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साइबर क्रिमिनल अपना रहे नए तरीके, फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खातों में लगा रहे थे सेंध

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Published : Mar 20, 2021, 5:20 PM IST

लखनऊ में 26 फरवरी को बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खाते में सेंध लगाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया था. इसमें साइबर क्रिमिनल आधार कार्ड व अंगूठे का निशान चोरी कर खातों से रुपये निकाल लेते थे. वहीं लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने ऐसे ही दो युवकों को गिरफ्तार किया है. आरोपित आधार कार्ड से लिंक किसी भी बैंक खाते से रुपये पार कर देते थे.

साइबर क्रिमिनल अपना रहे नए नए तरीके
फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खातों में लगा रहे थे सेंध

लखनऊ: साइबर क्रिमिनल भी जालसाजी के नए नए पैंतरे अपना रहे हैं. यह देख साइबर क्राइम सेल के अफसर भी हैरान है. कोरोना वैश्विक महामारी के बाद से साइबर फ्रॉड के केवल कार्ड क्लोनिंग और डाटा हैकिंग के मामले आ रहे थे, जो जामताड़ा और नाइजीरियन गैंग समेत कुछ एक गैंग तक ही सीमित थे. लेकिन, अब एक नया मामला बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग से जुड़ा हुआ सामने आया है. इसमें साइबर क्रिमिनल बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग कर लोगों का बैंक खाली कर देते हैं. बीते 26 फरवरी को लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग कर आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के द्वारा ऑनलाइन स्कैन पैन कार्ड की मदद से पैसे निकालने वाले दो अपराधी देवेंद्र मौर्या और रमेश कुमार को वाराणसी से गिरफ्तार किया है. वहीं साइबर क्राइम सेल ने एक स्टाम्प मशीन, क्लोन किए गए फिंगरप्रिंट सैंपल, इमेज बूस्टर/क्लीनर लिक्विड व 4 बायोमेट्रिक डिवाइस एवं 4 सिंगल साइडेड टेप बरामद किया था. गैंग के सदस्य अभी तक कई राज्यों के लोगों को करोड़ों लोगों को चूना लगा चुके हैं.

फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खातों में लगा रहे थे सेंध

इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम से खाली करते हैं बैंक
साइबर क्राइम सेल के प्रभारी का कहना है कि यह रजिस्ट्री ऑफिस के ऑनलाइन दिखने वाले दस्तावेज को देखते थे. उसके अंगूठे के निशान को डार्क स्कैन करके निकालते थे. उसके बाद उस अंगूठे के जरिए पैन कार्ड मर्ज होने की वजह से उसका नंबर भी प्राप्त कर लेते थे, फिर बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग करके आधार के जरिए एटीएम मशीन व अन्य अंगूठे के जरिए निकालने वाले पैसे निकालने की जालसाजी करते थे. यह लोग आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के माध्यम से ऑनलाइन धोखाधड़ी कर लाखों रुपये की ठगी का खेल कर चुके हैं. साथ ही अंगूठे के निशान को आधार से मैच कराकर डुप्लीकेट दस्तावेजों को भी तैयार करने का मामला शातिर अपराधियों के द्वारा किया जाता है.

इसे भी पढ़ें-परिवहन विभाग के 15 अधिकारियों पर लटक रही कार्रवाई की तलवार

बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट के जरिये सिम खरीदने में भी कई फ्रॉड
साइबर सेल की माने तो सबसे ज्यादा फ्रॉड बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट के जरिये खरीदे जा रहे सिम से हो रहे हैं. दरअसल, सिम बेचने वाले वेंडर पहले बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट के जरिये सिम बेचते हैं. सिम देते समय वह वेरीफिकेशन के नाम पर बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट मशीन में ग्राहक का एक से अधिक बार अंगूठे का निशान ले लेते और फिर उसके नाम पर सिम इश्यू कर बेच देते हैं. हालांकि अब वेंडर मोबाइल फोन के जरिये ऑनलाइन फोटो और फिंगरप्रिंट लेकर सिम बेच रहे हैं. इसमें भी जमकर फ्रॉड हो रहा है. वेंडर एक व्यक्ति की कई फोटो खींच उसके नाम पर सिम जारी कर देते हैं.

अलर्ट फिर भी अकाउंट हो रहा खाली
एसीपी साइबर सेल क्राइम विवेक रंजन राय ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बाद से साइबर फ्रॉड के मामले न केवल बढ़े हैं, बल्कि जालसाजी के नए-नए सा मामले सामने आ रहे हैं. इसमें बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट क्लोनिंग के साथ इंटरनेट वर्किंग प्लान जैसे साइबर क्राइम सामने आ रहे हैं. इसकी वजह से सावधानी के बाद भी लोग साइबर फ्रॉड के झांसे में फस जाते हैं और उन्हें मालूम तक नहीं होता है. जैसे सिम खरीदने के लिए बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट का प्रयोग किया जाता है. अगर वेंडर आपके बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट एक से अधिक बार लेता है तो आपके बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट के जरिए कई सिम जारी किए जा सकते हैं. ऐसे ही कहीं भी जहां बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट देने की जरूरत है, वहां एक से अधिक बार फिंगरप्रिंट न दें और अगर वेंडर एक बार से अधिक बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट मांगता है, तो उसे साफ तौर पर मना कर दें. तभी आप ऐसे फ्रॉड से बच सकते हैं.

