लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ में याचिका दाखिल करके धर्मांतरण मामले के मुख्य अभियुक्त उमर गौतम ने मीडिया रिपोर्टिंग रोकने की मांग की है. याचिका में अभियुक्त द्वारा मीडिया रिपोर्टिंग को अपने अधिकारों का हनन बताया है. उमर गौतम की याचिका पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिका पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई की. उमर गौतम की ओर से दलील दी गई कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसे तमाम बिंदुओं पर रिपोर्टिंग कर रही है, जो मामले की गहन जांच से सम्बंधित है.
उमर गौतम के अधिवक्ता ने आशंका जताई गई कि रिपोर्टिंग से चल रही जांच प्रभावित हो सकती है. उमर गौतम के अधिवक्ता का कहना है कि इस प्रकार की रिपोर्टिंग से अभियुक्त के अधिकारों का हनन हो रहा है. याचिका में तमाम मीडिया संस्थानों को प्रतिवादी बनाते हुए मांग की गई कि उन्हें मामले की रिपोर्टिंग करने से रोक दिया जाए. वहीं याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता एसएन तिलहरी ने दलील दी कि जांच एजेंसी मामले से संबंधित कोई भी तथ्य मीडिया को लीक नहीं कर रही है. सरकारी वकील का कहना है कि सर्वोच्च न्यायलाय ने मीडिया की रिपोर्टिंग के सम्बंध में पहले से कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं. ऐसे में वर्तमान याचिका पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायलाय ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है.
21 जून को यूपी एटीएस ने किया था गिरफ्तार
एटीएस ने 21 जून को दो मुसलमान धर्मगुरुओं को साजिश के तहत हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इनमें से एक खुद हिंदू धर्म में पैदा हुआ था, उसने इस्लाम धर्म अपनाया था. यूपी पुलिस के मुताबिक, मोहम्मद उमर गौतम और मुफ़्ती काजी जहांगीर आलम कासमी को दिल्ली के जामिया नगर इलाके से हिरासत में लिया गया था. एटीएस के मुताबिक, उमर और जहांगीर न सिर्फ लालच, बल्कि डरा-धमकाकर भी धर्म परिवर्तित करवाते थे. इन दोनों ने अब तक गरीब महिलाओं के साथ मूक-मधिर गरीब बच्चों और अपाहिजों को मिलाकर 1,000 से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण कराया है.
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