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UG-PG अंतिम वर्ष के छात्रों को देनी होगी परीक्षा, यह होगा पेपर का पैटर्न

उत्तर प्रदेश में स्नातक और परास्नातक के अंतिम सेमेस्टर (वार्षिक प्रणाली में अंतिम वर्ष) के छात्र-छात्राओं को परीक्षा देनी होगी. उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मंगलवार को परीक्षा पैटर्न से लेकर प्रस्तावित कार्यक्रम भी जारी कर दिया है. कोरोना संक्रमण के चलते अगर कोई छात्र स्नातक और परास्नातक परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है तो उसे दोबारा मौका दिया जाएगा.

UG-PG अंतिम वर्ष के छात्रों को देनी होगी परीक्षा
UG-PG अंतिम वर्ष के छात्रों को देनी होगी परीक्षा
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Published : Jun 8, 2021, 6:57 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्नातक और परास्नातक के अंतिम सेमेस्टर (वार्षिक प्रणाली में अंतिम वर्ष) के छात्र-छात्राओं को परीक्षा देनी होगी. वहीं, अन्य सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं को अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा. उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मंगलवार को परीक्षा पैटर्न से लेकर प्रस्तावित कार्यक्रम भी जारी कर दिया है. सभी विश्वविद्यालयों को इन दिशानिर्देशों के हिसाब से अपने स्तर पर परीक्षाएं कराने को कहा गया है. इन दिशा निर्देशों में परीक्षा का समय 3 घंटे से घटाकर डेढ़ घंटा करने की सलाह दी गई है.

यह दिशानिर्देश किए गए जारी

- स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षायें सम्पन्न कराई जायेगी. यदि स्नातक पंचम सेमेस्टर और स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हो, तो अन्तिम सेमेस्टर में प्राप्त अंकों के आधार पर पूर्व सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जा सकते हैं.

- यूजी में द्वितीय और चतुर्थ सेमेस्टर के अंक प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के अंकों के आधार पर दिए जाएंगे.

- जहां स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षायें हो चुकी है, वहां स्नातक द्वितीय/चतुर्थ (सम) सेमेस्टर और स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर के अंक प्रथम/तृतीय सेमेस्टर के अंकों के आधार पर तथा मिड टर्म/अन्तरिम मूल्यांकन के आधार पर निर्धारित किए जा सकते हैं.

- जहां विषम एवं सम सेमेस्टर की परीक्षाएं नहीं हुई हैं वहां, मिड टर्म/अन्तरिक मूल्यांकन के आधार पर विषम एवं सम सेमेस्टर के परिणाम और अंक अंतर्वेशन से निर्धारित किए जा सकते हैं.

- ऐसे विश्वविद्यालय जहां स्नातक पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष की परीक्षाएं नहीं हुई है, उनके छात्रों को द्वितीय वर्ष में प्रोन्नत कर दिया जायेगा. वर्ष 2022 में होने वाली उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के अंकों के आधार पर उनके प्रथम वर्ष का परिणाम तथा अंक निर्धारित किए जा सकते हैं.

स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिये

- ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षाएं हुई थीं, वहां प्रथम वर्ष के अंक के आधार पर द्वितीय वर्ष के परिणाम तथा अंक निर्धारित किए जा सकते हैं. छात्रों को तृतीय वर्ष में प्रोन्नत किया जायेगा.

- ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षायें नहीं हुई थीं, उनके द्वारा द्वितीय वर्ष की परीक्षायें करायी जायेगी और परीक्षा परिणाम के अनुसार तृतीय वर्ष में प्रवेश दिया जायेगा. स्नातक तृतीय/अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को सम्पन्न कराया जायेगा.

- स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के छात्रों को द्वितीय वर्ष में प्रोन्नत किया जायेगा. जब वर्ष 2022 में द्वितीय वर्ष की परीक्षायें होगी तो उनमें प्राप्त अंकों के आधार पर उन्हें प्रथम वर्ष के अंक प्रदान किये जा सकते हैं. स्नाकोत्तर द्वितीय वर्ष की परीक्षायें करायी जायेंगी.

