हरिद्वारः लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा गरीबों और मजदूरों पर पड़ रहा है. महामारी काल में सड़कों पर ऐसे हृदय विदारक दृश्य भी देखने को मिल रहे हैं, जिन्हें देखकर आपकी आंखों में भी आंसू आ जाएंगे. ऐसा ही कुछ हरिद्वार में देखने को मिला है. दो नेत्रहीन बुजुर्गों समेत तीन लोग पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घर यूपी के हरदोई जाने के लिए निकल पड़े. इस पैदल सफर में एक बुर्जुग महिला और लाठी ही इनका एकमात्र सहारा थी. किसी समाजसेवी ने इन बुजुर्गों की व्यथा सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों तक पहुंचाई तो सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह ने इन बुजुर्गों को हरदोई पहुंचाने का इंतजाम किया.
दरअसल, लॉकडाउन के चलते करीब 2 महीने से ये आंखों से दिव्यांग बुजुर्ग हरिद्वार में फंसे हुए थे. इन्हें न तो सही से खाना मिल पा रहा था और न ही अपनी पीड़ा किसी को बता पा रहे थे, जब पेट की आग नहीं बुझ पाई तो नेत्रहीन बुजुर्गों ने हिम्मत कर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करने की ठानी. ये लोग उन रास्तों पर निकल पड़े जिन पर पैदल चलना इनके लिए खतरनाक भी हो सकता था. तभी ऊपर वाले ने इनके लिए एक मसीहा भेज दिया.
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एक समाजसेवी ने इन जन्मांध बुजुर्गों का हाल जाना और इनका एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो वायरल होते ही पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया. इसके बाद आला अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया. हरिद्वार के सीईओ अभय प्रताप सिंह ने इकी मदद की. उन्होंने अपने खर्च से कार से इनके घर जाने की व्यवस्था कर मानवता की मिसाल पेश की.
इन बुजुर्गों का कहना है कि वो जन्म से ही अंधे हैं. हरिद्वार से पैदल चलकर लक्सर जा रहे थे. वहां से कोई साधन मिल जाता तो वो हरदोई जाते. बुजुर्गों ने कहा कि उनके सामने रहने और खाने की समस्या खड़ी हो गई थी. इस कारण वो घर जाना चाहते थे. सीओ सिटी अभय सिंह का कहना है लॉकडाउन से पहले ये लोग हरिद्वार गंगा स्नान के लिए आए थे और लॉकडाउन के चलते यहीं पर फंसे हुए थे. इन लोगों के पैदल वापस जाने की सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस को मिली थी.
उन्होंने कहा कि पुलिस की टीम भेजकर इनसे संपर्क किया गया था. साथ ही उनके लिए रहने और खाने की व्यवस्था की गई, लेकिन वो घर वापस जाना चाहते थे. आंखों से दिव्यांग इन बुजुर्गों को एक निजी कार से यूपी के हरदोई भेजा गया है. सीओ सिटी ने कहा कि दुखी लोगों की सहायता करना मानवता का धर्म भी है. पुलिस के हर एक जवान को मानवता भी दिखानी चाहिए, जिससे लोगों में पुलिस के प्रति संवेदना बनी रहे.