लखनऊ : जिला अस्पतालों में सभी जांचों का शुल्क या तो निशुल्क है या फिर 300 रुपये से कम शुल्क निर्धारित है. ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए निशुल्क सुविधा भी उपलब्ध है. ऐसे में शहर के जाने-माने महिला अस्पताल क्वीन मैरी महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की कीमत एक हजार रुपये तय की गई है. जबकि इससे पहले गर्भवती महिलाओं का एक भी रुपये शुल्क नहीं लगता था. अचानक एक हजार रुपये शुल्क लगने के कारण गर्भवती महिलाएं परेशान हो रही हैं. लखनऊ के अन्य महिला अस्पताल झलकारीबाई और अवंतीबाई महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए निशुल्क अल्ट्रासाउंड होता है.
एक गर्भवती महिला की तीमारदार सोनी ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के लिए क्वीन मेरी अस्पताल में 1000 रुपये निर्धारित किए हैं. जो कि काफी ज्यादा हैं. क्योंकि पहले यहां पर निशुल्क अल्ट्रासाउंड की जांच होती थी. ऐसे में अचानक से 1000 रुपये शुल्क होने से काफी दिक्कत परेशानी हो रही है. इतने ही दाम में बाहर प्राइवेट अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की जांच होती है. सरकारी अस्पताल में वही लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं जिनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं. एक और महिला ममता ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में इतना अधिक अल्ट्रासाउंड का दाम नहीं रखना चाहिए. अगर इतने ही सक्षम हम होते तो सरकारी अस्पताल में नहीं आते. हमारे ही जैसे हजारों लोग इलाज के लिए यहां आते हैं. अस्पताल को इस कदर से दाम नहीं बनाना चाहिए कि कोई अस्पताल की दहलीज पर आकर यहां से वापस लौटे.
रोजाना आ रहीं 300 से अधिक महिलाएं : क्वीन मैरी अस्पताल की प्रवक्ता (Queen Mary Hospital spokeswoman) डाॅ. रेखा सचान ने बताया कि इस समय अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 300 से अधिक महिलाएं इलाज के लिए पहुंच रही हैं. शुक्रवार को दोपहर 1 बजे तक 193 महिलाओं ने ओपीडी में परामर्श लिया. इसके अलावा ओपीडी के बाहर लंबी लाइन लगी रही. उन्होंने बताया कि रोजाना 20 से 25 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. 50 से 55 रोजाना अल्ट्रासाउंड होते हैं. इसमें गर्भधारण के दौरान हर महीने होने वाली जांच कराने वाली महिलाएं भी शामिल रहती हैं. हर 2-3 महीने पर गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड होता है.
अब लगेगा शुल्क : मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ एसपी जयसवार (Medical Superintendent Dr SP Jaiswar) ने बताया कि पहले हर महिला अस्पताल की तरह क्वीन मैरी अस्पताल में भी गर्भवती महिलाओं की निशुल्क जांचें होती थीं, लेकिन अब अल्ट्रासाउंड के लिए गर्भवती महिलाओं का भी शुल्क लगेगा. इससे पहले गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड निशुल्क होता था. इसके अलावा जो महिलाएं गर्भ से नहीं होती थीं, उनका 250 रुपये शुल्क लगता था. गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड का शुल्क एक हजार रुपये निर्धारित किया गया है. क्योंकि अस्पताल प्रशासन के पास इतना बजट नहीं है कि रोजाना 50 से 55 गर्भवती महिलाओं का निशुल्क अल्ट्रासाउंड हो.
इन अस्पतालों में निशुल्क जांच : झलकारी बाई अस्पताल के सीएमएस डॉ. रंजना खरे ने बताया कि वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल में सिर्फ गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. रोजाना 200 से 250 गर्भवती महिलाएं ओपीडी में इलाज के लिए आ रही हैं. इसके अलावा रोजाना 15 से 20 अस्पताल में प्रसव होते हैं. इसमें ज्यादातर रेफर केस अधिक होते हैं. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं समेत अन्य महिलाएं जो अस्पताल में इलाज के लिए आती हैं उनका अस्पताल में निशुल्क जांच होती है चाहे वह अल्ट्रासाउंड हो या फिर कोई अन्य जांच. अस्पताल में किसी भी जांच का कोई भी शुल्क नहीं लगता है. सिर्फ 1 रुपये की पर्चे पर गर्भवती महिलाओं को पूरा इलाज मिलता है. वीरांगना अवंती बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल में रोजाना लगभग 200 से 300 महिलाओं की ओपीडी चलती है. इसके अलावा लगभग रोजाना 20 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. इसके अलावा इमरजेंसी में आने वाली गर्भवती महिलाएं के अल्ट्रासाउंड के लिए कोई भी शुल्क नहीं लगता है. वहीं सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल और लोकबंधु अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की जांच अभी निशुल्क है.