परीक्षा के लिए यह समय सीमा की गई थी तय

- उपमुख्यमंत्री ने सभी परीक्षाएं आगामी अगस्त माह में पूरी कराने के निर्देश दिए हैं. विश्वविद्यालयों को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर तिथियां निर्धारित करने की छूट दी गई है.

- प्रायोगिक परीक्षायें आयोजित नहीं की जायेंगी और उनके अंकों का निर्धारण लिखित परीक्षा के आधार पर किया जा सकता है. मौखिक परीक्षा (Viva) आवश्कतानुसार ऑनलाइन सम्पन्न करायी जायेंगी.

यह हो सकता है प्रश्नपत्र का स्वरूप

- परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण विश्वविद्यालय स्तर से किया जायेगा.

- परीक्षा एवं प्रश्नपत्रों का स्वरूप क्या होगा, इसका निर्णय लेने के लिए सम्बन्धित विश्वविद्यालय के कुलपति/कार्य परिषद को अधिकृत किया गया है.

- परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण इस प्रकार किया जा सकता है कि एक विषय के सभी प्रश्नपत्रों को सम्मिलित करते हुए एक ही प्रश्नपत्र बनाने पर विचार किया जा सकता है. बहुविकल्पीय एवं ओएमआर आधारित अथवा विस्तृत उत्तरीय प्रश्नपत्र विश्वविद्यालयों की अपनी तैयारी के अनुरूप विचारणीय होंगे.

- यदि किसी विश्वविद्यालय द्वारा किसी पाठ्यक्रम विशेष की परीक्षा ऑनलाइन के माध्यम से कराई जानी सम्भव हो तो सक्षम प्राधिकारी इस पर फैसला ले सकता है.

- परीक्षा समयावधि 3 घण्टे के स्थान पर एक-डेढ़ घण्टे की होगी. प्रश्नपत्रों के हल करने की समयावधि आधी हो जाने के कारण उदाहरणतः परीक्षार्थियों को किसी प्रश्न पत्र में यदि 10 प्रश्नों के उत्तर दिए जाने थे, उसके स्थान पर 05 प्रश्नों के उत्तर दिए जायें. इसी प्रकार लगभग 50 प्रतिशत के अनुपात में छात्र/छात्राओं द्वारा समस्त विषयों के प्रश्नपत्रों में हल किए जाने वाले प्रश्नों की संख्या निर्धारित की जा सकती है.

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते अगर कोई छात्र स्नातक और परास्नातक परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है तो उसे दोबारा मौका दिया जाएगा. यह निर्देश उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मंगलवार को जारी किए. उन्होंने कहा कि ऐसे छात्रों के लिए विश्वविद्यालय सुविधा अनुसार कार्यक्रम तय करके परीक्षा कराएगा. यह प्रावधान सिर्फ शैक्षिक सत्र 2020-21 के लिए लागू होगा. उन्होंने अगस्त में परीक्षा करा के 8 से 31 अगस्त के तक परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने के निर्देश भी दिए हैं. शैक्षणिक सत्र 2021-22 आगामी 13 सितम्बर से प्रारम्भ किया जायेगा.

परिणाम से असंतुष्ट छात्र दोबारा दे सकेंगे पेपर
ऐसे छात्र जो परीक्षा के संबंध में की जा रही व्यवस्थाओं के घोषित परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, वह 2022 में आयोजित होने वाले बैक पेपर परीक्षा अथवा 2022-23 में आयोजित होने वाली वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षा के उन समस्त / किसी भी विषय में सम्मिलित होकर अपने अंकों में सुधार करने के अवसर प्राप्त कर सकेंगे.

यह निर्देश भी किए गए जारी

- परीक्षा के दौरान कोविड -19 से बचाव के समस्त प्रोटोकाल एवं सोशल डिस्टेिन्सिंग का पालन किया जाना सुनिश्चित करें. केन्द्रों की संख्या बढ़ायी जायेगी. एक कमरे में छात्रों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से की जाए कि सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन हो. कमरे में खिड़कियों एवं रोशनदान खोलकर परीक्षा सम्पन्न करायी जाए.

