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लखनऊ में ट्रैफिक सिस्टम ध्वस्त, 8 महीने में ADG समेत 6 अधिकारियों पर गिरी गाज

प्रदेश में कानून व्यवस्था से बड़ी समस्या ट्रैफिक व्यवस्था बन चुकी है. जिसको लेकर शासन पूरी तरह सख्त है. लखनऊ में ट्रैफिक समस्या को लेकर अब तक 6 अधिकारियों पर गाज गिरा चुकी है.

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लखनऊ में ट्रैफिक सिस्टम ध्वस्त
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Published : Aug 4, 2022, 3:30 PM IST

लखनऊ: राजधानी में ट्रैफिक सिस्टम पूरी तरह धवस्त हो चुकी है. जिसके चलते आला अधिकारियों और जिम्मेदारों पर कार्रवाई का सिलसिला लगतार जारी है. पुलिस कमिश्नर एस. बी. शिरडकर ने डीसीपी ट्रैफिक सुभाष चंद्र शाक्य को हटा दिया है. उनके स्थान में लूलू मॉल विवाद में हटाये गए आईपीएस अधिकारी गोपाल चौधरी को लखनऊ का नया डीसीपी ट्रैफिक नियुक्त किया गया है. गौरतलब है कि ट्रैफिक अव्यवस्था के चलते लखनऊ में अब तक 6 अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है.

गृह मंत्री को गलत रुट से ले जाने पर नपे थे डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तरः 17 दिसंबर 2021 को लखनऊ के रमाबाई मैदान में निषाद रैली आयोजित हुई थी. इसमें गृहमंत्री अमित शाह समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी कैबिनेट के कई दिग्गज मंत्री शामिल हुए थे. रमाबाई मैदान से गृह मंत्री अमित शाह को लोहिया पथ के मार्ग से इंदिरागांधी प्रतिष्ठान जाना था. ट्रैफिक पुलिस के एस्कोर्ट गृहमंत्री की फ्लीट को आला अधिकारियों के पीछे-पीछे वैकल्पिक मार्ग शहीद पथ पर लेकर चले गए.जबकि फ्लीट का रिहर्सल लोहिया पथ के लिए किया गया था. पुलिस की इस लापरवाही की वजह से अफरातफरी और असुरक्षा का माहौल खड़ा हो गया. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक आईबी, इंटेलिजेंस और पुलिस के आला अफसरों के हाथ-पैर फूल गए. जिसके बाद डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर को हटा दिया गया था.

जाम की वजह पैदल चले थे शाह और गडकरीः 25 मार्च को योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार शपथ ली थी. शपथ ग्रहण का कार्यक्रम इकाना स्टेडियम में आयोजित हुआ था. तमाम ट्रैफिक व्यवस्था होने के बावजूद गृह मंत्री अमित शाह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को 2 किलों मीटर पैदल चलना पड़ा था. वहीं, मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती तो जाम के चलते आधे रास्ते से ही वापस चली गईं थी. इस मामले में लखनऊ पुलिस की बड़ी किरकिरी हुई थी. साथ ही ट्रैफिक निदेशालय की लापरवाही भी दिखी थी. इसका खामियाजा एडीजी ट्रैफिक ज्योति नारायण को भुगतना पड़ा और 21 अप्रैल को उनका तबादला कर काले पानी की सजा कही जाने वाली पोस्टिंग एडीजी प्रशिक्षण जालौन के पद पर कर दी गयी.

ये भी पढ़ें- कासगंज में गोली लगने से पत्नी की मौत के मामले में इंस्पेक्टर गिरफ्तार

लखनऊ-कानपुर हाइवे में 6 घंटे लगा जाम, बंथरा इंस्पेक्टर हटेः 28 जुलाई को लखनऊ-कानपुर हाईवे पर 6 घंटे लगे जाम की समस्या को लेकर प्रशासन की खूब आलोचना हुई थी. परेशान लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से लखनऊ पुलिस को टैग करके जाम की जानकारी दी. बावजूद इसके लखनऊ पुलिस और स्थानीय पुलिस ने मौके पर जाकर जाम छुड़वाने की कोशिश नहीं की. हाईवे पर जाम की सूचना जब कार्यवाहक डीजीपी को मिली तो उन्होंने आलाधिकारियों को फोन कर जाम छुड़वाने के आदेश दिए थे. तब जाकर पुलिस एक्टिव हुई और जाम खोला जा सका. इस मामलें में थाना प्रभारी बंथरा अशोक सोनकर को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने निलंबित कर दिया था.

