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परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर, एआरटीओ ने लिखा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को लेटर - परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर

परिवहन विभाग में ट्रांसफर पॉलिसी का जमकर उल्लंघन किया गया है. इसका खुलासा एआरटीओ की ओर से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को लिखे गए लेटर से साबित होता है. ट्रांसफर पॉलिसी के तहत हुए तबादलों में कार्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों के हिसाब पर भी ध्यान नहीं दिया गया है.

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Published : Jul 11, 2023, 10:51 PM IST

लखनऊ : परिवहन विभाग में ट्रांसफर पॉलिसी का अधिकारियों ने ख्याल ही नहीं रखा. कहीं तो इतने बड़े स्तर पर तबादले कर दिए कि कार्यालय ही कर्मचारियों से खाली हो गया और कहीं जरूरत से ज्यादा कर्मचारी हो गए. ट्रांसफर पॉलिसी के तहत हुए तबादलों को लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों में कमीशन खोरी को लेकर खूब चर्चा भी हो रही है. फर्रुखाबाद के एआरटीओ ने तो एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेश को मानने से ही इनकार कर दिया. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को पत्र लिख दिया कि दफ्तर से एक साथ पांच बाबुओं का तबादला कर दिया गया. ऐसे में एक बाबू से काम कैसे चले? साफ लिख दिया कि हम किसी को रिलीव करेंगे ही नहीं. ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं.




परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.
परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.

एआरटीओ ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को लिखे गए पत्र में जिक्र किया कि पांच कर्मचारियों के तबादले के बाद एआरटीओ कार्यालय में किसी कर्मचारी की तैनाती ही नहीं की गई. उनके स्थानांतरण के बाद सिर्फ एक वरिष्ठ सहायक कार्यालय में तैनात रह गया है. अगर इन सभी कर्मचारियों को तत्काल मुक्त कर दिया गया तो कार्यालय में अव्यवस्था फैल जाएगी. विभागीय कार्य प्रभावित होगा. समय-समय पर दर्पण पोर्टल की समीक्षा भी की जाती है जिसे एक क्लर्क से समय रहते पूरा किया जाना संभव नहीं हो पाएगा. फर्रुखाबाद में परिवहन कार्यालय अत्यंत ही संवेदनशील है और कार्यालय में अवांछनीय तत्वों का काफी दबाव रहता है. पूर्व में तैनात एआरटीओ सुदेश तिवारी और यात्री कर अधिकारी विजय किशोर आनंद के साथ मारपीट और जानलेवा हमला हो चुका है. ऐसे में विभागीय हित को ध्यान रखते हुए कर्मचारियों के ट्रांसफर आदेश निरस्त किए जाएं या फिर नए कर्मचारियों की तैनाती जल्द की जाए. जब तक अग्रिम आदेश नहीं हो जाते तब तक ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों को कार्यमुक्त नहीं किया जा पाएगा.

परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.
परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.



मनचाहे स्थान पर मिली तैनाती : ट्रांसफर पॉलिसी में हुए तबादलों को लेकर परिवहन विभाग में खूब चर्चा हो रही है कि कई अधिकारियों ने ट्रांसफर पालिसी आने से पहले ही अपने तबादले को लेकर जुगाड़ लगा ली थी. मनचाहा स्थान भी चुन लिया था और उनका तबादला उसी जगह हुआ. सूत्रों के मुताबिक कानपुर में वर्षों से तैनात आरआई ने जुगाड़ के सहारे वहीं पर एआरटीओ (प्रवर्तन) बनने में कामयाबी हासिल कर ली. फतेहपुर में तैनात एक आरआई ने पॉलिसी से पहले ही अपने विभागीय साथियों से बता दिया था कि उन्हें उनके मनपसंद स्थान पर पोस्टिंग पाने से कोई रोक नहीं सकता. ये सच भी साबित हुआ. तबादला भी उनका वही हुआ जहां चाहा था. गाजियाबाद में क्रीम पोस्टिंग मिली है. एक आरआई ने अपने तबादले सहित अपने पिताजी जो बाबू थे, उनका भी तबादला मनचाहे स्थान पर करा लिया. कुल मिलाकर तबादला नीति का परिवहन विभाग में खूब मखौल उड़ा है.





