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Corona Effect: लॉकडाउन के बाद कई घरों में लटक रहे टू-लेट के बोर्ड

मार्च में कोरोना ने देश में दस्तक दी. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पीएम ने पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया. लॉकडाउन के दौरान कई लोगों की नौकरी चली गई. दूसरे शहरों में किराए पर मकान लेकर रह रहे लोगों पर भी कोरोना का असर दिखने लगा. राजधानी में कई लोगों ने घर बनाकर किराए पर दे दिया है और इसी से उनका खर्च चलता है. इस तरह लोगों के चले जाने से और घर खाली पड़े रहने से उनको भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. देखिए रिपोर्ट...

corona epidemic
घरों में लटक रहे टू-लेट के बोर्ड
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Published : Aug 21, 2020, 6:23 PM IST

लखनऊ: कोरोना ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है. कोरोना के दौरान लगने वाले लॉकडाउन में कई लोगों की नौकरी चली गई. वैसे भी जब नौकरी, व्यापार ही न चले, काम मिलने में दिक्कत हो और कई-कई दिनों तक किराए के मकान में रहना और अंत में महीना पूरा होते ही किराया देने की फिक्र, यही सारी बातें इन लोगों को राजधानी छोड़ने पर मजबूर कर रही हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

इन लोगों की ओर से स्थिति का अगर आकलन किया जाए तो यहां रहकर बेरोजगार रहने से तो अपने गांव जाकर, अपनों के करीब रहकर, छोटा-मोटा काम करना भी बेहतर है. इसी सोच के चलते कोरोना काल में लोग शहर से पलायन कर रहे हैं. इनके पलायन के बाद अब राजधानी के कई घरों में टू-लेट का बोर्ड लटक रहा है.

राजधानी में कई लोगों ने घर बनाकर किराए पर दे दिया है और इसी से उनका खर्च चलता है. इस तरह लोगों के चले जाने से और घर खाली पड़े रहने से उनको भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. पहले एक समय ऐसा था जब टू-लेट का बोर्ड लगते ही कोई न कोई किराए पर एक दो दिन में ही आ जाता था और मकान मालिक रख भी लेते थे, पर अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. अब कोई इस बोर्ड की ओर पलटकर देख भी नहीं रहा. कई दिन गुजर रहे हैं पर बोर्ड ज्यों का त्यों लगा दिखता है.

राजधानी के कई इलाकों में लगे टू-लेट के बोर्ड
कोरोना की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई, तो किसी का धंधा बंद हो गया. गांव से शहर आए लोगों ने सपने देखे थे कि यहां रहकर रोजी-रोटी चलाएंगे, लेकिन कोरोना ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया. बहुत से छात्र-छात्राएं जो किराए के मकान में रहकर अपने सपनों के पंख को उड़ान देना चाहते थे, उन पर भी कोरोना महामारी का साफ असर देखा जा रहा है. राजधानी के अधिकांश इलाकों में घरों के आगे टू-लेट के बोर्ड टंगे हैं.

ट्रांस गोमती में भी कई घरों में लटके हैं टू-लेट के बोर्ड
ट्रांस गोमती के इंदिरा नगर, गोमती नगर समेत तमाम पॉश कॉलोनियों के अधिकांश घरों में टू-लेट के बोर्ड टंगे नजर आ रहे हैं. यह मकान और दुकानें कोरोना काल में खाली हो गए.

लॉकडाउन में खाली हुए मकान
इंदिरा नगर कॉलोनी के हर दूसरे मकान में टू-लेट का बोर्ड लगा है. ईटीवी भारत ने इन घरों को मकान मालिकों से बात की, तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया. इंदिरा नगर के पटेल नगर निवासी अर्थश्रेष्ठ ने बताया कि उनका मकान पिछले 5 सालों से किराए पर उठा था, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन लागू हुआ तो उनके किराएदारों के सामने किराया देने की समस्या खड़ी हो गई. कोरोना काल में किराएदारों ने वापस अपने घर जाने का प्लान किया.

स्टूडेंट्स के जाने पर खाली पड़े मकान
इंदिरा नगर की सेक्टर-8 निवासी साधना सिंह ने बताया कि पिछले 10 सालों से उनके मकान के निचले हिस्से में पॉलिटेक्निक के छात्र-छात्राएं किराए पर रहते थे, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना और लॉकडाउन की वजह से सभी छात्र अपने घर चले गए. उनका मकान किराए पर नहीं उठ सका. इस समय मकान के सामने टू-लेट का बोर्ड लगा है. कोरोना काल में बहुत ही मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

दुकानों का भी यही हाल
टू-लेट के बोर्ड्स केवल मकानों में ही नजर नहीं आ रहे, बल्कि दुकानों और शोरूम पर भी लटके हैं. कोरोना और लॉकडाउन ने हर किसी के जीवन पर अपना प्रभाव डाला है. कई लोगों ने अपने व्यापार को बंद कर दिया है. बाहर से आए दुकानदार लॉकडाउन के दौरान अपने घर चले गए. सभी को इंतजार है, कब यह कोरोना खत्म हो और पटरी पर जीवन वापस आए.

