लखनऊ: राजधानी में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया दो दिवसीय अधिवेशन करने जा रहा है. इस अधिवेशन में मुसलमानों के कई संगठन को आगामी 2022 विधानसभा चुनाव से पहले जुटाने की कोशिश की जा रही है. यह अधिवेशन लखनऊ में 22 और 23 अगस्त को आयोजित होगा. यह जानकारी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष करी युसूफ आजिजी ने मीडिया के सामने दी.
गुरुवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष करी युसूफ आजिजी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इस अहम अधिवेशन का मकसद मुस्लिम समुदाय को एकजुट करना है और उनके मसलों को हल करने की कोशिश करना होगा. अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने मुसलमानों की देश की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (aimplb)पर आरोप लगाते हुए कहा कि उस बोर्ड से 85 फीसद मुस्लिम समुदाय को मायूसी हाथ लगी है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक परिवार व एक विचारधारा तक सीमित संगठन के रूप में काम करता चला आ रहा है और अपने निजी हितों तक बोर्ड सीमित रहा है.
उन्होंने कहा कि पुराने पर्सनल लॉ बोर्ड ने धार्मिक आधार पर उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर कभी मुकरता से विरोध नहीं किया और समुदाय को एकजुट करने के बजाय उस पर मात्र अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए बांटने की सियासत करने का षड्यंत्र करता रहा, जिसकी वजह से मुसलमान तालीमी समाजी कारोबारी और सियासी दौड़ में लगातार पिछड़ रहे. इन्हीं सब मुद्दों को देखते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया का मार्च 2017 में गठन किया गया था और देशभर में संगठन की इकाइयों का गठन हो चुका है.
यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड पर खड़े किए सवाल
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर भी बड़े आरोप लगाते हुए पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष युसूफ आजिजी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सत्ता के संरक्षण में वक्फ जायदादों की जमीनों को खुर्द बुर्द करने में लगा हुआ है. बोर्ड को एक विचारधारा व भू-माफियाओं ने लूट का अड्डा बना लिया है.
आजिजी ने कहा कि कई वर्षों से उसके ऑडिट नहीं हो रहे हैं और बिल्डर भू-माफिया व सत्ता के निकटतम लोगों के मनमाने तरीके से वक्फ प्रबंध समिति मुतवालियों के मनोनयन में खेल होता है, जिसकी वजह से सुन्नी समुदाय के 85 प्रतिशत सुन्नी विचारधारा के मुसलमान परेशान हैं.