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सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए गूगल का सहारा लेगा परिवहन विभाग

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Published : Dec 15, 2020, 3:37 PM IST

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जिसको लेकर परिवहन विभाग चिंतित है. सड़क हादसों को रोकने के लिए विभाग नए-नए प्लान बना रहा है. वहीं अब परिवहन विभाग गूगग की शरण में पहुंच गया है. अब राहगीर गूगल की मदद से यह भी पता कर सकेंगे कि सड़क पर ब्लैक स्पॉट्स कहां-कहां पर हैं, जिससे वह दुर्घटना से बच सकें.

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग

लखनऊ: प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं रोकने में नााकाम 'रोड सेफ्टी सेल' अब गूगल की शरण में पहुंच गया है. चौराहों की इंजीनियरिंग सुधार कर हादसे रोकने के बजाय अब लोगों को गूगल के माध्यम से ब्लैक स्पॉट की जानकारी करनी होगी. जनता को ऐसे खतरनाक रास्तों से खुद ही सुरक्षित निकलना होगा. प्रदेश भर के ब्लैक स्पॉट की टैगिंग किए जाने की कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए एक एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी गई है.

एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल पल्ला झाड़ रहे विभाग
विभागीय अधिकारियों के अनुसार टैगिंग सिर्फ इसलिए कराई जा रही है, जिससे यह पता चला सके कि ब्लैक स्पॉट वाली वह जगह किस विभाग के हिस्से में आती है, जिससे वह विभाग उसे ठीक कराएं. आलम यह है कि पिछले छह सालों में अब तक यही तय नहीं हो सका है कि जिन जगहों पर दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं, उस रोड का निर्माण कार्य किसने करवाया है. अब यह काम गूगल को दिया गया है. वह ब्लैक स्पॉट की टैगिंग कर यह भी बताएगा कि इस सड़क का निर्माण और मेंटेनेंस किसके हवाले है. ऐसे में उस क्षेत्र में आने वाले ब्लैक स्पॉट्स को ठीक करने की जिम्मेदारी तय हो सकेगी.

ब्लैक स्पॉट की जानकारी देगा गूगल
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक यह काम पूरा होने के बाद गूगल से यह भी करार किया जाएगा कि रोड पर चलने वालों को मोबाइल के माध्यम से ब्लैक स्पॉट के बारे में एलर्ट किया जा सके. जैसे गूगल पर रोड देखते हुए जाने वाला व्यक्ति जैसे ही ब्लैक स्पॉट के इर्द-गिर्द पहुंचेगा वैसे ही मोबाइल ड्राइवर को सावधान कर देगा कि आप दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र में चल रहे हैं.

ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ी
सड़क सुरक्षा सेल से जुड़े परिवहन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार पिछले तीन सालों में प्रदेश में ब्लैक स्पॉट्स की संख्या 1,057 से बढ़कर 1,200 से ऊपर पहुंच गई है. लखनऊ में ब्लैक स्पॉट्स 67 हो गए हैं. दुर्घटनाएं न हों इसे लेकर परिवहन विभाग ने दुर्घटना बहुल्य क्षेत्रों में साइन बोर्ड भी लगवाएं हैं.

बता दें कि ये ब्लैक स्पॉट किसी न किसी हाईवे पर हैं, जो नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधीन हैं. भोला पुरवा वीकेटी हाईवे, भैंसा पुरवा मोड़ हाईवे, नंदना हाईवे, कमता चौराहा, अहिमामऊ, खुर्दई बाजार, कस्बा गोसाईगंज, गंगागंज, अजीज नगर चौराहा, उतरेटिया पुल के नीचे, इंडिया चौराहा, गौरी बाजार चौराहा, एयरपोर्ट चौराहा, नादरगंज, गौरी बाजार चौराहा, दरोगा खेड़ा, भिटौली चौराहा, निगोहां, मटियारी चौराहा, वृंदावन, बैटोली पुल और तहसील मोड़.

पीडब्लूडी के अधीन ब्लैक स्पॉट
कैलाश पुरी, मोहान रोड, शहीद पथ पुल, बड़ी लाल कुर्ती, आलमबाग, बारादरी चौराहा, आईटी चौराहा, 1090 चौराहा, आरटीओ ऑफिस, इको गार्डन, वीआईपी रोड, कनौसी पुल, बंगला पुल चौराहा, रजनीखंड, भैसा कुंड, बिजनौर, हजरतगंज चौराहा, परिवर्तन चौक, बाराबिरवा चौराहा, सरपतगंज तिराहा, नंदना हाइवे, बरना क्रासिंग, छोटी लाल कुर्ती, देगोई, मानपुर, अर्जुनपुर, सरपोतगंज.

वर्ष सड़क हादसेमरने वालों की संख्या
2017 38,78320,124
2019 42,572 22,655

बाइक सवार कम करते हैं गूगल का प्रयोग
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार गूगल की जानकारी उनके काम ही आएगी, जो लंबी दूरी के दौरान गूगल मैप का प्रयोग करते हैं. जो लोग बिना इसके सफर करते हैं, उन्हें भी गूगल का प्रयोग करने की आदत डालनी होगी. बाइक सवार किसी तरह के रोड मैप का प्रयोग बहुत कम ही करते हैं.

