़ सकता है.

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कोयले का कारोबार

बताया जा रहा है विदेशी कोयला खरीदने पर ही तकरीबन ₹7500 का अतिरिक्त भार ऊर्जा विभाग पर आएगा. अगर ऐसा होता है तो हर उपभोक्ता पर 70 पैसे प्रति यूनिट की महंगी बिजली का भार पड़ेगा. विदेशी कोयला खरीदने को लेकर उपभोक्ता परिषद लगातार आंकड़ों के साथ अपने तर्क प्रस्तुत कर रहा है, जिसके चलते विदेशी कोयला खरीद करना भी आसान नहीं होगा. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल काफी ज्यादा कोयला उत्पादन इकाइयों में मौजूद है. ऐसे में विदेशी कोयला खरीदकर उपभोक्ताओं की बिजली दरें महंगी करने की चाल नहीं चलनी चाहिए.

14 लाख टन से ज्यादा कोयला मौजूद
वर्तमान में उत्तर प्रदेश की उत्पादन इकाईयों में लगभग 14 लाख 30 हजार टन कोयले की उपलब्धता है. जनवरी 2022 में यह उपलब्धता मात्र 10 लाख 90 हजार टन थी. वर्ष 2022 में बिना विदेशी कोयला खरीदे प्रदेश की सभी उत्पादन इकाईयां सुचारु रूप से संचालित हुईं, जबकि इस बार प्रदेश में डोमेस्टिक कोयले की उपलब्धता अधिक है. इसलिए विदेशी कोयला खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं है. आंकड़े बयां कर रहे हैं कि अगर प्रदेश की बिजली कंपनियां जनवरी से सितंबर 2023 के बीच छह प्रतिशत विदेशी कोयला की खरीद करेंगी तो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के ऊपर अतिरिक्त लगभग 7500 करोड का भार आएगा, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.

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विदेशी कोयला

उत्पादन इकाइयों में मौजूद है इतना कोयला
प्रदेश में अगर 85 प्रतिशत पीएलएफ पर सभी 5820 मेगावाट की उत्पादन इकाइयों को चलाया जाए तो रोज लगभग 85 हजार टन कोयले की आवश्यकता होगी. अनपरा में लगभग 28 दिन से ज्यादा का कोयला है. हरदुआगंज में 18 दिन से ज्यादा का कोयला है. ओबरा में पांच दिन का कोयला है. परीछा में छह दिन का कोयला है. उत्तर प्रदेश को रोज 11 रैक कोयला अनुबंध पर मिलना है.

यूपी में सबसे ज्यादा कोयला
देश में नारमैटिव मानक के आधार पर उत्पादन इकाइयों के पास 51 प्रतिशत कुल कोयले की उपलब्धता है. वहीं, उसके सापेक्ष उत्तर प्रदेश में कोयले की वर्तमान उपलब्धता मानक के तहत 83 प्रतिशत है. महाराष्ट्र में 53 प्रतिशत, हरियाणा में 48 प्रतिशत, गुजरात में 43 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 32 प्रतिशत, पंजाब में 11 प्रतिशत और राजस्थान में नौ प्रतिशत.

क्या कहते हैं परिषद अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के अध्यक्ष कुमार वर्मा का कहना है कि विदेशी कोयला खरीदने की कोई जरूरत ही नहीं है. उत्तर प्रदेश की उत्पादन इकाईयों के पास अपनी जरूरत का कोयला मौजूद है. ऐसे में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का छह फीसद विदेशी कोयला खरीदने के निर्देश देना सीधे तौर पर निजी घरानों को लाभ पहुंचाने का है. इससे ऊर्जा विभाग पर साढ़े सात हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा जबकि अगर खरीद हुई तो प्रति उपभोक्ता 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली दर में बढ़ोतरी हो जाएगी. यह सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा. मेरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि विदेशी कोयले की खरीद बिल्कुल करने की इजाजत न दें.

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