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अमीर बनने के लिए बन गए फर्जी अफसर, करने लगे ये धंधा

राजधानी लखनऊ की पुलिस ने दो फर्जी जीएसटी अधिकारियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. ये दोनों मेडिकल की दुकानों पर छापेमारी की कार्रवाई करते थे.

दो फर्जी जीएसटी अधिकारी गिरफ्तार
दो फर्जी जीएसटी अधिकारी गिरफ्तार
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Published : May 27, 2021, 1:12 PM IST

Updated : May 27, 2021, 1:37 PM IST

लखनऊः राजधानी की पुलिस ने दो फर्जी जीएसटी अधिकारियों को धर दबोचा है. ये दोनों इतने शातिर हैं कि खुद को जीएसटी विभाग में बड़ा अफसर बताकर कोरोना की जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी करते थे. ये पहले मेडिकल की दुकानों पर पर छापेमारी कर उनसे दवाइयां बरामद करते थे. इसके बाद इन्ही दवाइयों को ये कालाबाजारी करते थे. ये मामला पीजीआई थाना क्षेत्र का है.

ये है पूरा मामला

इंस्पेक्टर पीजीआई आनंद शुक्ला ने बताया कि लगातार थाना क्षेत्र से जानकारी मिल रही थी कि इस कोरोना महामारी में लोगो की जरूरतों का फायदा उठाकर कालाबाजारी करने वाला एक गिरोह सक्रिय है. इस गिरोह की जानकारी जुटाने के लिए पुलिस अपने मुखबिर तन्त्र समेत सर्विलांस सेल और टेक्निकल टीम की मदद से लगी हुई थी. बुधवार शाम मुखबिर से जानकारी मिली कि एक सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार में सवार युवक खुद को जीएसटी का एसिस्टेंट कमिश्नर बता रहे हैं. लेकिन वे किसी से कोरोना की दवाई के बारे में चर्चा भी कर रहे है. उन पर संदेह है कि यह वही गिरोह हो सकता है जिसकी तलाश पुलिस को है. पीजीआई पुलिस ने टीम गठित कर मुखबिर के बताए गए स्थान पर पहुंचकर सफेद डिजायर कार समेत दोनों को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों शातिरों की पहचान रितेश उपाध्याय और अखंड प्रताप सिंह के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि इनके पास से जीएसटी विभाग का फर्जी आई कार्ड भी बरामद हुआ है.

इसे भी पढ़ें- दांव पड़ा उल्टा, पुलिस को फंसाने में खुद फंसा रंजीत

नीली बत्ती का उठाते थे फायदा

पीजीआई पुलिस ने बताया कि रितेश और अखंड दोनों ही शातिर हैं. इनका एक संगठित गिरोह है, जो शहर भर में घूम-घूम कर जीवन रक्षक दवाईयों की कालाबाजारी में लगा हुआ है. रितेश और अखंड सफेद डिजायर नीली बत्ती से चलते थे और लोगों में उनकी पहचान जीएसटी विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में थी. इसलिए ये आसानी से शहर भर में कालाबाजारी कर रहे थे. लेकिन इन पर कोई शक नही कर सकता था. इसी के चलते ये आसानी से अपने गिरोह में जुड़े अन्य सदस्यों को इंजेक्शन आसानी से दे देते थे. जिसके बाद ये इंजेक्शन अन्य सदस्यों द्वारा जरूरतमंदों को महंगे दामों पर बेचे जाते थे.

इसे भी पढ़ें- पत्नी के शव के लिए दिए 12 लाख रुपये, पति ने पत्र लिखकर की सीएम से शिकायत

गाजीपुर मामले से जुड़े तार

आपको बता दें कि लखनऊ के ही गाजीपुर थाना क्षेत्र में दो दिन पहले जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले अबास अली, धर्मेंद्र यादव, लक्ष्य पांडेय और अवनींद्र तिवारी को गिरफ्तार किया था. इनके पास से 22 इंजेक्शन बरामद हुए थे. वहीं गाजीपुर पुलिस की गिरफ्त में आये आरोपियों में से दो आरोपी पीजीआई इलाके के ही थे, जबकि एक मोहनलालगंज का था. गुरुवार को पीजीआई पुलिस ने जिन फर्जी जीएसटी अधिकारियों को पकड़ा उनके तार गाजीपुर में पकड़े गए आरोपियों से जुड़े हैं. इस बात का खुलासा पीजीआई पुलिस ने किया है. उन्होंने बताया कि रितेश और अखंड ही उनको इंजेक्शन देते थे, ताकि वो इसे महंगे दामो पर बेच सके.

