लखनऊ: परिवहन विभाग ने लखनऊ समेत प्रदेश के 19 जिलों में डिजिटल हस्ताक्षर की शुरुआत की है. यह डिजिटल हस्ताक्षर शोरूम पर बिकने वाले वाहनों की फाइल पर किए जाएंगे. इससे भविष्य में धोखाधड़ी की संभावना खत्म होगी और वाहनों के ऑनलाइन पंजीयन करने की रफ्तार में तेजी लाई जा सकेगी. इससे प्रपत्रों को आरटीओ कार्यालय ले जाने का झंझट भी खत्म हो जाएगा.
डिजिटल हस्ताक्षर से किसी तरह की भी जालसाजी की संभावना खत्म हो जाएगी. वहीं इससे विश्वसनीयता भी बढ़ेगी. कागजों पर मैनुअल सिग्नेचर कर कोई भी धोखाधड़ी कर सकता है, लेकिन जब शोरूम पर वाहन बिकने के बाद डिजिटल सिग्नेचर होंगे तो इसमें गड़बड़ी की संभावना न के बराबर होगी.
अपलोड करने होंगे दस्तावेज
शोरूम पर दो पहिया और चार पहिया वाहन की बिक्री के बाद डीलर वाहन संबंधी सभी प्रक्रिया पूरी करके दस्तावेजों पर डिजिटल सिग्नेचर करेंगे. इसे कंप्यूटर पर अपलोड करेंगे. बिना डिजिटल सिग्नेचर के कोई भी दस्तावेज कंप्यूटर पर अपलोड नहीं होगा. डिजिटल सिग्नेचर लागू करने का उद्देश्य यही है कि इससे हम फिजिकल डॉक्यूमेंट ट्रांसफर की प्रक्रिया से दूर जाएं और कागजों को लेकर शोरूम से आरटीओ कार्यालय तक न जाना पड़े. शोरूम पर ही सारा काम हो जाए.
क्या होते हैं डिजिटल हस्ताक्षर
डिजिटल हस्ताक्षर का सीधे तौर पर मतलब यही होता है कि इस तरह के हस्ताक्षरों में किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं की गई है. इस पर पूरा विश्वास किया जा सकता है. डिजिटल सिग्नेचर सामान्यत: सॉफ्टवेयर वितरण, वित्तीय लेनदेन और ऐसे अन्य मामलों में प्रयुक्त होते हैं, जहां जालसाजी और छेड़छाड़ का पता लगाना महत्वपूर्ण होता है.
इस प्रक्रिया से बढ़ेगी विश्वसनीयता
परिवहन विभाग डिजिटल सिग्नेचर की व्यवस्था लागू की है. सबसे पहले हमने इसकी शुरुआत बाराबंकी से की है. इसके बाद प्रदेश के 19 और कार्यालयों में डिजिटल हस्ताक्षर शुरू किए गए हैं. डीलरों को हमने व्यवस्था दी है कि डिजिटल सिग्नेचर के बाद ही कंप्यूटर पर सभी कागजात अपलोड करें. इसका फायदा यही होगा कि हम फिजिकल डॉक्यूमेंट ट्रांसफर से दूरी बना सकेंगे, इससे विश्वसनीयता में भी वृद्धि होगी.