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अब हेलीकॉप्टर से कीजिए दुधवा नेशनल पार्क की सैर; 25 नवंबर से सर्विस शुरू, जानिए क्या होगा किराया - DUDHWA HELICOPTER SERVICE

Dudhwa Helicopter Service: हेलीकॉप्टर सर्विस शुरू होने से दुधवा सहित कतर्नियाघाट, पीलीभीत टाइगर रिवर्ज जैसे स्थलों पर बढ़ेगी पर्यटकों की संख्या.

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अब हेलीकॉप्टर से कीजिए दुधवा नेशनल पार्क की सैर. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 22, 2024, 5:13 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने वाले पर्यटकों के लिए राज्य सरकार ने हेलीकाप्टर सेवा शुरू करने की तैयारी की है. यह सेवा लखनऊ से दुधवा के बीच शुरू होगी. हेलीकॉप्टर के संचालन के लिए 25 नवंबर से किया जाएगा.

लखनऊ से दुधवा सड़क मार्ग से जाने वाले पर्यटकों को साढ़े चार घंटे का समय लगता था, हेली सर्विस शुरू होने पर यह यात्रा घटकर मात्र एक घंटे रह जाएगी. हेलीकॉप्टर से यात्रा के लिए पर्यटकों को 5 हजार रुपए प्रति व्यक्ति किराए का भुगतान करना होगा. गुरुवार की देर रात इस सेवा को लेकर मेसर्स जेटसर्व एविएशन पर्यटन लिमिटेड के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं. यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के चूका जैसे ईको टूरिज्म स्थलों पर सुगम आवागमन के लिए हेली सेवाएं प्रारम्भ करने के निर्देश दिए गए थे. इसी क्रम में 25 नवंबर से लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से राजकीय हवाई पट्टी पलिया तक हवाई सेवा का शुभारंभ होना प्रस्तावित है.

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश का प्रमुख टाइगर रिजर्व दुधवा टाइगर रिजर्व का कोर जोन 884 वर्ग किमी में स्थापित है. इसकी ख्याति न केवल देश में है, बल्कि विदेश में भी है. दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में विद्यमान विभिन्न प्रकार के बेशकीमती वृक्ष, लता, पौधे, घास, बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी गैंडा, हिरण, सरीसृप, पक्षी व अन्य जीव जंतु इसकी आभा की अभिव्यक्ति स्वयं करते हैं.

इस राष्ट्रीय उद्यान की जैवविविधता की अलौकिकता, इसके मनोहारी दृश्यों से स्वनेत्रों को अभिसिंचित करने के लिए घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटक यहां प्रति वर्ष आते रहते हैं. दुधवा एक तरफ मोहाना नदी एवं दूसरी तरफ शारदा नदी जैसी विशालकाय नदियों से आच्छादित है. दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है, जहां प्रथम गैंडा पुनर्वास केन्द्र अपनी सफलता के चरमोत्कर्ष पर पहुंचने के बाद द्वितीय गैण्डा पुनर्वास केन्द्र का प्रारम्भ कराया जा चुका है.

ये भी पढ़ेंः IIT कानपुर में 2 साल से टहल रहा तेंदुआ; पकड़ने जाओ तो बन जाता 'मिस्टर इंडिया'

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने वाले पर्यटकों के लिए राज्य सरकार ने हेलीकाप्टर सेवा शुरू करने की तैयारी की है. यह सेवा लखनऊ से दुधवा के बीच शुरू होगी. हेलीकॉप्टर के संचालन के लिए 25 नवंबर से किया जाएगा.

लखनऊ से दुधवा सड़क मार्ग से जाने वाले पर्यटकों को साढ़े चार घंटे का समय लगता था, हेली सर्विस शुरू होने पर यह यात्रा घटकर मात्र एक घंटे रह जाएगी. हेलीकॉप्टर से यात्रा के लिए पर्यटकों को 5 हजार रुपए प्रति व्यक्ति किराए का भुगतान करना होगा. गुरुवार की देर रात इस सेवा को लेकर मेसर्स जेटसर्व एविएशन पर्यटन लिमिटेड के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं. यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के चूका जैसे ईको टूरिज्म स्थलों पर सुगम आवागमन के लिए हेली सेवाएं प्रारम्भ करने के निर्देश दिए गए थे. इसी क्रम में 25 नवंबर से लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से राजकीय हवाई पट्टी पलिया तक हवाई सेवा का शुभारंभ होना प्रस्तावित है.

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश का प्रमुख टाइगर रिजर्व दुधवा टाइगर रिजर्व का कोर जोन 884 वर्ग किमी में स्थापित है. इसकी ख्याति न केवल देश में है, बल्कि विदेश में भी है. दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में विद्यमान विभिन्न प्रकार के बेशकीमती वृक्ष, लता, पौधे, घास, बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी गैंडा, हिरण, सरीसृप, पक्षी व अन्य जीव जंतु इसकी आभा की अभिव्यक्ति स्वयं करते हैं.

इस राष्ट्रीय उद्यान की जैवविविधता की अलौकिकता, इसके मनोहारी दृश्यों से स्वनेत्रों को अभिसिंचित करने के लिए घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटक यहां प्रति वर्ष आते रहते हैं. दुधवा एक तरफ मोहाना नदी एवं दूसरी तरफ शारदा नदी जैसी विशालकाय नदियों से आच्छादित है. दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है, जहां प्रथम गैंडा पुनर्वास केन्द्र अपनी सफलता के चरमोत्कर्ष पर पहुंचने के बाद द्वितीय गैण्डा पुनर्वास केन्द्र का प्रारम्भ कराया जा चुका है.

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