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जेल में खुद को सुरक्षित मान रहे कैदी, पैरोल पर रिहाई से किया इंकार

उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जेलों में बंद 21 कैदियों ने पैरोल (Parole) पर रिहाई लेने से मना कर दिया है. कैदियों ने कोरोना काल में जेल को सुरक्षित बताया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

जेल की प्रतीकात्मक तस्वीर.
जेल की प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : May 30, 2021, 5:02 AM IST

लखनऊः सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh government) को जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे. लेकिन प्रदेश के कई जेलों में बंद कैदियों ने पैरोल पर रिहाई लेने से इंकार कर दिया है.

डीजी जेल आनंद कुमार.

21 कैदियों ने रिहाई लेने से मना किया
डीजी जेल आनंद कुमार (DG Jail Anand Kumar) की मानें तो प्रदेश की 9 जिलों की जेलों में कुछ कैदियों ने चौंका देने वाले बयान दिए हैं. कैदियों ने कहा है कि कोरोना में पैरोल की रिहाई से ज्यादा सुरक्षित जेल है. इन कैदियों ने रिहाई लेने से मना कर दिया है. डीजी जेल ने बताया कि कोरोना काल में कैदी जेल में खुद को सुरक्षित मान रहे हैं. वह जेल प्रशासन द्वारा दिए जा रहे कोरोना प्रोटोकाल में काढ़ा, दवाएं और योग कराने आदि से संतुष्ट हैं. डीजी जेल के अनुसार प्रदेश की कारागारों से अब तक 2152 बंदी पैरोल पर रिहा हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि झांसी, मेरठ, महाराजगंज, आगरा गाजियाबाद, रायबरेली, नोएडा, गोरखपुर, लखनऊ जेल में 21 कैदियों ने पैरोल पर रिहाई लेने से साफ मना कर दिया है.

यह भी पढ़ें-corona effect: यूपी में रिकवरी रेट तेजी से बढ़ा, जानिए कितना हुआ

जेल को सुरक्षित बताया

डीजी जेल ने बताया कि 21 कैदियों में 7 बंदियों ने पैरोल की अवधि सजा में जोड़ने की वजह से रिहाई लेने से मना कर दिया है. वहीं, 14 बंदियों ने बाहर की अपेक्षा जेल को ज्यादा सुरक्षित माना है. इन कैदियों का मानना है कि महामारी और लॉकडाउन के चलते बाहर बेरोजगारी की वजह से अच्छे खान-पान की व्यवस्था नहीं हो पाती है. साथ ही संक्रमित होने का खतरा भी बना रहता है, ऐसे में जेल उनके लिए सुरक्षित स्थान है.

यह भी पढ़ें-एलोपैथ V/S आयुर्वेद विवाद: अयोध्या के संतों में नाराजगी, दोनों पक्षों को दी नसीहत

लखनऊ के सात कैदियों ने रिहाई से किया इंकार
डीजी जेल के प्रवक्ता संतोष कुमार वर्मा के मुताबिक झांसी, मेरठ, आगरा और नोएडा जिला जेल के एक-एक कैदी हैं. जबकि, महाराजगंज रायबरेली गोरखपुर के दो-दो कैदी तथा गाजियाबाद के चार और जिला जेल लखनऊ के सात कैदियों ने पैरोल पर रिहाई से इनकार किया है.

लखनऊः सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh government) को जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे. लेकिन प्रदेश के कई जेलों में बंद कैदियों ने पैरोल पर रिहाई लेने से इंकार कर दिया है.

डीजी जेल आनंद कुमार.

21 कैदियों ने रिहाई लेने से मना किया
डीजी जेल आनंद कुमार (DG Jail Anand Kumar) की मानें तो प्रदेश की 9 जिलों की जेलों में कुछ कैदियों ने चौंका देने वाले बयान दिए हैं. कैदियों ने कहा है कि कोरोना में पैरोल की रिहाई से ज्यादा सुरक्षित जेल है. इन कैदियों ने रिहाई लेने से मना कर दिया है. डीजी जेल ने बताया कि कोरोना काल में कैदी जेल में खुद को सुरक्षित मान रहे हैं. वह जेल प्रशासन द्वारा दिए जा रहे कोरोना प्रोटोकाल में काढ़ा, दवाएं और योग कराने आदि से संतुष्ट हैं. डीजी जेल के अनुसार प्रदेश की कारागारों से अब तक 2152 बंदी पैरोल पर रिहा हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि झांसी, मेरठ, महाराजगंज, आगरा गाजियाबाद, रायबरेली, नोएडा, गोरखपुर, लखनऊ जेल में 21 कैदियों ने पैरोल पर रिहाई लेने से साफ मना कर दिया है.

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जेल को सुरक्षित बताया

डीजी जेल ने बताया कि 21 कैदियों में 7 बंदियों ने पैरोल की अवधि सजा में जोड़ने की वजह से रिहाई लेने से मना कर दिया है. वहीं, 14 बंदियों ने बाहर की अपेक्षा जेल को ज्यादा सुरक्षित माना है. इन कैदियों का मानना है कि महामारी और लॉकडाउन के चलते बाहर बेरोजगारी की वजह से अच्छे खान-पान की व्यवस्था नहीं हो पाती है. साथ ही संक्रमित होने का खतरा भी बना रहता है, ऐसे में जेल उनके लिए सुरक्षित स्थान है.

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लखनऊ के सात कैदियों ने रिहाई से किया इंकार
डीजी जेल के प्रवक्ता संतोष कुमार वर्मा के मुताबिक झांसी, मेरठ, आगरा और नोएडा जिला जेल के एक-एक कैदी हैं. जबकि, महाराजगंज रायबरेली गोरखपुर के दो-दो कैदी तथा गाजियाबाद के चार और जिला जेल लखनऊ के सात कैदियों ने पैरोल पर रिहाई से इनकार किया है.

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