ETV Bharat / state

अपराध के दलदल से बचाने के लिए बच्चों को सिखाए जायेंगे गुण, जानिए क्या है तैयारी

author img

By

Published : May 11, 2023, 8:20 PM IST

यूपी में अपराध के बाद बाल सुधार गृह पहुंचने वाले बच्चों के लिए नई पहल शुरू हुई है. इन बच्चों को स्किल ट्रनिंग दी जाने की तैयारी की जा रही है.

Etv Bharat
Etv Bharat
देखें पूरी खबर

लखनऊ : कभी गरीबी तो कभी महंगे शौक, कभी गर्लफ्रेंड तो कभी महंगे गिफ्ट के लिए तो कभी बदले की आग में जलने पर बच्चे अपराध की दुनिया में एंट्री कर लेते हैं और जब पकड़े जाते हैं तो वे बाल सुधार गृह भेज दिए जाते हैं. सुधार गृह में कुछ तो सुधर जाते हैं, लेकिन कुछ अपराध की दुनिया में और घुसते रहते हैं. ऐसे में अब बाल सुधार गृह में बंद बच्चों के भविष्य में रोशनी भरने के लिए शासन ने फैसला किया है. सुधार गृह में बंद बच्चों को रुचि के हिसाब से उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वो वहां से निकलने के बाद खुद के पैर पर खड़े होने के काबिल बन सकें और एक नई जिंदगी जी सकें.

यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने बताया कि 'योजना के अंतर्गत राज्य के सभी बाल सुधार गृह में बंद बच्चों को स्किल की ट्रेनिंग दी जाएगी. यही नहीं इस दौरान हुनर सीखने वाले बच्चों को उनका मेहनताना भी दिया जाएगा, जिससे ये भविष्य में सुधार गृह से निकलकर अपराध की दुनिया से निकलकर अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू कर सकें. इस योजना के अंतर्गत, कारपेंटर और कुर्सी बीनने का काम, कलेंडरिंग का काम, पिक्चर मेकिंग और सजावट का काम, मूर्ति बनाना और स्टील के फर्नीचर बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.'



यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि 'बच्चे कई बार नासमझी या परिस्थितियों के कारण बड़ा अपराध कर देते हैं. ऐसे में इन बच्चों को पेशेवर अपराधी बनने से रोकने किए इन्हें जेल भेजने के बजाए बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है. उनके मुताबिक, इन बाल सुधार गृहों में लूट, चेन स्नैचिंग, रेप और चोरी जैसे अपराधों को अंजाम देने वाले बच्चों को बाल सुधार गृह में रखा जाता है. जहां ये अन्य अपराध कर चुके किशोरों से मिलते हैं और उनसे दोस्ती करते हैं और फिर वो अपराधिक चर्चाओं में फंसकर बर्बाद होते हैं. ऐसे में उन्हें किसी एक काम में व्यस्त रखने के लिए कौशल विकास के अंतर्गत प्रोफेशनल ट्रेनिंग देने जा रही है, जिससे वो बाल सुधार गृह में रहने के दौरान तो व्यस्त रहें ही, साथ ही जब बाहर निकलें तो एक नई जिंदगी शुरू कर सकें. सुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि इसकी शुरुआत लखनऊ के बाल सुधार गृह से की गई है, जहां एलईडी बल्ब बनाने की ट्रेनिंग दी गई है.'

यह भी पढ़ें : लखनऊ में लग्जरी गाड़ियां चोरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़

देखें पूरी खबर

लखनऊ : कभी गरीबी तो कभी महंगे शौक, कभी गर्लफ्रेंड तो कभी महंगे गिफ्ट के लिए तो कभी बदले की आग में जलने पर बच्चे अपराध की दुनिया में एंट्री कर लेते हैं और जब पकड़े जाते हैं तो वे बाल सुधार गृह भेज दिए जाते हैं. सुधार गृह में कुछ तो सुधर जाते हैं, लेकिन कुछ अपराध की दुनिया में और घुसते रहते हैं. ऐसे में अब बाल सुधार गृह में बंद बच्चों के भविष्य में रोशनी भरने के लिए शासन ने फैसला किया है. सुधार गृह में बंद बच्चों को रुचि के हिसाब से उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वो वहां से निकलने के बाद खुद के पैर पर खड़े होने के काबिल बन सकें और एक नई जिंदगी जी सकें.

यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने बताया कि 'योजना के अंतर्गत राज्य के सभी बाल सुधार गृह में बंद बच्चों को स्किल की ट्रेनिंग दी जाएगी. यही नहीं इस दौरान हुनर सीखने वाले बच्चों को उनका मेहनताना भी दिया जाएगा, जिससे ये भविष्य में सुधार गृह से निकलकर अपराध की दुनिया से निकलकर अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू कर सकें. इस योजना के अंतर्गत, कारपेंटर और कुर्सी बीनने का काम, कलेंडरिंग का काम, पिक्चर मेकिंग और सजावट का काम, मूर्ति बनाना और स्टील के फर्नीचर बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.'



यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि 'बच्चे कई बार नासमझी या परिस्थितियों के कारण बड़ा अपराध कर देते हैं. ऐसे में इन बच्चों को पेशेवर अपराधी बनने से रोकने किए इन्हें जेल भेजने के बजाए बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है. उनके मुताबिक, इन बाल सुधार गृहों में लूट, चेन स्नैचिंग, रेप और चोरी जैसे अपराधों को अंजाम देने वाले बच्चों को बाल सुधार गृह में रखा जाता है. जहां ये अन्य अपराध कर चुके किशोरों से मिलते हैं और उनसे दोस्ती करते हैं और फिर वो अपराधिक चर्चाओं में फंसकर बर्बाद होते हैं. ऐसे में उन्हें किसी एक काम में व्यस्त रखने के लिए कौशल विकास के अंतर्गत प्रोफेशनल ट्रेनिंग देने जा रही है, जिससे वो बाल सुधार गृह में रहने के दौरान तो व्यस्त रहें ही, साथ ही जब बाहर निकलें तो एक नई जिंदगी शुरू कर सकें. सुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि इसकी शुरुआत लखनऊ के बाल सुधार गृह से की गई है, जहां एलईडी बल्ब बनाने की ट्रेनिंग दी गई है.'

यह भी पढ़ें : लखनऊ में लग्जरी गाड़ियां चोरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.