लखनऊ: साइबर क्रिमिनल भी जालसाजी के नए नए पैंतरे अपना रहे हैं. यह देख साइबर क्राइम सेल के अफसर भी हैरान है. कोरोना वैश्विक महामारी के बाद से साइबर फ्रॉड के केवल कार्ड क्लोनिंग और डाटा हैकिंग के मामले आ रहे थे, जो जामताड़ा और नाइजीरियन गैंग समेत कुछ एक गैंग तक ही सीमित थे. लेकिन, अब एक नया मामला बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग से जुड़ा हुआ सामने आया है. इसमें साइबर क्रिमिनल बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग कर लोगों का बैंक खाली कर देते हैं. बीते 26 फरवरी को लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग कर आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के द्वारा ऑनलाइन स्कैन पैन कार्ड की मदद से पैसे निकालने वाले दो अपराधी देवेंद्र मौर्या और रमेश कुमार को वाराणसी से गिरफ्तार किया है. वहीं साइबर क्राइम सेल ने एक स्टाम्प मशीन, क्लोन किए गए फिंगरप्रिंट सैंपल, इमेज बूस्टर/क्लीनर लिक्विड व 4 बायोमेट्रिक डिवाइस एवं 4 सिंगल साइडेड टेप बरामद किया था. गैंग के सदस्य अभी तक कई राज्यों के लोगों को करोड़ों लोगों को चूना लगा चुके हैं.

फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खातों में लगा रहे थे सेंध

इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम से खाली करते हैं बैंक
साइबर क्राइम सेल के प्रभारी का कहना है कि यह रजिस्ट्री ऑफिस के ऑनलाइन दिखने वाले दस्तावेज को देखते थे. उसके अंगूठे के निशान को डार्क स्कैन करके निकालते थे. उसके बाद उस अंगूठे के जरिए पैन कार्ड मर्ज होने की वजह से उसका नंबर भी प्राप्त कर लेते थे, फिर बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग करके आधार के जरिए एटीएम मशीन व अन्य अंगूठे के जरिए निकालने वाले पैसे निकालने की जालसाजी करते थे. यह लोग आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के माध्यम से ऑनलाइन धोखाधड़ी कर लाखों रुपये की ठगी का खेल कर चुके हैं. साथ ही अंगूठे के निशान को आधार से मैच कराकर डुप्लीकेट दस्तावेजों को भी तैयार करने का मामला शातिर अपराधियों के द्वारा किया जाता है.

इसे भी पढ़ें-परिवहन विभाग के 15 अधिकारियों पर लटक रही कार्रवाई की तलवार

बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट के जरिये सिम खरीदने में भी कई फ्रॉड
साइबर सेल की माने तो सबसे ज्यादा फ्रॉड बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट के जरिये खरीदे जा रहे सिम से हो रहे हैं. दरअसल, सिम बेचने वाले वेंडर पहले बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट के जरिये सिम बेचते हैं. सिम देते समय वह वेरीफिकेशन के नाम पर बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट मशीन में ग्राहक का एक से अधिक बार अंगूठे का निशान ले लेते और फिर उसके नाम पर सिम इश्यू कर बेच देते हैं. हालांकि अब वेंडर मोबाइल फोन के जरिये ऑनलाइन फोटो और फिंगरप्रिंट लेकर सिम बेच रहे हैं. इसमें भी जमकर फ्रॉड हो रहा है. वेंडर एक व्यक्ति की कई फोटो खींच उसके नाम पर सिम जारी कर देते हैं.

अलर्ट फिर भी अकाउंट हो रहा खाली
एसीपी साइबर सेल क्राइम विवेक रंजन राय ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बाद से साइबर फ्रॉड के मामले न केवल बढ़े हैं, बल्कि जालसाजी के नए-नए सा मामले सामने आ रहे हैं. इसमें बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट क्लोनिंग के साथ इंटरनेट वर्किंग प्लान जैसे साइबर क्राइम सामने आ रहे हैं. इसकी वजह से सावधानी के बाद भी लोग साइबर फ्रॉड के झांसे में फस जाते हैं और उन्हें मालूम तक नहीं होता है. जैसे सिम खरीदने के लिए बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट का प्रयोग किया जाता है. अगर वेंडर आपके बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट एक से अधिक बार लेता है तो आपके बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट के जरिए कई सिम जारी किए जा सकते हैं. ऐसे ही कहीं भी जहां बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट देने की जरूरत है, वहां एक से अधिक बार फिंगरप्रिंट न दें और अगर वेंडर एक बार से अधिक बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट मांगता है, तो उसे साफ तौर पर मना कर दें. तभी आप ऐसे फ्रॉड से बच सकते हैं.

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