लखनऊ : केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में ट्रकों में वातानुकूलित केबिन अनिवार्य कर दिया है. एक अक्टूबर 2025 या उसके बाद बने सभी N2 और N3 श्रेणी के ट्रकों में केबिन के लिए ये जरूरी होगा. एसी सिस्टम से लैस केबिन की टेस्टिंग ऑटोमेटिव मानकों के अनुरूप होगी. ट्रक निर्माता कंपनियों को ही एसी ट्रकों में लगाना होगा. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि ट्रक चालकों का कहना था कि थकान या नींद महसूस होने पर भी ट्रक चलाते हैं. इसके बाद परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह निर्णय लिया है. मंत्रालय के इस निर्णय पर ट्रक चालकों और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की अपनी अपनी राय है. "ईटीवी भारत" ने ट्रक चालकों से बात की तो उनका कहना है कि केंद्रीय परिवहन मंत्री का ये कदम काबिले तारीफ है, लेकिन ट्रक चालकों से इतना काम लिया जाता है कि वह जब एसी केबिन में होंगे तो उन्हें सुस्ती आएगी और ये हादसे की भी वजह बन सकता है. ट्रक एवं ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि इसके फायदे कम, नुकसान ज्यादा होंगे. माल भाड़ा बढ़ेगा, डीजल की खपत ज्यादा होगी और महंगाई खूब बढ़ेगी.
काम के घंटे निर्धारित न होने से आ रही समस्या : ट्रक चालक रामचरन परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के इस कदम की खूब तारीफ करते हैं. उनका कहना है कि निश्चित तौर पर गर्मी में केबिन में ऐसी होगा तो बहुत राहत मिलेगी. बहुत दूर-दूर तक ट्रक लेकर जाना पड़ता है और गर्मी में ट्रक चलाना काफी मुश्किल होता है. पहले तो बाहर का ज्यादा तापमान और उसके बाद ट्रक के अंदर और भी ज्यादा गर्मी, जिससे काफी दिक्कत होती है. केबिन एसी होगा तो दिमाग भी ठंडा रहेगा, लेकिन इस पर ड्राइवर रामचरन बड़ा सवाल भी खड़ा करते हैं. उनका कहना है कि एसी केबिन से सड़क हादसे और ज्यादा बढ़ सकते हैं, क्योंकि सरकार ने काम के घंटे तो निश्चित नहीं किए हैं. अगर लंबी दूरी के लिए एक ट्रक पर दो ड्राइवर रखे जाएं तो ठीक है या फिर आठ घंटे ही ट्रक ड्राइवर से काम लिया जाए तो बहुत अच्छा रहेगा, लेकिन काम बहुत ज्यादा लिया जाता है. जब ज्यादा ट्रक चलाएंगे तो थकान होगी और नींद भी महसूस होगी और जब एसी केबिन होगा तो झपकी आ ही जाएगी. ये हादसे का कारण बन सकता है. ऐसे में सरकार को पहले काम के घंटे निर्धारित करना चाहिए.
जाम की समस्या से निजात बगैर कोई फायदा नहीं : ट्रांसपोर्ट नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष टीपीएस अनेजा का कहना है कि परिवहन मंत्री का यह कदम निश्चित तौर पर स्वागत योग्य है. हम सभी उनके इस कदम की सराहना करते हैं. उन्होंने ट्रक ड्राइवर्स के बारे में सोचते हुए इस तरह का फैसला लिया, लेकिन इसके साथ ही कई सुझाव भी मैं देना चाहूंगा कि लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश और देश में ट्रैफिक की समस्या सबसे बड़ी समस्या है. जब जाम लगता है तो सबसे ज्यादा परेशानी ट्रक ड्राइवर को ही होती है. पहले तो जाम की समस्या पर विशेष ध्यान देना चाहिए. जाम खत्म हो तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी. ट्रक ड्राइवर को ऐकऔर नॉन एसी केबिन से ज्यादा मतलब नहीं है. उसकी गाड़ी लगातार चलती रहे तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन जाम में फंसने पर उसे झुंझलाहट होती है और इससे दुर्घटना के चांस बढ़ जाते हैं. जाम की स्थिति से पहले निपटना चाहिए.
डीजल खपत बढ़ने से होगा नुकसान : टीपीएस अनेजा का कहना है कि सरकार को टोल प्लाजा खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए. जब एसी ट्रक आ जाएंगे तो ट्रक ड्राइवर भी आलसी होने लगेंगे. अभी वे जाम में फंसने पर ट्रक बंद कर लेते हैं लेकिन जब गर्मी में उन्हें एसी केबिन मिलेगा तो वह ट्रक बंद ही नहीं करेंगे जिससे डीजल की खपत और ज्यादा बढ़ जाएगी. बाहरी तापमान से भी तालमेल ही नहीं बिठा पाएंगे. ढाबे की चारपाई पर अभी वह गर्मी में ट्रक से निकलकर आराम से सोते हैं, लेकिन फिर वे चारपाई ही भूल जाएंगे. वह सोने के लिए भी ट्रक के एसी केबिन का ही इस्तेमाल करेंगे. जिससे डीजल खपत और ज्यादा बढ़ जाएगी. इसका एक बड़ा नुकसान यह भी होगा कि डीजल एवरेज घटेगा तो माल भाड़ा बहुत ज्यादा बढ़ेगा. यह लगभग दो गुना तक हो जाएगा जिससे महंगाई बढ़ना तय है. सरकार का फैसला तो अच्छा है लेकिन इन बिंदुओं पर भी परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को ध्यान देना होगा.
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