लखनऊः परिवहन विभाग ने व्यावसायिक वाहनों के लिए भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान किया है. यह जुर्माना परिवहन विभाग को तो मालामाल कर रहा है, लेकिन वाहन स्वामियों/चालकों को पूरी तरह कंगाल कर रहा है. हाल ही महराजगंज जिले में एक ऑटोचालक ने अपनी मां का मंगलसूत्र बेचकर आरटीओ कार्यालय जुर्माना भरने गया था, जिसका दर्द सुनकर ARTO ने जुर्माने की भरपाई कर दी थी. लेकिन यह हर कार्यालय में हर किसी के साथ संभव भी नहीं है. ऐसे में व्यावसायिक वाहन स्वामी भारी भरकम जुर्माने के न भर पाने के चलते परेशान हैं.
परिवहन विभाग ने व्यावसायिक वाहनों के लिए भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान किया है. यह जुर्माना परिवहन विभाग को तो मालामाल कर रहा है, लेकिन वाहन स्वामियों/चालकों को पूरी तरह कंगाल कर रहा है. जुर्माने के चक्कर में आलम यह है कि कॉमर्शियल वाहन स्वामी अपने वाहन को संचालित करने के बजाय घर में खड़ा या फिर किराए पर चलवाने के लिए मजबूर हैं.
किसी भी तरह के नियम तोड़ने पर बड़ा जुर्माना लगा दिया जाता है, जिसकी भरपाई करना वाहन चालक के लिए काफी मुश्किल हो जाता है. ऑटो यूनियन के अध्यक्ष के साथ ही चालकों ने भी विभाग की तरफ से भारी भरकम जुर्माने के चलते कमर तोड़ देने वाले नियम कानूनों में बदलाव की मांग की है. वाहन संचालक और चालक चाहते हैं कि जुर्माने की राशि कम हो तो राहत मिले. जितनी आमदनी हो पा रही है उसकी आधी से ज्यादा जुर्माने में खर्च हो जा रहा है.
किस अपराध के लिए कितना है जुर्माना
- पार्किंग नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में 500 रुपये का जुर्माना और दूसरी बार या फिर उससे अधिक बार उल्लंघन करने पर 1500 रुपये.
- रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र, परमिट स्वस्थता प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र प्रस्तुत न कर पाने पर पहली बार में 500 रुपये और इसके बाद 1500 रुपये का चालान होगा.
- 12 महीने से अधिक अवधि तक अन्य राज्यों के रजिस्ट्रीकरण चिन्ह का उपयोग करने पर भी इसी तरह के जुर्माने का प्रावधान है.
- वाहन चलाते समय हाथ से पकड़े जाने वाले संचार उपकरणों का उपयोग करने पर पहली बार में 1,000 रुपये और इसके बाद 10,000 रुपये जुर्माना देना होगा.
- ध्वनि प्रदूषण का उल्लंघन करने पर भी 1,000 रुपये जुर्माना देना होगा.
- बिना रजिस्ट्रेशन या फिर रद्द रजिस्ट्रेशन के साथ मोटरयान संचालित किए जाने पर पहली बार में 5,000 रुपये का जुर्माना और इसके बाद 10,000 रुपये जुर्माने के रूप में देना होगा.
- परमिट के बिना मोटरयान चलाने पर, परमिट की शर्तों का उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा.
- वाहन चलाते समय सीट बेल्ट का उपयोग न करने पर 1000 रुपये.
- हेलमेट नहीं पहनने पर 1,000 रुपये का जुर्माना.
- अनावश्यक रूप से लगातार हॉर्न बजाने पर 1,000 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा.
ऑटो यूनियन के अध्यक्ष ने कही ये बात
लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ (लार्ट्स) के अध्यक्ष पंकज दीक्षित का कहना है कि परिवहन विभाग के भारी-भरकम जुर्माने ने व्यावसायिक वाहन चालकों की कमर तोड़ कर रख दी है. उनका गुजारा भी नहीं हो पा रहा है. टैक्स महंगा है, सीएनजी महंगी है, उसके ऊपर जुर्माने की राशि बहुत ही ज्यादा है. सबसे खास बात है कि शहर भर में ऑटो संचालकों को कहीं भी सवारी उतारने चढ़ाने के लिए जगह नहीं दी गई है और उस पर नो पार्किंग के सबसे ज्यादा चालान हो रहे हैं. अब एक बार में पार्किंग का चालान 1,000 से लेकर 1500 रुपये तक का कर दिया जाता है. इतनी तो दिन भर में किसी भी कीमत पर ऑटो चालक की कमाई भी नहीं होती है.
कहीं भी नहीं दी गई पार्किंग की जगह
ऑटो चालक बताते हैं कि दिक्कतें ऐसी है कि कहीं भी हमें पार्किंग की जगह नहीं दी गई. सवारी उतारने चढ़ाने की कहीं जगह नहीं है. सवारी उतारते हैं फोटो खींचकर चालान कर दिया जाता है. गैस के रेट भी बढ़ गए हैं तो तमाम तरह की दिक्कतें हमारे सामने हैं. चालान में बहुत खर्चा होता है. नो पार्किंग में 1,500 का एक बार में ही चालान हो जाता है, तो ऐसे में आदमी कहां कितना कमाएगा और चालान की भी कोई लिमिट नहीं है कि कितने का चालान कितनी बार हो जाएगा.
पुलिस वाले दौड़ाकर खींचते हैं फोटो
ऑटो चालक अशोक गुप्ता कहते हैं कि सवारी उतारते हैं और पुलिस वाले दौड़कर आ जाते हैं. फोटो खींच लेते हैं पता चलता है कि चालान हो गया. शाम को हजार पंद्रह सौ कमाया नहीं उतने का चालन हो जाता है. गैस इतनी महंगी है कि लागत का कोटा भी नहीं निकल रहा है. सबसे ज्यादा खर्चा चालान में ही हो रहा है. चालान बहुत महंगा है.
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ऑटो चालक आरिफ का कहना है कि किसी भी चौराहे पर गाड़ी खड़ी करो, सवारी उतारो तुरंत चालान हो जाता है. उनको पता भी नहीं चल पा रहा है महीने में चालान की कोई लिमिट नहीं हो रही है. मनमाने चालान हो रहे हैं यह बड़ी दिक्कत की बात है. कमाई नहीं है उससे ज्यादा खर्च हो जा रहा है. किसी तरह काम चल पा रहा है.
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