क्वीन मैरी महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड महंगा, 1000 रुपये हुआ शुल्क, महिलाओं ने कही यह बात
क्वीन मैरी महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए निशुल्क होने वाले अल्ट्रासाउंड की दर अचानक एक हजार रुपये कर दी गई है. अल्ट्रासाउंड कराने की दर बढ़ाए जाने से दूर दराज और गरीब तबके से आने वाली महिलाएं नाराजगी के साथ परेशानी भी जाहिर कर रही हैं. महिलाओं का कहना है कि शुल्क बढ़ाने से वे इलाज नहीं करा पाएंगी.
लखनऊ : जिला अस्पतालों में सभी जांचों का शुल्क या तो निशुल्क है या फिर 300 रुपये से कम शुल्क निर्धारित है. ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए निशुल्क सुविधा भी उपलब्ध है. ऐसे में शहर के जाने-माने महिला अस्पताल क्वीन मैरी महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की कीमत एक हजार रुपये तय की गई है. जबकि इससे पहले गर्भवती महिलाओं का एक भी रुपये शुल्क नहीं लगता था. अचानक एक हजार रुपये शुल्क लगने के कारण गर्भवती महिलाएं परेशान हो रही हैं. लखनऊ के अन्य महिला अस्पताल झलकारीबाई और अवंतीबाई महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए निशुल्क अल्ट्रासाउंड होता है.
एक गर्भवती महिला की तीमारदार सोनी ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के लिए क्वीन मेरी अस्पताल में 1000 रुपये निर्धारित किए हैं. जो कि काफी ज्यादा हैं. क्योंकि पहले यहां पर निशुल्क अल्ट्रासाउंड की जांच होती थी. ऐसे में अचानक से 1000 रुपये शुल्क होने से काफी दिक्कत परेशानी हो रही है. इतने ही दाम में बाहर प्राइवेट अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की जांच होती है. सरकारी अस्पताल में वही लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं जिनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं. एक और महिला ममता ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में इतना अधिक अल्ट्रासाउंड का दाम नहीं रखना चाहिए. अगर इतने ही सक्षम हम होते तो सरकारी अस्पताल में नहीं आते. हमारे ही जैसे हजारों लोग इलाज के लिए यहां आते हैं. अस्पताल को इस कदर से दाम नहीं बनाना चाहिए कि कोई अस्पताल की दहलीज पर आकर यहां से वापस लौटे.
रोजाना आ रहीं 300 से अधिक महिलाएं : क्वीन मैरी अस्पताल की प्रवक्ता (Queen Mary Hospital spokeswoman) डाॅ. रेखा सचान ने बताया कि इस समय अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 300 से अधिक महिलाएं इलाज के लिए पहुंच रही हैं. शुक्रवार को दोपहर 1 बजे तक 193 महिलाओं ने ओपीडी में परामर्श लिया. इसके अलावा ओपीडी के बाहर लंबी लाइन लगी रही. उन्होंने बताया कि रोजाना 20 से 25 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. 50 से 55 रोजाना अल्ट्रासाउंड होते हैं. इसमें गर्भधारण के दौरान हर महीने होने वाली जांच कराने वाली महिलाएं भी शामिल रहती हैं. हर 2-3 महीने पर गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड होता है.
अब लगेगा शुल्क : मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ एसपी जयसवार (Medical Superintendent Dr SP Jaiswar) ने बताया कि पहले हर महिला अस्पताल की तरह क्वीन मैरी अस्पताल में भी गर्भवती महिलाओं की निशुल्क जांचें होती थीं, लेकिन अब अल्ट्रासाउंड के लिए गर्भवती महिलाओं का भी शुल्क लगेगा. इससे पहले गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड निशुल्क होता था. इसके अलावा जो महिलाएं गर्भ से नहीं होती थीं, उनका 250 रुपये शुल्क लगता था. गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड का शुल्क एक हजार रुपये निर्धारित किया गया है. क्योंकि अस्पताल प्रशासन के पास इतना बजट नहीं है कि रोजाना 50 से 55 गर्भवती महिलाओं का निशुल्क अल्ट्रासाउंड हो.
इन अस्पतालों में निशुल्क जांच : झलकारी बाई अस्पताल के सीएमएस डॉ. रंजना खरे ने बताया कि वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल में सिर्फ गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. रोजाना 200 से 250 गर्भवती महिलाएं ओपीडी में इलाज के लिए आ रही हैं. इसके अलावा रोजाना 15 से 20 अस्पताल में प्रसव होते हैं. इसमें ज्यादातर रेफर केस अधिक होते हैं. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं समेत अन्य महिलाएं जो अस्पताल में इलाज के लिए आती हैं उनका अस्पताल में निशुल्क जांच होती है चाहे वह अल्ट्रासाउंड हो या फिर कोई अन्य जांच. अस्पताल में किसी भी जांच का कोई भी शुल्क नहीं लगता है. सिर्फ 1 रुपये की पर्चे पर गर्भवती महिलाओं को पूरा इलाज मिलता है. वीरांगना अवंती बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल में रोजाना लगभग 200 से 300 महिलाओं की ओपीडी चलती है. इसके अलावा लगभग रोजाना 20 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. इसके अलावा इमरजेंसी में आने वाली गर्भवती महिलाएं के अल्ट्रासाउंड के लिए कोई भी शुल्क नहीं लगता है. वहीं सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल और लोकबंधु अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की जांच अभी निशुल्क है.