यह भी पढ़ें : CBI लखनऊ में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी IPS पिता-पुत्र ने ठगे 15 लाख, एसएसपी पर भी जमाई थी धौंस

लखनऊ : परिवहन विभाग में ट्रांसफर पॉलिसी का अधिकारियों ने ख्याल ही नहीं रखा. कहीं तो इतने बड़े स्तर पर तबादले कर दिए कि कार्यालय ही कर्मचारियों से खाली हो गया और कहीं जरूरत से ज्यादा कर्मचारी हो गए. ट्रांसफर पॉलिसी के तहत हुए तबादलों को लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों में कमीशन खोरी को लेकर खूब चर्चा भी हो रही है. फर्रुखाबाद के एआरटीओ ने तो एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेश को मानने से ही इनकार कर दिया. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को पत्र लिख दिया कि दफ्तर से एक साथ पांच बाबुओं का तबादला कर दिया गया. ऐसे में एक बाबू से काम कैसे चले? साफ लिख दिया कि हम किसी को रिलीव करेंगे ही नहीं. ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं.




परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.
परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.

एआरटीओ ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को लिखे गए पत्र में जिक्र किया कि पांच कर्मचारियों के तबादले के बाद एआरटीओ कार्यालय में किसी कर्मचारी की तैनाती ही नहीं की गई. उनके स्थानांतरण के बाद सिर्फ एक वरिष्ठ सहायक कार्यालय में तैनात रह गया है. अगर इन सभी कर्मचारियों को तत्काल मुक्त कर दिया गया तो कार्यालय में अव्यवस्था फैल जाएगी. विभागीय कार्य प्रभावित होगा. समय-समय पर दर्पण पोर्टल की समीक्षा भी की जाती है जिसे एक क्लर्क से समय रहते पूरा किया जाना संभव नहीं हो पाएगा. फर्रुखाबाद में परिवहन कार्यालय अत्यंत ही संवेदनशील है और कार्यालय में अवांछनीय तत्वों का काफी दबाव रहता है. पूर्व में तैनात एआरटीओ सुदेश तिवारी और यात्री कर अधिकारी विजय किशोर आनंद के साथ मारपीट और जानलेवा हमला हो चुका है. ऐसे में विभागीय हित को ध्यान रखते हुए कर्मचारियों के ट्रांसफर आदेश निरस्त किए जाएं या फिर नए कर्मचारियों की तैनाती जल्द की जाए. जब तक अग्रिम आदेश नहीं हो जाते तब तक ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों को कार्यमुक्त नहीं किया जा पाएगा.

परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.
परिवहन विभाग में ट्रांसफर से खाली हुआ दफ्तर.



मनचाहे स्थान पर मिली तैनाती : ट्रांसफर पॉलिसी में हुए तबादलों को लेकर परिवहन विभाग में खूब चर्चा हो रही है कि कई अधिकारियों ने ट्रांसफर पालिसी आने से पहले ही अपने तबादले को लेकर जुगाड़ लगा ली थी. मनचाहा स्थान भी चुन लिया था और उनका तबादला उसी जगह हुआ. सूत्रों के मुताबिक कानपुर में वर्षों से तैनात आरआई ने जुगाड़ के सहारे वहीं पर एआरटीओ (प्रवर्तन) बनने में कामयाबी हासिल कर ली. फतेहपुर में तैनात एक आरआई ने पॉलिसी से पहले ही अपने विभागीय साथियों से बता दिया था कि उन्हें उनके मनपसंद स्थान पर पोस्टिंग पाने से कोई रोक नहीं सकता. ये सच भी साबित हुआ. तबादला भी उनका वही हुआ जहां चाहा था. गाजियाबाद में क्रीम पोस्टिंग मिली है. एक आरआई ने अपने तबादले सहित अपने पिताजी जो बाबू थे, उनका भी तबादला मनचाहे स्थान पर करा लिया. कुल मिलाकर तबादला नीति का परिवहन विभाग में खूब मखौल उड़ा है.





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