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केजीएमयू के डॉक्टर बने भगवान, कलाई से कटे हाथ को जोड़कर मरीज को दिया जीवनदान

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Published : Mar 17, 2022, 7:17 AM IST

करीब दो हफ्ते पहले लखनऊ के केजीएमयू में दो ऐसे मरीज पहुंचे, जिनके हाथ कलाई से कटे थे. यहां डॉक्टरों की टीम ने घंटों ऑपरेशन कर दोनों मरीजों को जीवनदान दिया. ऑपरेशन सफल होने के 14 दिनों के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया.

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केजीएमयू के डॉक्टर्स ने कलाई से कटे हाथ का किया आपरेशन

लखनऊ: करीब दो हफ्ते पहले केजीएमयू में दो ऐसे मरीज पहुंचे, जिनके हाथ कलाई से कटे थे. ट्रॉमा सेंटर से उन्हें प्लास्टिक सर्जरी विभाग शिफ्ट किया गया. यहां डॉक्टरों की टीम ने घंटों ऑपरेशन कर दोनों मरीजों को जीवनदान दिया. ऑपरेशन सफल होने के 14 दिनों के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया.

तीन मार्च को वेल्डिंग कम्प्रेसर के फटने से कैसरबाग निवासी (58) की बाएं हाथ की कलाई अलग हो गई. परिजनों ने कटे अंग को साफ कर कपड़े में लपेट लिया. उसे ठंडे कंटेनर में रखकर ट्रॉमा सेंटर ले गए. इमरजेंसी में मरीज के कटे हुए हिस्से की जांच की गई. इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया. मरीज की जांच कराने के बाद डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन करने का फैसला किया. प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. ब्रजेश मिश्र के मुताबिक, मरीज के कटे हुऐ हाथ की कलाई को फिर से जोड़ने के लिए ऑपरेशन किया गया. इसमें करीब 6 घंटे लगे.

यह भी पढ़ें- एक फीसदी से भी कम हुआ कोरोना संक्रमण, कोविड वार्ड में अन्य बीमारियों का इलाज 24 मार्च से

वहीं गोंडा निवासी मरियम (7) 9 मार्च को मशीन में चारा काट रही थी. इस दौरान मशीन से बाएं हाथ की कलाई कट गई. अत्याधिक रक्तस्राव को देखते हुए परिजनों ने घाव को कपड़े से बांध दिया. इसके बाद मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. यहां से मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग रेफर किया गया. डॉ. ब्रजेश के मुताबिक, डॉक्टरों की टीम ने जटिल ऑपरेशन कर कलाई को दोबारा जोड़ा. इस जटिल ऑपरेशन में करीब पांच घंटे का समय लगा. ठीक होने के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई. ऑपरेशन टीम में डॉ. बृजेश मिश्रा के अलावा डॉ. रवि कुमार, डॉ. किरन सिलवाल, डॉ. नीलम चौहान, डॉ. सौरभ माहेंद्रू, डॉ. प्राची, डॉ. हर्ष राव और एनस्थीसिया विभाग के डॉ. मनीष कुमार सिंह, डॉ. शशांक कनौजिया शामिल रहे.

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लखनऊ: करीब दो हफ्ते पहले केजीएमयू में दो ऐसे मरीज पहुंचे, जिनके हाथ कलाई से कटे थे. ट्रॉमा सेंटर से उन्हें प्लास्टिक सर्जरी विभाग शिफ्ट किया गया. यहां डॉक्टरों की टीम ने घंटों ऑपरेशन कर दोनों मरीजों को जीवनदान दिया. ऑपरेशन सफल होने के 14 दिनों के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया.

तीन मार्च को वेल्डिंग कम्प्रेसर के फटने से कैसरबाग निवासी (58) की बाएं हाथ की कलाई अलग हो गई. परिजनों ने कटे अंग को साफ कर कपड़े में लपेट लिया. उसे ठंडे कंटेनर में रखकर ट्रॉमा सेंटर ले गए. इमरजेंसी में मरीज के कटे हुए हिस्से की जांच की गई. इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया. मरीज की जांच कराने के बाद डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन करने का फैसला किया. प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. ब्रजेश मिश्र के मुताबिक, मरीज के कटे हुऐ हाथ की कलाई को फिर से जोड़ने के लिए ऑपरेशन किया गया. इसमें करीब 6 घंटे लगे.

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वहीं गोंडा निवासी मरियम (7) 9 मार्च को मशीन में चारा काट रही थी. इस दौरान मशीन से बाएं हाथ की कलाई कट गई. अत्याधिक रक्तस्राव को देखते हुए परिजनों ने घाव को कपड़े से बांध दिया. इसके बाद मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. यहां से मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग रेफर किया गया. डॉ. ब्रजेश के मुताबिक, डॉक्टरों की टीम ने जटिल ऑपरेशन कर कलाई को दोबारा जोड़ा. इस जटिल ऑपरेशन में करीब पांच घंटे का समय लगा. ठीक होने के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई. ऑपरेशन टीम में डॉ. बृजेश मिश्रा के अलावा डॉ. रवि कुमार, डॉ. किरन सिलवाल, डॉ. नीलम चौहान, डॉ. सौरभ माहेंद्रू, डॉ. प्राची, डॉ. हर्ष राव और एनस्थीसिया विभाग के डॉ. मनीष कुमार सिंह, डॉ. शशांक कनौजिया शामिल रहे.

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