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हर माह पांच लाख रुपए अतिरिक्त खर्च कर रहा परिवहन विभाग, अब बदलेगी व्यवस्था

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Published : Nov 14, 2022, 5:51 PM IST

परिवहन विभाग लगातार अपनी सेवाओं को ऑनलाइन कर रहा है. इन कार्यों को सम्पन्न कराने के लिए निजी कंपनियों को ठेके भी दे रहा है, लेकिन जो काम निजी कंपनियों को करना चाहिए उस काम को परिवहन विभाग अपने कर्मचारियों से करा रहा है. जिस काम को करने में हर माह मात्र दो लाख रुपए खर्च होने हों उस काम के विभाग पांच लाख रुपए रुपए खर्च कर रहा है.

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लखनऊ : परिवहन विभाग लगातार अपनी सेवाओं को ऑनलाइन कर रहा है. इन कार्यों को सम्पन्न कराने के लिए निजी कंपनियों को ठेके भी दे रहा है, लेकिन जो काम निजी कंपनियों को करना चाहिए उस काम को परिवहन विभाग अपने कर्मचारियों से करा रहा है. जिस काम को करने में हर माह मात्र दो लाख रुपए खर्च होने हों उस काम के विभाग पांच लाख रुपए रुपए खर्च कर रहा है. जिस काम को करने में महज दो सेकंड लगता है और इसी दो सेकंड के लिए हर माह परिवहन विभाग अतिरिक्त लाखों रुपए खर्च कर रहा है. अब इस व्यवस्था को खत्म करने की मांग की जा रही है.


परिवहन विभाग ने स्मार्ट कार्ड लाइसेंस की एकीकृत व्यवस्था के तहत मुख्यालय स्तर पर लाइसेंस प्रिंटिंग शुरू की थी. की मैनेजमेंट सिस्टम (केएमएस) करने के लिए क्षेत्रीय कार्यालय से हर महीने 15 से 20 कर्मचारी मुख्यालय पर लगाए जा रहे हैं. नियमानुसार केएमस के लिए (आई.ए. 1 और आई.ए 2) के रूप में सहायक संभागीय निरीक्षक (प्राविधिक) अधिकृत हैं. क्षेत्रीय कार्यालयों से नियम विरुद्ध ड्यूटी लगाए जाने के कारण यात्रा भत्ता के रूप में लगभग पांच लाख से अधिक हर माह का भुगतान विभाग को करना पड़ रहा है. जिसका भुगतान कर्मचारियों को किया नहीं गया. नियम विरुद्ध ड्यूटी लगाए जाने के कारण संबंधित कर्मचारी की जिस अवधि में लखनऊ में ड्यूटी लगाई जाती है. उसमें उसके वेतन का आधे से ज्यादा का भाग लखनऊ में ही खर्च हो जाता है और यात्रा भत्ता का भुगतान न होने के चलते संबंधित कर्मचारियों को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

उत्तर प्रदेश परिवहन कर्मचारी संघ (Uttar Pradesh Transport Employees Union) ने परिवहन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की तो इस व्यवस्था में परिवर्तन की बात कही जा रही है. इसके लिए बाकायदा परिवहन विभाग के अधिकारियों की समिति गठित की गई. परिवहन विभाग की इस समिति ने माना है कि केएमएस कार्य के लिए क्षेत्रीय कार्यालय से कर्मचारियों की ड्यूटी मुख्यालय में लगाए जाने से जहां एक ओर संबंधित कर्मचारियों को आवंटित कार्य का समय से निस्तारण नहीं हो पाता है. वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों की यात्रा व्यय पर ज्यादा मात्रा में धनराशि भी खर्च होती है.

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विचार के बाद समिति ने फैसला लिया कि निम्न विकल्पों को अपनाकर जहां एक और शासकीय कर्मचारियों का अन्य राजकीय कार्य में उपयोग किया जा सकेगा. दूसरी ओर होने वाली शासकीय धनराशि बचेगी. समिति ने यह भी माना है कि इस कार्य के लिए 10 से 12 कंप्यूटर ऑपरेटर आउटसोर्सिंग के तहत जेम पोर्टल के माध्यम से लिए जाएं और उसके भुगतान के लिए धनराशि का आवंटन किया जाए. पूर्व की तरह जनपदीय कार्यालय में ही किए जाने की व्यवस्था बनाई जाए. इस व्यवस्था के बनने से जहां एक ओर भारी मात्रा में खर्च होने वाली शासकीय धनराशि बचेगी, वहीं दूसरी तरफ आम जनता को उनका लाइसेंस समय पर मिल सकेगा. समिति के अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि आईटी अनुभाग के माध्यम से परिवहन आयुक्त के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया है. जल्द ही इस पर फैसला हो जाएगा.