पुलिस कमिश्नर नहीं दिला पाए जाम से मुक्तिः 28 जुलाई को लखनऊ-कानपुर हाईवे में 6 घंटे से अधिक समय के लिए जाम लगने का असली कारण आलाधिकारियों की गलत नीतियां ही थी. जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1 अगस्त को लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को हटा कर वेटिंग में डाल दिया था.

ये भी पढ़ें- PWD मुख्यालय में मिली बाबू की लाश, मौत के वक्त मौजूद थे मृतक के दो साथी

जाम की सूचना डीजीपी को थी लेकिन एसीपी को नहींः लखनऊ-कानपुर हाईवे पर 28 जुलाई को लगी जाम के बाद योगी सरकार ने नाराजगी खुले तौर पर देखने को मिली. जिसके बाद स्थानीय थाना प्रभारी और फिर कमिश्नर तक को हटाया गया था. डीजीपी मुख्यालय ने इस मामले में जांच की तो सामने आया कि एसीपी कृष्णा नगर पवन गौतम ने भी लापरवाही बरती थी. इस वजह से डीजीपी ने पवन गौतम का भी 2 अगस्त को तबादला कर दिया.

जाम से मिले मुक्ति के लिए डीसीपी ट्रैफिक के पास नहीं था कोई प्लानः बीते दिनों राजधानी में लगातार लोग जाम से जूझ रहे थे. बावजूद इसके लखनऊ ट्रैफिक विभाग की ओर से कोई भी ठोस कदम नही उठाये जा रहे थे. यही नहीं बुधवार को एडीजी ट्रैफिक अनुपमा कुलश्रेष्ठ लखनऊ के कई इलाकों का निरक्षण करने पहुंची थी, तब भी डीसीपी ट्रैफिक सुभाष चन्द्र शाक्य मौके से नदारद थे. लखनऊ पुलिस कमिश्नर एस बी शिरडकर ने सुभाष चंद्र को डीसीपी ट्रैफिक के पद से हटा कर गोपाल चौधरी को नया डीसीपी ट्रैफिक बनाया है.

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लखनऊ: राजधानी में ट्रैफिक सिस्टम पूरी तरह धवस्त हो चुकी है. जिसके चलते आला अधिकारियों और जिम्मेदारों पर कार्रवाई का सिलसिला लगतार जारी है. पुलिस कमिश्नर एस. बी. शिरडकर ने डीसीपी ट्रैफिक सुभाष चंद्र शाक्य को हटा दिया है. उनके स्थान में लूलू मॉल विवाद में हटाये गए आईपीएस अधिकारी गोपाल चौधरी को लखनऊ का नया डीसीपी ट्रैफिक नियुक्त किया गया है. गौरतलब है कि ट्रैफिक अव्यवस्था के चलते लखनऊ में अब तक 6 अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है.

गृह मंत्री को गलत रुट से ले जाने पर नपे थे डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तरः 17 दिसंबर 2021 को लखनऊ के रमाबाई मैदान में निषाद रैली आयोजित हुई थी. इसमें गृहमंत्री अमित शाह समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी कैबिनेट के कई दिग्गज मंत्री शामिल हुए थे. रमाबाई मैदान से गृह मंत्री अमित शाह को लोहिया पथ के मार्ग से इंदिरागांधी प्रतिष्ठान जाना था. ट्रैफिक पुलिस के एस्कोर्ट गृहमंत्री की फ्लीट को आला अधिकारियों के पीछे-पीछे वैकल्पिक मार्ग शहीद पथ पर लेकर चले गए.जबकि फ्लीट का रिहर्सल लोहिया पथ के लिए किया गया था. पुलिस की इस लापरवाही की वजह से अफरातफरी और असुरक्षा का माहौल खड़ा हो गया. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक आईबी, इंटेलिजेंस और पुलिस के आला अफसरों के हाथ-पैर फूल गए. जिसके बाद डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर को हटा दिया गया था.

