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Ramcharit Manas Controversy :लोकसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण फिट करने की कवायद, रणनीति के साथ की टिप्पणी!

बीते दिनों समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस (Ramcharit Manas Controversy) को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने रामचरित मानस को प्रतिबंधित करने की मांग की थी. इस बयान के क्या मायने निकाले जा रहे हैं. पढ़ें विश्लेषण...

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Published : Jan 30, 2023, 4:43 PM IST

Updated : Jan 30, 2023, 7:25 PM IST

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लखनऊ : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर टिप्पणी की थी. खास बात यह है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बावजूद वह अपने स्टैंड पर लगातार कायम हैं, साथ ही बार-बार उसकी चर्चा कर रहे हैं. सपा के सूत्रों के अनुसार यह समाजवादी पार्टी की ही रणनीति है और जानबूझकर स्वामी प्रसाद मौर्य के सहारे इस लाइन को आगे बढ़ाने की बात कही गई है.


सूत्रों के अनुसार, हिंदुत्व के सहारे राजनीति को आगे बढ़ाने वाली भारतीय जनता पार्टी की काट के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य के सहारे समाजवादी पार्टी ने पिछड़ों को बीजेपी से अलग करने के लिए रामचरितमानस की चौपाई का सहारा लिया है. जिसको आधार बनाकर वह टिप्पणी कर रहे हैं. दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण को पूरी तरह से अपने पक्ष में करने की कोशिशों के चलते स्वामी प्रसाद मौर्य के बहाने यह कवायद की गई है.

सपा कार्यालय
सपा कार्यालय


सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ विधायकों ने स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणी से नाराजगी जाहिर की. अखिलेश यादव इस पूरे मामले में पहले चुप रहे और बाद में सोची समझी रणनीति के साथ ही उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य का बढ़ा दिया. माना जा रहा है कि यह समाजवादी पार्टी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व के कार्ड को कमजोर करने के लिए ही पिछड़ों को भारतीय जनता पार्टी से अपनी ओर खींचने के लिए यह टिप्पणी की गई है. रामचरितमानस की उस चौपाई का जिक्र किया गया जिसको गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी भी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि पिछड़ों का सम्मान सरकार में है और जो टिप्पणी की गई वह गलत तरीके से की गई. रामचरितमानस यानी राम के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. चौपाई में जिस शब्द 'ताड़ना' का प्रयोग किया गया, उसका मतलब निरीक्षण करना, पड़ताल करना, जांचना और परखना है.

समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी

सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के हिंदुत्व के कार्ड के बहाने जो पिछड़े उसके साथ लामबंद हुए हैं उन्हें धीरे-धीरे करके अपनी ओर शिफ्ट करने की कोशिश कर रही है. सपा की कोशिश है कि पिछड़े भारतीय जनता पार्टी से अगर अलग होंगे, तो वह समाजवादी पार्टी की तरफ आएंगे, जिसका सपा को लाभ भी मिलेगा. पिछड़ी जातियों का वोट समाजवादी पार्टी की तरफ आएगा तो लोकसभा में उसकी सीटें अधिक आएंगी. समाजवादी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ पूरी तरह से खड़ी हुई है और इसी लाइन को लेकर वह 2024 के चुनाव में आगे बढ़ने वाली है.

राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय कहते हैं कि 'भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व के कार्डों के साथ पिछड़ी जातियां पूरी तरह से फिट बैठी हुई हैं. पिछड़ी जातियों का साथ भी भारतीय जनता पार्टी को काफी मिला और यही कारण रहा है कि उनकी लगातार सरकार बन रही है. दलित वर्ग का भी काफी साथ भारतीय जनता पार्टी को मिला है. ऐसे में समाजवादी पार्टी पिछड़ी जातियों को भारतीय जनता पार्टी से अलग करने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य के बहाने आगे बढ़ रही है. रामचरितमानस के बहाने वह पिछड़ी जातियों को बीजेपी से अलग करने की कोशिश कर रही है. जिसका उसको फायदा मिल पाए. यह पूरी तरह से सोची समझी रणनीति है जिसे स्वामी प्रसाद मौर्य आगे बढ़ा रहे हैं.'