- परीक्षा के पहले एवं बाद में सेनेटाइजेशन की व्यवस्था, अनिवार्य फेस मास्क एवं थर्मल स्कैनिंग की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाए.

- महाविद्यालय/विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, स्टाफ एवं छात्रों के वैक्सीनेशन का कार्य प्राथमिकता पर लिया जाए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्नातक और परास्नातक के अंतिम सेमेस्टर (वार्षिक प्रणाली में अंतिम वर्ष) के छात्र-छात्राओं को परीक्षा देनी होगी. वहीं, अन्य सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं को अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा. उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मंगलवार को परीक्षा पैटर्न से लेकर प्रस्तावित कार्यक्रम भी जारी कर दिया है. सभी विश्वविद्यालयों को इन दिशानिर्देशों के हिसाब से अपने स्तर पर परीक्षाएं कराने को कहा गया है. इन दिशा निर्देशों में परीक्षा का समय 3 घंटे से घटाकर डेढ़ घंटा करने की सलाह दी गई है.

यह दिशानिर्देश किए गए जारी

- स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षायें सम्पन्न कराई जायेगी. यदि स्नातक पंचम सेमेस्टर और स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं सम्पन्न नहीं हुई हो, तो अन्तिम सेमेस्टर में प्राप्त अंकों के आधार पर पूर्व सेमेस्टर के अंक निर्धारित किए जा सकते हैं.

- यूजी में द्वितीय और चतुर्थ सेमेस्टर के अंक प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के अंकों के आधार पर दिए जाएंगे.

- जहां स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षायें हो चुकी है, वहां स्नातक द्वितीय/चतुर्थ (सम) सेमेस्टर और स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर के अंक प्रथम/तृतीय सेमेस्टर के अंकों के आधार पर तथा मिड टर्म/अन्तरिम मूल्यांकन के आधार पर निर्धारित किए जा सकते हैं.

- जहां विषम एवं सम सेमेस्टर की परीक्षाएं नहीं हुई हैं वहां, मिड टर्म/अन्तरिक मूल्यांकन के आधार पर विषम एवं सम सेमेस्टर के परिणाम और अंक अंतर्वेशन से निर्धारित किए जा सकते हैं.

- ऐसे विश्वविद्यालय जहां स्नातक पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष की परीक्षाएं नहीं हुई है, उनके छात्रों को द्वितीय वर्ष में प्रोन्नत कर दिया जायेगा. वर्ष 2022 में होने वाली उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के अंकों के आधार पर उनके प्रथम वर्ष का परिणाम तथा अंक निर्धारित किए जा सकते हैं.

स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिये

- ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षाएं हुई थीं, वहां प्रथम वर्ष के अंक के आधार पर द्वितीय वर्ष के परिणाम तथा अंक निर्धारित किए जा सकते हैं. छात्रों को तृतीय वर्ष में प्रोन्नत किया जायेगा.

- ऐसे विश्वविद्यालय जहां वर्ष 2020 में प्रथम वर्ष की परीक्षायें नहीं हुई थीं, उनके द्वारा द्वितीय वर्ष की परीक्षायें करायी जायेगी और परीक्षा परिणाम के अनुसार तृतीय वर्ष में प्रवेश दिया जायेगा. स्नातक तृतीय/अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को सम्पन्न कराया जायेगा.

- स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के छात्रों को द्वितीय वर्ष में प्रोन्नत किया जायेगा. जब वर्ष 2022 में द्वितीय वर्ष की परीक्षायें होगी तो उनमें प्राप्त अंकों के आधार पर उन्हें प्रथम वर्ष के अंक प्रदान किये जा सकते हैं. स्नाकोत्तर द्वितीय वर्ष की परीक्षायें करायी जायेंगी.

परीक्षा के लिए यह समय सीमा की गई थी तय

- उपमुख्यमंत्री ने सभी परीक्षाएं आगामी अगस्त माह में पूरी कराने के निर्देश दिए हैं. विश्वविद्यालयों को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर तिथियां निर्धारित करने की छूट दी गई है.