यह भी पढ़ें : आयुष अस्पतालों पर विश्वास बरकरार, गठिया इलाज के लिए दूरदराज से आ रहे मरीज

लखनऊ : परिवहन विभाग लगातार अपनी सेवाओं को ऑनलाइन कर रहा है. इन कार्यों को सम्पन्न कराने के लिए निजी कंपनियों को ठेके भी दे रहा है, लेकिन जो काम निजी कंपनियों को करना चाहिए उस काम को परिवहन विभाग अपने कर्मचारियों से करा रहा है. जिस काम को करने में हर माह मात्र दो लाख रुपए खर्च होने हों उस काम के विभाग पांच लाख रुपए रुपए खर्च कर रहा है. जिस काम को करने में महज दो सेकंड लगता है और इसी दो सेकंड के लिए हर माह परिवहन विभाग अतिरिक्त लाखों रुपए खर्च कर रहा है. अब इस व्यवस्था को खत्म करने की मांग की जा रही है.


परिवहन विभाग ने स्मार्ट कार्ड लाइसेंस की एकीकृत व्यवस्था के तहत मुख्यालय स्तर पर लाइसेंस प्रिंटिंग शुरू की थी. की मैनेजमेंट सिस्टम (केएमएस) करने के लिए क्षेत्रीय कार्यालय से हर महीने 15 से 20 कर्मचारी मुख्यालय पर लगाए जा रहे हैं. नियमानुसार केएमस के लिए (आई.ए. 1 और आई.ए 2) के रूप में सहायक संभागीय निरीक्षक (प्राविधिक) अधिकृत हैं. क्षेत्रीय कार्यालयों से नियम विरुद्ध ड्यूटी लगाए जाने के कारण यात्रा भत्ता के रूप में लगभग पांच लाख से अधिक हर माह का भुगतान विभाग को करना पड़ रहा है. जिसका भुगतान कर्मचारियों को किया नहीं गया. नियम विरुद्ध ड्यूटी लगाए जाने के कारण संबंधित कर्मचारी की जिस अवधि में लखनऊ में ड्यूटी लगाई जाती है. उसमें उसके वेतन का आधे से ज्यादा का भाग लखनऊ में ही खर्च हो जाता है और यात्रा भत्ता का भुगतान न होने के चलते संबंधित कर्मचारियों को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

उत्तर प्रदेश परिवहन कर्मचारी संघ (Uttar Pradesh Transport Employees Union) ने परिवहन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की तो इस व्यवस्था में परिवर्तन की बात कही जा रही है. इसके लिए बाकायदा परिवहन विभाग के अधिकारियों की समिति गठित की गई. परिवहन विभाग की इस समिति ने माना है कि केएमएस कार्य के लिए क्षेत्रीय कार्यालय से कर्मचारियों की ड्यूटी मुख्यालय में लगाए जाने से जहां एक ओर संबंधित कर्मचारियों को आवंटित कार्य का समय से निस्तारण नहीं हो पाता है. वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों की यात्रा व्यय पर ज्यादा मात्रा में धनराशि भी खर्च होती है.

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विचार के बाद समिति ने फैसला लिया कि निम्न विकल्पों को अपनाकर जहां एक और शासकीय कर्मचारियों का अन्य राजकीय कार्य में उपयोग किया जा सकेगा. दूसरी ओर होने वाली शासकीय धनराशि बचेगी. समिति ने यह भी माना है कि इस कार्य के लिए 10 से 12 कंप्यूटर ऑपरेटर आउटसोर्सिंग के तहत जेम पोर्टल के माध्यम से लिए जाएं और उसके भुगतान के लिए धनराशि का आवंटन किया जाए. पूर्व की तरह जनपदीय कार्यालय में ही किए जाने की व्यवस्था बनाई जाए. इस व्यवस्था के बनने से जहां एक ओर भारी मात्रा में खर्च होने वाली शासकीय धनराशि बचेगी, वहीं दूसरी तरफ आम जनता को उनका लाइसेंस समय पर मिल सकेगा. समिति के अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि आईटी अनुभाग के माध्यम से परिवहन आयुक्त के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया है. जल्द ही इस पर फैसला हो जाएगा.

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