लखनऊ : राजधानी की कमिश्नर लगातार शहर के अंदर जाम से निजात दिलाने के लिए आए दिन निरीक्षण करती रहती हैं, लेकिन जाम है कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेता है. कैसरबाग, चारबाग, अवध तिराहा और कमता स्थित अवध बस स्टेशन जैसे इलाके में जाम की सबसे बड़ी वजह रोडवेज बसें बन रही हैं. इन बसों की वजह से बस स्टेशन के आस-पास तो ट्रैफिक जाम रहता ही है, कमिश्नर ऑफिस के सामने भी वाहनों की लंबी कतार लग जाती है. कई बार जाम को हटाने के लिए तमाम तरह के आदेश हुए, लेकिन यह सारे आदेश बेअसर साबित हो रहे हैं. माना जा रहा है कि जाम की एक बड़ी वजह बस स्टेशन के बाहर खाली खड़ी होने वाली बसें हैं. इन बसों की वजह से बस स्टेशन के सामने गुजरना वाहन चालकों के लिए आसान नहीं है.
शहर के अंदर जाम से निजात दिलाने के लिए शहर से बाहर दो बस स्टेशन बनाने की कवायद साल 2018 में शुरू हुई. साल 2019 में कमता स्थित अवध बस स्टेशन बना. यहां 300 बसें शिफ्ट की गईं. बावजूद इसके बस स्टेशनों के सामने जाम की स्थिति से आम वाहन स्वामियों को कोई भी लाभ नहीं हुआ. अब कैसरबाग बस स्टेशन से लेकर अवध बस स्टेशन के सामने बसों से जाम लग रहा है. जानकीपुरम में प्रस्तावित बस स्टेशन अभी कागजों पर चल रहा है. कैसरबाग बस अड्डे से यहां भी 700 बसें शिफ्ट करके जाम से राहत देने की बात कही जा रही है.
इन बस स्टेशनों के बाहर पार्क हो रही बसें |
- चारबाग बस स्टेशन के आगे दुर्गापुरी से मवैया के पास |
- कैसरबाग स्थित रेजीडेंसी व बलरामपुर अस्पताल के पास |
- आलमबाग बस टर्मिनल के सामने और दूसरे छोर पर |
- अवध बस स्टेशन के बाहर व दूसरे छोर के रोड पर |
गैर राज्यों की बसों के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं |
- उत्तरांखड के सभी डिपो से बसें आती हैं लखनऊ |
- पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, उत्तराखंड डिपो के अलावा अनुबंधित बसें रोजाना पार्किंग कर रहीं |
परिवहन निगम लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार का कहना है कि 'सड़क पर बसों की पार्किंग की मनाही है. चालक-परिचालक है कहीं भी बस खड़ी कर देने के सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. बसों की पार्किंग के लिए डिपो में जगह है. इसके बावजूद पार्किंग नहीं करने वाले चालकों से 200 रुपये जुर्माना वसूला जा रहा है.'