यह भी पढ़ें : Ramcharit Manas Controversy : पूर्व डीजीपी ने कहा स्वामी प्रसाद मौर्य ने नहीं किया मानस का अपमान, कानून का हो रहा गलत इस्तेमाल

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लखनऊ : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर टिप्पणी की थी. खास बात यह है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बावजूद वह अपने स्टैंड पर लगातार कायम हैं, साथ ही बार-बार उसकी चर्चा कर रहे हैं. सपा के सूत्रों के अनुसार यह समाजवादी पार्टी की ही रणनीति है और जानबूझकर स्वामी प्रसाद मौर्य के सहारे इस लाइन को आगे बढ़ाने की बात कही गई है.


सूत्रों के अनुसार, हिंदुत्व के सहारे राजनीति को आगे बढ़ाने वाली भारतीय जनता पार्टी की काट के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य के सहारे समाजवादी पार्टी ने पिछड़ों को बीजेपी से अलग करने के लिए रामचरितमानस की चौपाई का सहारा लिया है. जिसको आधार बनाकर वह टिप्पणी कर रहे हैं. दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण को पूरी तरह से अपने पक्ष में करने की कोशिशों के चलते स्वामी प्रसाद मौर्य के बहाने यह कवायद की गई है.

सपा कार्यालय
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सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ विधायकों ने स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणी से नाराजगी जाहिर की. अखिलेश यादव इस पूरे मामले में पहले चुप रहे और बाद में सोची समझी रणनीति के साथ ही उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य का बढ़ा दिया. माना जा रहा है कि यह समाजवादी पार्टी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व के कार्ड को कमजोर करने के लिए ही पिछड़ों को भारतीय जनता पार्टी से अपनी ओर खींचने के लिए यह टिप्पणी की गई है. रामचरितमानस की उस चौपाई का जिक्र किया गया जिसको गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी भी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि पिछड़ों का सम्मान सरकार में है और जो टिप्पणी की गई वह गलत तरीके से की गई. रामचरितमानस यानी राम के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. चौपाई में जिस शब्द 'ताड़ना' का प्रयोग किया गया, उसका मतलब निरीक्षण करना, पड़ताल करना, जांचना और परखना है.

समाजवादी पार्टी
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सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के हिंदुत्व के कार्ड के बहाने जो पिछड़े उसके साथ लामबंद हुए हैं उन्हें धीरे-धीरे करके अपनी ओर शिफ्ट करने की कोशिश कर रही है. सपा की कोशिश है कि पिछड़े भारतीय जनता पार्टी से अगर अलग होंगे, तो वह समाजवादी पार्टी की तरफ आएंगे, जिसका सपा को लाभ भी मिलेगा. पिछड़ी जातियों का वोट समाजवादी पार्टी की तरफ आएगा तो लोकसभा में उसकी सीटें अधिक आएंगी. समाजवादी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ पूरी तरह से खड़ी हुई है और इसी लाइन को लेकर वह 2024 के चुनाव में आगे बढ़ने वाली है.

राजनीतिक विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय कहते हैं कि 'भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व के कार्डों के साथ पिछड़ी जातियां पूरी तरह से फिट बैठी हुई हैं. पिछड़ी जातियों का साथ भी भारतीय जनता पार्टी को काफी मिला और यही कारण रहा है कि उनकी लगातार सरकार बन रही है. दलित वर्ग का भी काफी साथ भारतीय जनता पार्टी को मिला है. ऐसे में समाजवादी पार्टी पिछड़ी जातियों को भारतीय जनता पार्टी से अलग करने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य के बहाने आगे बढ़ रही है. रामचरितमानस के बहाने वह पिछड़ी जातियों को बीजेपी से अलग करने की कोशिश कर रही है. जिसका उसको फायदा मिल पाए. यह पूरी तरह से सोची समझी रणनीति है जिसे स्वामी प्रसाद मौर्य आगे बढ़ा रहे हैं.'

यह भी पढ़ें : Ramcharit Manas Controversy : पूर्व डीजीपी ने कहा स्वामी प्रसाद मौर्य ने नहीं किया मानस का अपमान, कानून का हो रहा गलत इस्तेमाल

Last Updated : Jan 30, 2023, 7:25 PM IST
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