किए जा रहे ब्लैक स्पॉट सुधारने के प्रयास
ब्लैक स्पाट्स को चिन्हित किए जाने के साथ ही उन्हें सुधारने का काम चल रहा है. अफसरों को इन ब्लैक स्पॉट्स को चिन्हित कर टैगिंग की जिम्मेदारी दी गई है. ब्लैक स्पॉट्स को इंजीनियरिंग कर सुधारे जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

लखनऊ: प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं रोकने में नााकाम 'रोड सेफ्टी सेल' अब गूगल की शरण में पहुंच गया है. चौराहों की इंजीनियरिंग सुधार कर हादसे रोकने के बजाय अब लोगों को गूगल के माध्यम से ब्लैक स्पॉट की जानकारी करनी होगी. जनता को ऐसे खतरनाक रास्तों से खुद ही सुरक्षित निकलना होगा. प्रदेश भर के ब्लैक स्पॉट की टैगिंग किए जाने की कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए एक एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी गई है.

एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल पल्ला झाड़ रहे विभाग
विभागीय अधिकारियों के अनुसार टैगिंग सिर्फ इसलिए कराई जा रही है, जिससे यह पता चला सके कि ब्लैक स्पॉट वाली वह जगह किस विभाग के हिस्से में आती है, जिससे वह विभाग उसे ठीक कराएं. आलम यह है कि पिछले छह सालों में अब तक यही तय नहीं हो सका है कि जिन जगहों पर दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं, उस रोड का निर्माण कार्य किसने करवाया है. अब यह काम गूगल को दिया गया है. वह ब्लैक स्पॉट की टैगिंग कर यह भी बताएगा कि इस सड़क का निर्माण और मेंटेनेंस किसके हवाले है. ऐसे में उस क्षेत्र में आने वाले ब्लैक स्पॉट्स को ठीक करने की जिम्मेदारी तय हो सकेगी.

ब्लैक स्पॉट की जानकारी देगा गूगल
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक यह काम पूरा होने के बाद गूगल से यह भी करार किया जाएगा कि रोड पर चलने वालों को मोबाइल के माध्यम से ब्लैक स्पॉट के बारे में एलर्ट किया जा सके. जैसे गूगल पर रोड देखते हुए जाने वाला व्यक्ति जैसे ही ब्लैक स्पॉट के इर्द-गिर्द पहुंचेगा वैसे ही मोबाइल ड्राइवर को सावधान कर देगा कि आप दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र में चल रहे हैं.

ब्लैक स्पॉट की संख्या बढ़ी
सड़क सुरक्षा सेल से जुड़े परिवहन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार पिछले तीन सालों में प्रदेश में ब्लैक स्पॉट्स की संख्या 1,057 से बढ़कर 1,200 से ऊपर पहुंच गई है. लखनऊ में ब्लैक स्पॉट्स 67 हो गए हैं. दुर्घटनाएं न हों इसे लेकर परिवहन विभाग ने दुर्घटना बहुल्य क्षेत्रों में साइन बोर्ड भी लगवाएं हैं.

बता दें कि ये ब्लैक स्पॉट किसी न किसी हाईवे पर हैं, जो नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधीन हैं. भोला पुरवा वीकेटी हाईवे, भैंसा पुरवा मोड़ हाईवे, नंदना हाईवे, कमता चौराहा, अहिमामऊ, खुर्दई बाजार, कस्बा गोसाईगंज, गंगागंज, अजीज नगर चौराहा, उतरेटिया पुल के नीचे, इंडिया चौराहा, गौरी बाजार चौराहा, एयरपोर्ट चौराहा, नादरगंज, गौरी बाजार चौराहा, दरोगा खेड़ा, भिटौली चौराहा, निगोहां, मटियारी चौराहा, वृंदावन, बैटोली पुल और तहसील मोड़.

पीडब्लूडी के अधीन ब्लैक स्पॉट
कैलाश पुरी, मोहान रोड, शहीद पथ पुल, बड़ी लाल कुर्ती, आलमबाग, बारादरी चौराहा, आईटी चौराहा, 1090 चौराहा, आरटीओ ऑफिस, इको गार्डन, वीआईपी रोड, कनौसी पुल, बंगला पुल चौराहा, रजनीखंड, भैसा कुंड, बिजनौर, हजरतगंज चौराहा, परिवर्तन चौक, बाराबिरवा चौराहा, सरपतगंज तिराहा, नंदना हाइवे, बरना क्रासिंग, छोटी लाल कुर्ती, देगोई, मानपुर, अर्जुनपुर, सरपोतगंज.

वर्ष सड़क हादसेमरने वालों की संख्या
2017 38,78320,124
2019 42,572 22,655

बाइक सवार कम करते हैं गूगल का प्रयोग
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार गूगल की जानकारी उनके काम ही आएगी, जो लंबी दूरी के दौरान गूगल मैप का प्रयोग करते हैं. जो लोग बिना इसके सफर करते हैं, उन्हें भी गूगल का प्रयोग करने की आदत डालनी होगी. बाइक सवार किसी तरह के रोड मैप का प्रयोग बहुत कम ही करते हैं.

किए जा रहे ब्लैक स्पॉट सुधारने के प्रयास
ब्लैक स्पाट्स को चिन्हित किए जाने के साथ ही उन्हें सुधारने का काम चल रहा है. अफसरों को इन ब्लैक स्पॉट्स को चिन्हित कर टैगिंग की जिम्मेदारी दी गई है. ब्लैक स्पॉट्स को इंजीनियरिंग कर सुधारे जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

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