लखनऊः राजधानी की पुलिस ने दो फर्जी जीएसटी अधिकारियों को धर दबोचा है. ये दोनों इतने शातिर हैं कि खुद को जीएसटी विभाग में बड़ा अफसर बताकर कोरोना की जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी करते थे. ये पहले मेडिकल की दुकानों पर पर छापेमारी कर उनसे दवाइयां बरामद करते थे. इसके बाद इन्ही दवाइयों को ये कालाबाजारी करते थे. ये मामला पीजीआई थाना क्षेत्र का है.

ये है पूरा मामला

इंस्पेक्टर पीजीआई आनंद शुक्ला ने बताया कि लगातार थाना क्षेत्र से जानकारी मिल रही थी कि इस कोरोना महामारी में लोगो की जरूरतों का फायदा उठाकर कालाबाजारी करने वाला एक गिरोह सक्रिय है. इस गिरोह की जानकारी जुटाने के लिए पुलिस अपने मुखबिर तन्त्र समेत सर्विलांस सेल और टेक्निकल टीम की मदद से लगी हुई थी. बुधवार शाम मुखबिर से जानकारी मिली कि एक सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार में सवार युवक खुद को जीएसटी का एसिस्टेंट कमिश्नर बता रहे हैं. लेकिन वे किसी से कोरोना की दवाई के बारे में चर्चा भी कर रहे है. उन पर संदेह है कि यह वही गिरोह हो सकता है जिसकी तलाश पुलिस को है. पीजीआई पुलिस ने टीम गठित कर मुखबिर के बताए गए स्थान पर पहुंचकर सफेद डिजायर कार समेत दोनों को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों शातिरों की पहचान रितेश उपाध्याय और अखंड प्रताप सिंह के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि इनके पास से जीएसटी विभाग का फर्जी आई कार्ड भी बरामद हुआ है.

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नीली बत्ती का उठाते थे फायदा

पीजीआई पुलिस ने बताया कि रितेश और अखंड दोनों ही शातिर हैं. इनका एक संगठित गिरोह है, जो शहर भर में घूम-घूम कर जीवन रक्षक दवाईयों की कालाबाजारी में लगा हुआ है. रितेश और अखंड सफेद डिजायर नीली बत्ती से चलते थे और लोगों में उनकी पहचान जीएसटी विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में थी. इसलिए ये आसानी से शहर भर में कालाबाजारी कर रहे थे. लेकिन इन पर कोई शक नही कर सकता था. इसी के चलते ये आसानी से अपने गिरोह में जुड़े अन्य सदस्यों को इंजेक्शन आसानी से दे देते थे. जिसके बाद ये इंजेक्शन अन्य सदस्यों द्वारा जरूरतमंदों को महंगे दामों पर बेचे जाते थे.

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गाजीपुर मामले से जुड़े तार

आपको बता दें कि लखनऊ के ही गाजीपुर थाना क्षेत्र में दो दिन पहले जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले अबास अली, धर्मेंद्र यादव, लक्ष्य पांडेय और अवनींद्र तिवारी को गिरफ्तार किया था. इनके पास से 22 इंजेक्शन बरामद हुए थे. वहीं गाजीपुर पुलिस की गिरफ्त में आये आरोपियों में से दो आरोपी पीजीआई इलाके के ही थे, जबकि एक मोहनलालगंज का था. गुरुवार को पीजीआई पुलिस ने जिन फर्जी जीएसटी अधिकारियों को पकड़ा उनके तार गाजीपुर में पकड़े गए आरोपियों से जुड़े हैं. इस बात का खुलासा पीजीआई पुलिस ने किया है. उन्होंने बताया कि रितेश और अखंड ही उनको इंजेक्शन देते थे, ताकि वो इसे महंगे दामो पर बेच सके.

Last Updated : May 27, 2021, 1:37 PM IST
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