- प्रायोगिक परीक्षायें आयोजित नहीं की जायेंगी और उनके अंकों का निर्धारण लिखित परीक्षा के आधार पर किया जा सकता है. मौखिक परीक्षा (Viva) आवश्कतानुसार ऑनलाइन सम्पन्न करायी जायेंगी.

यह हो सकता है प्रश्नपत्र का स्वरूप

- परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण विश्वविद्यालय स्तर से किया जायेगा.

- परीक्षा एवं प्रश्नपत्रों का स्वरूप क्या होगा, इसका निर्णय लेने के लिए सम्बन्धित विश्वविद्यालय के कुलपति/कार्य परिषद को अधिकृत किया गया है.

- परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण इस प्रकार किया जा सकता है कि एक विषय के सभी प्रश्नपत्रों को सम्मिलित करते हुए एक ही प्रश्नपत्र बनाने पर विचार किया जा सकता है. बहुविकल्पीय एवं ओएमआर आधारित अथवा विस्तृत उत्तरीय प्रश्नपत्र विश्वविद्यालयों की अपनी तैयारी के अनुरूप विचारणीय होंगे.

- यदि किसी विश्वविद्यालय द्वारा किसी पाठ्यक्रम विशेष की परीक्षा ऑनलाइन के माध्यम से कराई जानी सम्भव हो तो सक्षम प्राधिकारी इस पर फैसला ले सकता है.

- परीक्षा समयावधि 3 घण्टे के स्थान पर एक-डेढ़ घण्टे की होगी. प्रश्नपत्रों के हल करने की समयावधि आधी हो जाने के कारण उदाहरणतः परीक्षार्थियों को किसी प्रश्न पत्र में यदि 10 प्रश्नों के उत्तर दिए जाने थे, उसके स्थान पर 05 प्रश्नों के उत्तर दिए जायें. इसी प्रकार लगभग 50 प्रतिशत के अनुपात में छात्र/छात्राओं द्वारा समस्त विषयों के प्रश्नपत्रों में हल किए जाने वाले प्रश्नों की संख्या निर्धारित की जा सकती है.

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते अगर कोई छात्र स्नातक और परास्नातक परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है तो उसे दोबारा मौका दिया जाएगा. यह निर्देश उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मंगलवार को जारी किए. उन्होंने कहा कि ऐसे छात्रों के लिए विश्वविद्यालय सुविधा अनुसार कार्यक्रम तय करके परीक्षा कराएगा. यह प्रावधान सिर्फ शैक्षिक सत्र 2020-21 के लिए लागू होगा. उन्होंने अगस्त में परीक्षा करा के 8 से 31 अगस्त के तक परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने के निर्देश भी दिए हैं. शैक्षणिक सत्र 2021-22 आगामी 13 सितम्बर से प्रारम्भ किया जायेगा.

परिणाम से असंतुष्ट छात्र दोबारा दे सकेंगे पेपर
ऐसे छात्र जो परीक्षा के संबंध में की जा रही व्यवस्थाओं के घोषित परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, वह 2022 में आयोजित होने वाले बैक पेपर परीक्षा अथवा 2022-23 में आयोजित होने वाली वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षा के उन समस्त / किसी भी विषय में सम्मिलित होकर अपने अंकों में सुधार करने के अवसर प्राप्त कर सकेंगे.

यह निर्देश भी किए गए जारी

- परीक्षा के दौरान कोविड -19 से बचाव के समस्त प्रोटोकाल एवं सोशल डिस्टेिन्सिंग का पालन किया जाना सुनिश्चित करें. केन्द्रों की संख्या बढ़ायी जायेगी. एक कमरे में छात्रों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से की जाए कि सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन हो. कमरे में खिड़कियों एवं रोशनदान खोलकर परीक्षा सम्पन्न करायी जाए.

- परीक्षा के पहले एवं बाद में सेनेटाइजेशन की व्यवस्था, अनिवार्य फेस मास्क एवं थर्मल स्कैनिंग की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाए.

- महाविद्यालय/विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, स्टाफ एवं छात्रों के वैक्सीनेशन का कार्य प्राथमिकता पर लिया जाए.

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