रियल एस्टेट पर भी पड़ा बुरा असर
रियल एस्टेट पर भी कोरोना का असर देखा जा रहा है. शहर के तमाम बिल्डर परेशान हैं, क्योंकि फ्लैट और प्रॉपर्टी के दाम काफी गिर गए हैं. शहर के बिल्डर रियाज अली ने बताया कि पिछले 10 सालों में इतना बुरा समय कभी नहीं आया, जितना कोरोना महामारी की वजह से आया है. उन्होंने कहा कि उनके तमाम फ्लैट खाली हो गए हैं, क्योंकि लोगों के पास पैसे नहीं हैं.

लखनऊ: कोरोना ने सभी के जीवन को प्रभावित किया है. कोरोना के दौरान लगने वाले लॉकडाउन में कई लोगों की नौकरी चली गई. वैसे भी जब नौकरी, व्यापार ही न चले, काम मिलने में दिक्कत हो और कई-कई दिनों तक किराए के मकान में रहना और अंत में महीना पूरा होते ही किराया देने की फिक्र, यही सारी बातें इन लोगों को राजधानी छोड़ने पर मजबूर कर रही हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

इन लोगों की ओर से स्थिति का अगर आकलन किया जाए तो यहां रहकर बेरोजगार रहने से तो अपने गांव जाकर, अपनों के करीब रहकर, छोटा-मोटा काम करना भी बेहतर है. इसी सोच के चलते कोरोना काल में लोग शहर से पलायन कर रहे हैं. इनके पलायन के बाद अब राजधानी के कई घरों में टू-लेट का बोर्ड लटक रहा है.

राजधानी में कई लोगों ने घर बनाकर किराए पर दे दिया है और इसी से उनका खर्च चलता है. इस तरह लोगों के चले जाने से और घर खाली पड़े रहने से उनको भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. पहले एक समय ऐसा था जब टू-लेट का बोर्ड लगते ही कोई न कोई किराए पर एक दो दिन में ही आ जाता था और मकान मालिक रख भी लेते थे, पर अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. अब कोई इस बोर्ड की ओर पलटकर देख भी नहीं रहा. कई दिन गुजर रहे हैं पर बोर्ड ज्यों का त्यों लगा दिखता है.

राजधानी के कई इलाकों में लगे टू-लेट के बोर्ड
कोरोना की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई, तो किसी का धंधा बंद हो गया. गांव से शहर आए लोगों ने सपने देखे थे कि यहां रहकर रोजी-रोटी चलाएंगे, लेकिन कोरोना ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया. बहुत से छात्र-छात्राएं जो किराए के मकान में रहकर अपने सपनों के पंख को उड़ान देना चाहते थे, उन पर भी कोरोना महामारी का साफ असर देखा जा रहा है. राजधानी के अधिकांश इलाकों में घरों के आगे टू-लेट के बोर्ड टंगे हैं.

ट्रांस गोमती में भी कई घरों में लटके हैं टू-लेट के बोर्ड
ट्रांस गोमती के इंदिरा नगर, गोमती नगर समेत तमाम पॉश कॉलोनियों के अधिकांश घरों में टू-लेट के बोर्ड टंगे नजर आ रहे हैं. यह मकान और दुकानें कोरोना काल में खाली हो गए.

लॉकडाउन में खाली हुए मकान
इंदिरा नगर कॉलोनी के हर दूसरे मकान में टू-लेट का बोर्ड लगा है. ईटीवी भारत ने इन घरों को मकान मालिकों से बात की, तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया. इंदिरा नगर के पटेल नगर निवासी अर्थश्रेष्ठ ने बताया कि उनका मकान पिछले 5 सालों से किराए पर उठा था, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन लागू हुआ तो उनके किराएदारों के सामने किराया देने की समस्या खड़ी हो गई. कोरोना काल में किराएदारों ने वापस अपने घर जाने का प्लान किया.

स्टूडेंट्स के जाने पर खाली पड़े मकान
इंदिरा नगर की सेक्टर-8 निवासी साधना सिंह ने बताया कि पिछले 10 सालों से उनके मकान के निचले हिस्से में पॉलिटेक्निक के छात्र-छात्राएं किराए पर रहते थे, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना और लॉकडाउन की वजह से सभी छात्र अपने घर चले गए. उनका मकान किराए पर नहीं उठ सका. इस समय मकान के सामने टू-लेट का बोर्ड लगा है. कोरोना काल में बहुत ही मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

दुकानों का भी यही हाल
टू-लेट के बोर्ड्स केवल मकानों में ही नजर नहीं आ रहे, बल्कि दुकानों और शोरूम पर भी लटके हैं. कोरोना और लॉकडाउन ने हर किसी के जीवन पर अपना प्रभाव डाला है. कई लोगों ने अपने व्यापार को बंद कर दिया है. बाहर से आए दुकानदार लॉकडाउन के दौरान अपने घर चले गए. सभी को इंतजार है, कब यह कोरोना खत्म हो और पटरी पर जीवन वापस आए.

रियल एस्टेट पर भी पड़ा बुरा असर
रियल एस्टेट पर भी कोरोना का असर देखा जा रहा है. शहर के तमाम बिल्डर परेशान हैं, क्योंकि फ्लैट और प्रॉपर्टी के दाम काफी गिर गए हैं. शहर के बिल्डर रियाज अली ने बताया कि पिछले 10 सालों में इतना बुरा समय कभी नहीं आया, जितना कोरोना महामारी की वजह से आया है. उन्होंने कहा कि उनके तमाम फ्लैट खाली हो गए हैं, क्योंकि लोगों के पास पैसे नहीं हैं.

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