लखनऊ: पेट्रोल-डीजल और सीएनजी की आसमान छूती कीमतें शहरवासियों की जेब का बजट बिगाड़ रही हैं. अब उन्हें निजी वाहन, ऑटो या ई-रिक्शा से यात्रा करना काफी महंगा पड़ रहा है. ऐसे में उनके सामने यात्रा करने के लिए एकमात्र मेट्रो ही सस्ता साधन है. मेट्रो से सफर करने में पैसों से लेकर समय की भी पूरी बचत है. हालांकि ऑटो यूनियन से जुड़े लोगों का कहना है कि मेट्रो की तुलना में लोग ऑटो को इसलिये प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि यह छोटे से छोटे स्थान तक सवारियों को पहुंचा सकती है, लेकिन मेट्रो नहीं.
साल 2017 से स्थिर है मेट्रो का किराया
इन दिनों कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये तक पहुंच गई है. लखनऊ में भी पेट्रोल की कीमत 90 रुपये प्रति लीटर के आसपास है, जबकि डीजल 80 रुपये प्रति लीटर के करीब है. सीएनजी की कीमत भी 70 रुपये के आसपास है. ऐसे में रोजाना की यात्रा से आम लोगों की जेब पर काफी असर पड़ता है. इसके बाद सड़कों पर लगा लंबा जाम और प्रदूषित वातावरण से भी लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में लखनऊ मेट्रो शहरवासियों के लिए सस्ते किराये पर सुगम यात्रा मुहैया करा रही है. लखनऊ मेट्रो का किराया साल 2017 के शुरुआत से ही स्थिर है.
संस्था के अध्ययन में ये बात आई सामने
शहरी परिवहन से जुड़ी संस्था यूएमटीसी (अर्बन मास ट्रांजिट कंपनी) के हाल ही में हुए अध्ययन के मुताबिक, लखनऊ मेट्रो से 9.5 किलोमीटर या उससे अधिक की यात्रा करने पर प्रति किलोमीटर यात्रा का खर्च 2.56 रुपये आता है. अगर ऑटो से सफर करते हैं तो प्रति किलोमीटर 10.26 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह ई-रिक्शा के लिए प्रति किलोमीटर 8.33 रुपये का खर्च है. ई-रिक्शा का सफर भी इसलिये महंगा है, क्योंकि इसकी बैटरी महंगी बिजली से चार्ज होती है. इस अध्ययन में ये भी पता चलता है कि ई-रिक्शा या ऑटो को यात्रा का तेज साधन माना जाता है, जबकि वास्तविकता है कि पीक आवर में मेट्रो इनसे 1.2 गुना तेज और 1.65 गुना अफोर्डेबल है.
![ई-रिक्शा से सफर करना लोगों को पड़ रहा महंगा.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10706273_sdfsdf.png)
23 किलोमीटर की दूरी तय करती है मेट्रो
बता दें कि अभी शहर में नार्थ साउथ कॉरिडोर पर 23 किलोमीटर की दूरी के लिए ही मेट्रो सेवा संचालित होती है. ये दूरी शहर के प्रमुख बाजारों से लेकर शैक्षिक संस्थानों, बस स्टेशनों, हॉस्पिटल्स और रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे को जोड़ती है. हालांकि शहरवासियों ने लगातार मांग की है कि ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का भी काम पूरा हो और शहर के अन्य घनी आबादी वाले इलाके में मेट्रो का संचालन किया जाए.
सुरक्षा की दृष्टि से मेट्रो है उचित साधन
लखनऊ मेट्रो लोगों के समय और पैसे की तो बचत करती ही है, सुरक्षा के लिहाज से भी अन्य परिवहन साधनों की तुलना में मेट्रो कहीं ज्यादा सुरक्षित है. ऑटो, ई रिक्शा या फिर अन्य साधनों में कोविड से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं हैं, जबकि सैनिटाइजेशन के मामले में भी मेट्रो सार्वजनिक परिवहन की तुलना में सुरक्षित है. हर ट्रिप के बाद मेट्रो को सैनिटाइज करके ही दोबारा से ट्रैक पर उतारा जाता है.
मेट्रो ही सफर के लिए सही
खास बात यह है कि मेट्रो से यात्रा करने के लिए प्रवासियों को सुविधा ज्यादा होती है, क्योंकि वे बाहर से आते हैं और उन्हें शहर के बारे में ज्यादा मालूम नहीं होता है. ऐसे में मेट्रो ही सफर के लिए बेहतर विकल्प है. किराया फिक्स होने के चलते इसमें पैसों की बचत होती है.