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लखनऊ के बालू अड्डा में 4 लोगों में टायफाइड की हुई पुष्टि - लखनऊ की ख़बर

लखनऊ के हजरतगंज में स्थित बालू अड्डा के पास अब टायफाइड का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. रविवार को सात लोगों की जांच हुई.

4 लोगों में टायफाइड की हुई पुष्टि
4 लोगों में टायफाइड की हुई पुष्टि
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Published : Aug 22, 2021, 9:36 PM IST

लखनऊः राजधानी के बालू अड्डा के पास अब टायफाइड का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. रविवार को सात लोगों की जांच हुई. जिसमें से चार लोगों में टायफाइड की पुष्टि हुई है. बीते शनिवार को सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई थी. जबकि शुक्रवार को छह मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई थी. जिनका सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग लगातार बुखार पीड़ितों की जांच कर रहा है. तेजी से फैल रहे बुखार से सभी लोगों में डर बना हुआ है.

सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक मरीजों का मुफ्त इलाज कराया जा रहा है. जांच और दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बुखार पीड़ित डॉक्टर सलाह और दवा लेने तो आ रहे हैं. लेकिन जांच कराने से कतराते रहे हैं. बालू अड्डा पर एक महीने से बीमारी फैली है. डायरिया के लक्षणों वाले दो मरीजों की मौत हो चुकी है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने पानी की जांच कराई. जांच में कालरा की पुष्टि हुई. स्वास्थ्य विभाग ने इलाके के मरीजों की इलाज की रणनीति बदली. धीरे-धीरे स्थिति काबू में आ गई. इसके बाद बुखार ने इलाके के लोगों को जकड़ लिया है.

रोजाना 10 से अधिक मरीज स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आ रहे हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टायफाइड समेत दूसरी जांच कराने का फैसला किया. रविवार को सात लोगों की जांच हुई, चार में टायफाइड निकला. बीते शनिवार को नौ मरीजों की जांच कराई गई. इसमें सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई है. काफी मरीज प्राइवेट क्लीनिक में इलाज करा रहे हैं. इन मरीजों में भी डॉक्टरों ने टायफाइड की आशंका जाहिर की है.

सीएमओ ने बताया कि पेट में संक्रमण से टाइफाइड होता है, जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से होता है. दूषित पानी और भोजन से इसकी आशंका अधिक होती है. बैक्टीरिया आंतों में प्रवेश करता है. एक से तीन सप्ताह तक रहता है. इसके बाद आंतों की दीवार के जरिए रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाता है. खून से ये टायफॉइड बैक्टीरिया अन्य ऊतकों और अंगों में फैलकर कोशिकाओं के अंदर छिप जाता है. मरीजों की जांच व इलाज की सुविधा स्थानीय पीएचसी पर उपलब्ध है.

इसे भी पढ़ें- इधर खाना खा रहे थे कल्याण सिंह, उधर कारसेवक कर रहे थे चढ़ाई... पढ़िए पूरी कहानी

बुखार पीड़ित डॉक्टर की सलाह और दवा लेने तो आ रहे हैं. लेकिन जांच कराने में कतरा रहे हैं. हालात यह हैं कि 10 में महज दो से तीन लोग ही खून की जांच कराने को राजी हो रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक कोरोना जांच का शिविर लगा है. इसके बावजूद आठ से 10 लोग ही जांच कराने आ रहे हैं.

लखनऊः राजधानी के बालू अड्डा के पास अब टायफाइड का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. रविवार को सात लोगों की जांच हुई. जिसमें से चार लोगों में टायफाइड की पुष्टि हुई है. बीते शनिवार को सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई थी. जबकि शुक्रवार को छह मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई थी. जिनका सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग लगातार बुखार पीड़ितों की जांच कर रहा है. तेजी से फैल रहे बुखार से सभी लोगों में डर बना हुआ है.

सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक मरीजों का मुफ्त इलाज कराया जा रहा है. जांच और दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बुखार पीड़ित डॉक्टर सलाह और दवा लेने तो आ रहे हैं. लेकिन जांच कराने से कतराते रहे हैं. बालू अड्डा पर एक महीने से बीमारी फैली है. डायरिया के लक्षणों वाले दो मरीजों की मौत हो चुकी है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने पानी की जांच कराई. जांच में कालरा की पुष्टि हुई. स्वास्थ्य विभाग ने इलाके के मरीजों की इलाज की रणनीति बदली. धीरे-धीरे स्थिति काबू में आ गई. इसके बाद बुखार ने इलाके के लोगों को जकड़ लिया है.

रोजाना 10 से अधिक मरीज स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आ रहे हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टायफाइड समेत दूसरी जांच कराने का फैसला किया. रविवार को सात लोगों की जांच हुई, चार में टायफाइड निकला. बीते शनिवार को नौ मरीजों की जांच कराई गई. इसमें सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई है. काफी मरीज प्राइवेट क्लीनिक में इलाज करा रहे हैं. इन मरीजों में भी डॉक्टरों ने टायफाइड की आशंका जाहिर की है.

सीएमओ ने बताया कि पेट में संक्रमण से टाइफाइड होता है, जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से होता है. दूषित पानी और भोजन से इसकी आशंका अधिक होती है. बैक्टीरिया आंतों में प्रवेश करता है. एक से तीन सप्ताह तक रहता है. इसके बाद आंतों की दीवार के जरिए रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाता है. खून से ये टायफॉइड बैक्टीरिया अन्य ऊतकों और अंगों में फैलकर कोशिकाओं के अंदर छिप जाता है. मरीजों की जांच व इलाज की सुविधा स्थानीय पीएचसी पर उपलब्ध है.

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बुखार पीड़ित डॉक्टर की सलाह और दवा लेने तो आ रहे हैं. लेकिन जांच कराने में कतरा रहे हैं. हालात यह हैं कि 10 में महज दो से तीन लोग ही खून की जांच कराने को राजी हो रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक कोरोना जांच का शिविर लगा है. इसके बावजूद आठ से 10 लोग ही जांच कराने आ रहे हैं.

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