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लखनऊ : जानें छठा चरण कैसे बीजेपी के लिए है चुनौतीपूर्ण !

छठे चरण में जिन 14 लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान होना है. वह अन्य चरणों की अपेक्षा बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण दिख रहा है. 2017 के विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो साफ दिख रहा है कि बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी कई क्षेत्रों में मजबूत स्थिति में है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी की उस लहर में भी सपा-बसपा ने करीब दो दर्जन सीटें हासिल की थी.

अन्य चरणों की अपेक्षा यह बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण दिख रहा है.
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Published : May 11, 2019, 8:24 AM IST

लखनऊ : जब बीजेपी की हर जिले में आंधी चली थी, उसमे विपक्षी दलों का किला खड़ा रहना अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है. छठे चरण के 14 लोकसभा क्षेत्रों की 70 विधानसभा सीटों में से 43 पर भाजपा जीती थी. चार सीटें उसके सहयोगी अपना दल को मिलीं थीं. समाजवादी पार्टी को 10 सीटें मिलीं तो बसपा ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं कांग्रेस की सबसे खराब हालत रही. उसके खाते में केवल प्रतापगढ़ की प्रमोद तिवारी की परंपरागत सीट रामपुर खास रही. रामपुर खास से प्रमोद की बेटी आराधना मिश्रा मोना जीतीं थीं.

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि छठे चरण में भारतीय जनता पार्टी के लिए कठिन चुनौती है.

इस चरण की सीटों पर विपक्ष दिख रहा मजबूत

  • विधानसभा चुनाव में समूचा विपक्ष जब 78 सीटों में ही सिमट गया हो तब महज 14 लोकसभा क्षेत्रों में दो दर्जन सीटें हासिल करना विपक्ष की मजबूती का प्रमाण है.
  • जातीय समीकरण इस चरण की कई सीटों पर विपक्ष के पक्ष में दिखाई पड़ रहा है. बीजेपी के उस लहर में भी सुल्तानपुर में समाजवादी पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी.
  • प्रतापगढ़ में कांग्रेस ने एक सीट जीती थी. फूलपुर की सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल ने जीत दर्ज की थी तो इलाहाबाद की एक सीट समाजवादी पार्टी ने जीती.
  • अंबेडकरनगर में केवल दो सीटें भाजपा के खाते में गयी. वहीं बसपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. श्रावस्ती में बसपा ने एक सीट जीती.
  • लालगंज में बीजेपी ने एक तो सपा-बसपा ने दो-दो सीट हासिल की. आजमगढ़ में दो सीटों पर बहुजन समाज पार्टी और तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी.
  • जौनपुर में दो समाजवादी पार्टी, दो बसपा ने हासिल की. वहीं मछली शहर में केवल एक सीट पर समाजवादी पार्टी जीत सकी तो भदोही में दो सीट बसपा के खाते में गई और एक सीट पर निषाद पार्टी ने जीत दर्ज की.

पिछले विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस चरण में भारतीय जनता पार्टी के लिए कठिन चुनौती है. यहां सपा-बसपा गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसे सिरे से नकार रही है.


भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सरकार और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से काम किया है, उससे जाति का बंधन टूट चुका है. अब जाति के आधार पर उत्तर प्रदेश में मतदान नहीं हो रहा है. यहां सभी लोग भाजपा की सरकार के कामकाज के आधार पर मतदान कर रहे हैं.

लखनऊ : जब बीजेपी की हर जिले में आंधी चली थी, उसमे विपक्षी दलों का किला खड़ा रहना अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है. छठे चरण के 14 लोकसभा क्षेत्रों की 70 विधानसभा सीटों में से 43 पर भाजपा जीती थी. चार सीटें उसके सहयोगी अपना दल को मिलीं थीं. समाजवादी पार्टी को 10 सीटें मिलीं तो बसपा ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं कांग्रेस की सबसे खराब हालत रही. उसके खाते में केवल प्रतापगढ़ की प्रमोद तिवारी की परंपरागत सीट रामपुर खास रही. रामपुर खास से प्रमोद की बेटी आराधना मिश्रा मोना जीतीं थीं.

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि छठे चरण में भारतीय जनता पार्टी के लिए कठिन चुनौती है.