जाम की वजह पैदल चले थे शाह और गडकरीः 25 मार्च को योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार शपथ ली थी. शपथ ग्रहण का कार्यक्रम इकाना स्टेडियम में आयोजित हुआ था. तमाम ट्रैफिक व्यवस्था होने के बावजूद गृह मंत्री अमित शाह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को 2 किलों मीटर पैदल चलना पड़ा था. वहीं, मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती तो जाम के चलते आधे रास्ते से ही वापस चली गईं थी. इस मामले में लखनऊ पुलिस की बड़ी किरकिरी हुई थी. साथ ही ट्रैफिक निदेशालय की लापरवाही भी दिखी थी. इसका खामियाजा एडीजी ट्रैफिक ज्योति नारायण को भुगतना पड़ा और 21 अप्रैल को उनका तबादला कर काले पानी की सजा कही जाने वाली पोस्टिंग एडीजी प्रशिक्षण जालौन के पद पर कर दी गयी.

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लखनऊ-कानपुर हाइवे में 6 घंटे लगा जाम, बंथरा इंस्पेक्टर हटेः 28 जुलाई को लखनऊ-कानपुर हाईवे पर 6 घंटे लगे जाम की समस्या को लेकर प्रशासन की खूब आलोचना हुई थी. परेशान लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से लखनऊ पुलिस को टैग करके जाम की जानकारी दी. बावजूद इसके लखनऊ पुलिस और स्थानीय पुलिस ने मौके पर जाकर जाम छुड़वाने की कोशिश नहीं की. हाईवे पर जाम की सूचना जब कार्यवाहक डीजीपी को मिली तो उन्होंने आलाधिकारियों को फोन कर जाम छुड़वाने के आदेश दिए थे. तब जाकर पुलिस एक्टिव हुई और जाम खोला जा सका. इस मामलें में थाना प्रभारी बंथरा अशोक सोनकर को तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने निलंबित कर दिया था.

पुलिस कमिश्नर नहीं दिला पाए जाम से मुक्तिः 28 जुलाई को लखनऊ-कानपुर हाईवे में 6 घंटे से अधिक समय के लिए जाम लगने का असली कारण आलाधिकारियों की गलत नीतियां ही थी. जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1 अगस्त को लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को हटा कर वेटिंग में डाल दिया था.

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जाम की सूचना डीजीपी को थी लेकिन एसीपी को नहींः लखनऊ-कानपुर हाईवे पर 28 जुलाई को लगी जाम के बाद योगी सरकार ने नाराजगी खुले तौर पर देखने को मिली. जिसके बाद स्थानीय थाना प्रभारी और फिर कमिश्नर तक को हटाया गया था. डीजीपी मुख्यालय ने इस मामले में जांच की तो सामने आया कि एसीपी कृष्णा नगर पवन गौतम ने भी लापरवाही बरती थी. इस वजह से डीजीपी ने पवन गौतम का भी 2 अगस्त को तबादला कर दिया.

जाम से मिले मुक्ति के लिए डीसीपी ट्रैफिक के पास नहीं था कोई प्लानः बीते दिनों राजधानी में लगातार लोग जाम से जूझ रहे थे. बावजूद इसके लखनऊ ट्रैफिक विभाग की ओर से कोई भी ठोस कदम नही उठाये जा रहे थे. यही नहीं बुधवार को एडीजी ट्रैफिक अनुपमा कुलश्रेष्ठ लखनऊ के कई इलाकों का निरक्षण करने पहुंची थी, तब भी डीसीपी ट्रैफिक सुभाष चन्द्र शाक्य मौके से नदारद थे. लखनऊ पुलिस कमिश्नर एस बी शिरडकर ने सुभाष चंद्र को डीसीपी ट्रैफिक के पद से हटा कर गोपाल चौधरी को नया डीसीपी ट्रैफिक बनाया है.

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