इस चरण की सीटों पर विपक्ष दिख रहा मजबूत

  • विधानसभा चुनाव में समूचा विपक्ष जब 78 सीटों में ही सिमट गया हो तब महज 14 लोकसभा क्षेत्रों में दो दर्जन सीटें हासिल करना विपक्ष की मजबूती का प्रमाण है.
  • जातीय समीकरण इस चरण की कई सीटों पर विपक्ष के पक्ष में दिखाई पड़ रहा है. बीजेपी के उस लहर में भी सुल्तानपुर में समाजवादी पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी.
  • प्रतापगढ़ में कांग्रेस ने एक सीट जीती थी. फूलपुर की सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल ने जीत दर्ज की थी तो इलाहाबाद की एक सीट समाजवादी पार्टी ने जीती.
  • अंबेडकरनगर में केवल दो सीटें भाजपा के खाते में गयी. वहीं बसपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. श्रावस्ती में बसपा ने एक सीट जीती.
  • लालगंज में बीजेपी ने एक तो सपा-बसपा ने दो-दो सीट हासिल की. आजमगढ़ में दो सीटों पर बहुजन समाज पार्टी और तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी.
  • जौनपुर में दो समाजवादी पार्टी, दो बसपा ने हासिल की. वहीं मछली शहर में केवल एक सीट पर समाजवादी पार्टी जीत सकी तो भदोही में दो सीट बसपा के खाते में गई और एक सीट पर निषाद पार्टी ने जीत दर्ज की.

पिछले विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस चरण में भारतीय जनता पार्टी के लिए कठिन चुनौती है. यहां सपा-बसपा गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसे सिरे से नकार रही है.


भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सरकार और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से काम किया है, उससे जाति का बंधन टूट चुका है. अब जाति के आधार पर उत्तर प्रदेश में मतदान नहीं हो रहा है. यहां सभी लोग भाजपा की सरकार के कामकाज के आधार पर मतदान कर रहे हैं.

Intro:लखनऊ। छठे चरण में जिन 14 लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान होने वाला है। अन्य चरणों की अपेक्षा यह बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण क्षेत्र दिख रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव पर के परिणाम पर नजर डालें तो साफ दिख रहा है कि बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी कई क्षेत्रों में मजबूत स्थिति में है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी की उस लहर में भी सपा बसपा ने करीब दो दर्जन सीटें हासिल की थी। 


Body:जब बीजेपी की हर जिले में आंधी चली थी, उसमे विपक्षी दलों का किला खड़ा रहना अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है। छठे चरण के 14 लोकसभा क्षेत्रों की 70 विधानसभा सीटों में से 43 पर भाजपा जीती थी। चार सीटों पर उसके सहयोगी अपना दल को मिलीं थीं। समाजवादी पार्टी को 10 सीटें मिलीं। तो बसपा ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस की सबसे खराब हालत रही। उसके खाते में केवल प्रतापगढ़ की प्रमोद तिवारी की परंपरागत सीट रामपुर खास ही गयी। रामपुर खास से प्रमोद की बेटी आराधना मिश्रा मोना जीतीं थीं। 

विधानसभा चुनाव में समूचा विपक्ष जब 78 सीटों में ही सिमट गया हो तब महज 14 लोकसभा क्षेत्रों में दो दर्जन सीटें हासिल करना विपक्ष की मजबूती का प्रमाण है। जातीय समीकरण इस चरण की कई सीटों पर विपक्ष के पक्ष में दिखाई पड़ रहा है। बीजेपी के उस लहर में भी सुल्तानपुर में समाजवादी पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। प्रतापगढ़ में कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। फूलपुर की सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दल ने जीत दर्ज की। तो इलाहाबाद की एक सीट समाजवादी पार्टी ने जीती। अंबेडकरनगर में केवल दो सीटें भाजपा के खाते गयी। वहीं बसपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी।

श्रावस्ती में बसपा ने एक सीट जीती। लालगंज में बीजेपी ने एक तो सपा-बसपा ने दो-दो सीट हासिल की। आजमगढ़ में दो सीटों पर बहुजन समाज पार्टी और तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी। जौनपुर में दो समाजवादी पार्टी दो बसपा ने हासिल की। वहीं मछली शहर में केवल एक सीट पर समाजवादी पार्टी जीत सकी। तो भदोही में दो सीट बसपा के खाते में गई और एक सीट पर निषाद पार्टी ने जीत दर्ज की।

पिछले विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनावी विश्लेषकों का मानना है के इस चरण में भारतीय जनता पार्टी के लिए कठिन चुनौती है। यहां सपा बसपा गठबंधन भारतीय जनता पार्टी पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसे सिरे से नकार रही है। भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सरकार और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से काम किया है, उससे जाति का बंधन टूट चुका है। अब जाति के आधार पर उत्तर प्रदेश में मतदान नहीं हो रहा है। यहां सभी लोग भाजपा की सरकारों के कामकाज के आधार पर मतदान कर रहे हैं।


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